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लोकसभा चुनाव के बाद बिहार में राजनीतिक हालात तेजी से बदल रहे हैं. बीजेपी-जेडीयू की दोस्ती में दूरियों की खबरें सामने आ रही हैं. दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया. उसी दिन बीजेपी और जेडीयू दोनों ने ही अलग-अलग इफ्तार पार्टी का आयोजन किया. लेकिन न तो बीजेपी के नेता जेडीयू की इफ्तार पार्टी में गए, न ही जेडीयू के नेता ने बीजेपी की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए.
ऐसे में अब राजनीतिक गलियारों में ये सवाल तेजी के साथ उठने लगा है कि क्या बिहार एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है?
रविवार को पटना में इफ्तार पार्टियों का दिन रहा. पहले की तरह जेडीयू ने पटना के हज भवन में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया. इस पार्टी में आरजेडी की सहयोगी पार्टी के नेता और बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी से लेकर आरजेडी के बागी और पूर्व सांसद अली अशरफ फातमी भी शामिल हुए.
यही नहीं, एलजेपी के अध्यक्ष रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान भी नीतीश कुमार की इफ्तार की दावत में शामिल हुए. लेकिन बिहार सरकार में नीतीश कुमार की सहयोगी पार्टी बीजेपी से कोई भी वहां मौजूद नहीं था.
बीजेपी की इफ्तार में शाहनवाज हुसैन, रविशंकर प्रसाद और एलजेपी के सांसद और रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस शामिल हुए.
अगर हाल की कुछ घटनाओं को देखें, तो ये बात कही जा सकती है कि बीजेपी-जेडीयू, दोनों पार्टियों के बीच 2019 लोकसभा चुनाव के बाद दूरियां आ गई हैं. दूरियों की शुरुआत होती है केंद्र की मोदी सरकार की कैबिनेट में जेडीयू की गैरहाजिरी से.
दरअसल, 30 मई 2019 को नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह से पहले नीतीश कुमार ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी से कोई भी मोदी सरकार की केंद्रीय कैबिनेट में शामिल नहीं होगा. नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि उन्हें सांकेतिक भागीदारी नहीं चाहिए. उन्होंने कहा था:
रविवार को नीतीश कुमार की सरकार ने अपनी मंत्रिपरिषद का विस्तार किया. लेकिन इस बार बीजेपी के किसी विधायक को जगह नहीं मिली. नीतीश ने आठ नए मंत्री बनाए, लेकिन सारे JDU से. ऐसे में माना जाने लगा कि नीतीश कुमार ने केंद्र की कैबिनेट में ज्यादा सीटें न मिलने का बदला बिहार में बीजेपी से ले लिया.
लेकिन तब ही बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर सफाई दी, उन्होंने कहा:
अब भले ही जेडीयू और बीजेपी बार बार सब कुछ ठीक होने का दावा कर रहे हों, लेकिन इन दोनों घटनाओं के बाद अब एक-दूसरे के इफ्तार में शामिल न होना दोनों के रिश्ते में कड़वाहट की ओर इशारा तो कर ही रहा है.
अब अगर ये दूरियां इसी तरह बढ़ती रहीं, तो 2020 के विधानसभा चुनाव में बिहार में कुछ नया समीकरण दिख सकता है.
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Published: 03 Jun 2019,11:06 AM IST