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शरद, नीतीश के रुख से जेडीयू के ‘यूनाइटेड’ रहने पर संशय  

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने भी शरद को जेडीयू का असली संस्थापक बताते हुए इस टूट को हवा दे दी है.

कौशिकी कश्यप
पॉलिटिक्स
Updated:
बिहार में महागठबंधन के टूटने के बाद नीतीश और शरद में अब दूरी काफी बढ़ गई है.
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बिहार में महागठबंधन के टूटने के बाद नीतीश और शरद में अब दूरी काफी बढ़ गई है.
(फोटो: PTI)

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जेडीयू ने राज्य सभा में पार्टी संसदीय दल के नेता के पद से शरद यादव को हटा दिया है. पार्टी के सांसदों ने शनिवार को सभापति वेंकैया नायडू से मिलकर आरसीपी सिंह को सदन में पार्टी का नया नेता बनाने का आधिकारिक पत्र सौंपा है.

बिहार में 20 महीनों तक सत्तारूढ़ रहे महागठबंधन के टूटने के बाद जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की चुप्पी से कयास लगने लगा था कि अब जेडीयू 'यूनाइटेड' नहीं रह पाएगा.

इसके बाद यादव के बिहार में जनसंवाद कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगातार निशाना साधने और बगावती तेवर से संकेत भी मिलने लगे.

अब जेडीयू ने भी इसे भांपते हुए पार्टी विरोधी नेताओं पर कार्रवाई शुरू कर दी है.

राजनीतिक रूप से हमलावर रवैया

बिहार में जेडीयू के अंदरखाने की राजनीति शरद यादव के बिहार दौरे के बाद सतह पर आ गई. शरद अपने बिहार के तीन दिवसीय तूफानी दौरे के क्रम में जनादेश के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं.

इधर, पार्टी प्रवक्ता और नेता भी शरद के खिलाफ राजनीतिक रूप से हमलावर बने हुए हैं. ऐसे में पार्टी में बने दो धड़ों के बीच बयानबाजी का दौर चल रहा है.

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने भी शरद को जेडीयू का असली संस्थापक बताते हुए इस टूट को हवा दे दी है.

ऐसे देखा भी जाए तो शरद के जनसंवाद कार्यक्रम में आरजेडी के कार्यकर्ता बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. शरद भी टूट को इशारों ही इशारों में स्वीकार करते हुए कहते हैं, "एक सरकारी जनता दल है, जिसे नीतीश कुमार चला रहा हैं और एक मैं जेडीयू में हूं, जिसके साथ बिहार की जनता है."

JDU ने भी शुरू की कार्रवाई

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार को दिल्ली में एक बयान दिया.

पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र हैं. पार्टी ने आम सहमति से बिहार में बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया. वह अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र हैं.
नीतीश कुमार

इन बयानों के बाद साफ है कि पार्टी में अब टूट तय है.

शरद यादव को संसदीय दल के नेता के पद से हटाने से ठीक एक दिन पहले शुक्रवार को उनके करीबी अली अनवर को निशाने पर लिया गया. राज्य सभा सांसद अली अनवर को नीतीश खेमे ने पार्टी के संसदीय दल से निलंबित कर दिया.

इसपर पार्टी के वरिष्ठ महासचिव के सी त्यागी ने बयान दिया कि, "कांग्रेस नीत संप्रग से जेडीयू ने अपने रिश्ते खत्म करने के बावजूद विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए अली अनवर को संसदीय दल से निलंबित किया है."

उल्लेखनीय है कि महागठबंधन टूटने के बाद बीजेपी के साथ सरकार बनाने का विरोध सबसे पहले अली अनवर ने ही किया था.

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19 अगस्त को बैठक

जेडीयू ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 19 अगस्त को पटना में बुलाई है. पार्टी के एक नेता ने बताया कि इस बैठक में शरद यादव को भी भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है.

त्यागी भी कहते हैं, "शरद को 19 तारीख तक संयम बरतना चाहिए और मर्यादा में रहना चाहिए. शरद जिस रास्ते पर चले हैं, उस अंधेरी राह में उन्हें लालटेन का साथ मिला हुआ है." त्यागी का इशारा लालू के आरजेडी की ओर था.

जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक कह रहे हैं कि शरद यादव अपने बेटे को राजनीति में 'लाॅन्च' करना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद, शरद यादव के पुत्र शांतनु को मधेपुरा से लोकसभा चुनाव में टिकट देंगे. लालू प्रसाद के भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाने की स्थिति में शरद आरजेडी और लालू के पुत्रों के राजनीतिक अभिभावक के रूप में काम करेंगे.

इस स्थिति में यह तय माना जा रहा है कि नीतीश और शरद में अब दूरी काफी बढ़ गई है, जो कभी भी पार्टी के टूट के नतीजे के रूप में सामने आ सकती है.

-(इनपुट IANS से)

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Published: 12 Aug 2017,05:19 PM IST

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