मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019JDU कमजोर हो रही...उपेंद्र कुशवाहा का बयान-नीतीश की प्रतिक्रिया, BJP को फायदा?

JDU कमजोर हो रही...उपेंद्र कुशवाहा का बयान-नीतीश की प्रतिक्रिया, BJP को फायदा?

Bihar Politics: "JDU खुद अपनी रणनीति के हिसाब से चलती है, तो मेरे बारे में इतनी चर्चा क्यों?"

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>JDU कमजोर हो रही...उपेंद्र कुशवाहा का बयान-नीतीश की प्रतिक्रिया, BJP को फायदा?</p></div>
i

JDU कमजोर हो रही...उपेंद्र कुशवाहा का बयान-नीतीश की प्रतिक्रिया, BJP को फायदा?

फोटोः क्विंट हिंदी

advertisement

JDU संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को लेकर बिहार की राजनीति गर्म है. शनिवार को सीएम नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाह के कथित तौर पर बीजेपी से संपर्क में होने को लेकर एक बयान दिया था. अब उस बयान पर उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने रविवार को पत्रकारों से कहा कि देखिए मैं आपको इतना साफ कर देना चाहता हूं कि आज की तारीख में पार्टी में जो जितना बड़ा नेता है वो उनता ही ज्यादा बीजेपी के संपर्क में है.

दरअसल, दिल्ली एम्स में इलाज के दौरान बीजेपी के तमाम नेताओं ने उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की थी. इसको लेकर यह कयास लग रहे थे कि उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी में शामिल होने वाले हैं. इसको लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बीजेपी के किसी नेता से मुलाकात का मतलब बीजेपी के संपर्क में होना नहीं. इसका मतलब की राजनीति में किसी का किसी से व्यक्तिगत संबंध नहीं हो सकता. अस्पताल में अगर कोई व्यक्ति मिल रहा हो तो इसे राजनीति की नजर से देखना कहां तक उचित है.

"JDU खुद अपनी रणनीति के हिसाब से चलती है, तो मेरे बारे में इतनी चर्चा क्यों?"

उपेंद्र कुशवाहा ने आगे कहा कि बीजेपी के नेताओं से हमारी पार्टी में जो जितना बड़ा नेता है वो उतना ही ज्यादा संपर्क में है. उपेंद्र कुशवाहा के साथ एक तस्वीर क्या आ गई उसे बात का बतंगड़ बना दिया गया. हम ये कह रहे हैं कि हमारी पार्टी ही दो से तीन बार बीजेपी के संपर्क में गई और उसके संपर्क से अलग हो गई. पूरी पार्टी ही जब अपनी रणनीति के हिसाब से जो होता है वो करती है तो फिर मेरे बारे में चर्चा करना, ये कोई बात हुई क्या?.

"JDU कमजोर हो रही है"

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हमारी चिंता का विषय है कि जेडीयू लगातार कमजोर हो रही है. मैं उसकी मजबूती के लिए लगातार प्रयास कर रहा हूं. अगर पार्टी की कमजोरी को लेकर कोई बोल रहा है तो इसका अर्थ कुछ और नहीं निकाला जाए. कुशवाहा ने आगे कहा कि मेरी पार्टी के जो भी नेता हैं, उनसे पूछ लीजिए. अधिकांश लोगों की एक ही राय है. वे लोग मीडिया के सामने नहीं बोलेंगे, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर बता देंगे. कुशवाहा ने कहा कि जेडीयू बीमार है, इसे स्वीकारना होगा. जब स्वीकर करेंगे तभी तो इलाज होगा.

उपेंद्र कुशवाहा पर नीतीश कुमार ने क्या बोला था?

बता दें, बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने शनिवार को जनता दल यूनाइटेड संसदीय बोर्ड के अध्‍यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी के साथ बढ़ती नजदीकियों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी थी. नीतीश कुमार ने कुशवाहा को लेकर कहा था कि सबको अपना-अपना अधिकार है. उन्‍होंने कहा कि उनकी क्‍या इच्‍छा है, हमको नहीं मालूम है. दरअसल, दिल्‍ली के एम्‍स में भर्ती कुशवाहा से हाल ही में बिहार भाजपा के कुछ नेताओं से मुलाकात की थी, जिसके बाद से कुशवाहा के जेडीयू छोड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बिहार की राजनीति में कहां खड़े हैं उपेंद्र कुशवाहा?

उपेंद्र कुशवाहा राज्य और केंद्र के सभी सदनों के सदस्य रह चुके हैं. अभी विधान परिषद के सदस्य हैं. साल 2000-2005 तक वह विधानससभा के सदस्य रहे. 2010 से 2013 तक राज्यसभा, 2014-2019 तक लोकसभा और नीतीश कुमार के साथ आने के बाद 2021 से विधान परिषद के सदस्य हैं. वह 2004 में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे. इससे पहले वे प्रतिपक्ष के उपनेता थे. 2014 में केंद्र में मोदी मंत्रिमंडल में कुशवाहा राज्य मंत्री थे. 2018 में उन्होंने एनडीए का साथ छोड़ दिया था.

साल 1985 से शुरू हुए अपने राजनीतिक करियर में कुशवाहा लोकदल, जनता दल होते हुए 2013 में अपनी बनायी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष बने. 2014 में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने बीजेपी के साथ गलबहियां डाला और एनडीए का हिस्सा बन गयी. एनडीए के बैनर तले 2014 के लोकसभा चुनाव में रालोसपा ने 3 सीटें जीतीं और उपेंद्र कुशवाहा नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेवारी के साथ राज्यमंत्री बने.

हालांकि, सीटों के बंटवारे को लेकर 2018 में उन्होंने एनडीए से किनारा कर लिया और 2019 के लोकसभा चुनाव में अकेले उतरे. सभी सीटों पर रालोसपा की हार हुई. उपेंद्र कुशवाहा खुद अपनी सीट नहीं बचा सके. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 2.56 फीसदी वोट मिला था, जबकि साल 2020 के विधानसभा चुनाव में 1.77 फीसदी वोट हासिल किया था.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT