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रिपोर्ट का दावा,पीयूष गोयल ने 1000 गुना में चुपचाप बेची अपनी कंपनी

पीयूष गोयल ने अपनी कंपनी 1000 गुना अधिक पर प्राइवेट बिजनेस समूह पिरामल ग्रुप को बेच दी

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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द वायर की स्टोरी में कहा गया है कि पीयूष गोयल ने मंत्री रहते अपनी कंपनी गलत ढंग से बेची
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द वायर की स्टोरी में कहा गया है कि पीयूष गोयल ने मंत्री रहते अपनी कंपनी गलत ढंग से बेची
फोटो - द क्विंट

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मोदी सरकार के मंत्री पीयूष गोयल ने अपनी और पत्नी की संयुक्त साझेदारी वाली एक कंपनी उसकी फेस वैल्यू से 1000 गुना अधिक पर प्राइवेट बिजनेस समूह पिरामल ग्रुप को बेच दी. यह बिक्री गोयल के मंत्रिमंडल में शामिल होने के ठीक बाद की गई. द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है.

गोयल पर वित्तीय अनियमितता के आरोप

इससे पहले इस महीने की शुरुआत में द वायर ने शिरडी इंडस्ट्रीज से गोयल के संबंधों से जुड़ी रिपोर्ट प्रकाशित की थी. रिपोर्ट में कंपनी की ओर से की गई कथित वित्तीय अनियमितताओं का जिक्र था. गोयल ने इसे नकारते हुए कहा था कि शिरडी इंडस्ट्रीज को लेकर हितों का कोई संघर्ष नहीं है. बहरहाल, वायर की रिपोर्ट में गोयल की कंपनी से जुड़़ी अनियमतताओं के जिक्र पर न तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया जताई है और न ही पिरामल ग्रुप ने.

द वायर की नई रिपोर्ट में गोयल और पिरामल ग्रुप के बीच कंपनी बेचे जाने की सौदे पर सवाल उठाया गया है. पीएमओ में 2014 के दौरान अपनी संपत्ति का ब्योरा दाखिल करने के दौरान गोयल ने इस सौदे का जिक्र नहीं किया था. न ही 2015 में मंत्री पद की शपथ लेने के दौरान उन्होंने इसका जिक्र किया था.

रिपोर्ट में इस बात की ओर ध्यान दिलाया गया है पिरामल ग्रुप न्यू और रिन्यूबल एनर्जी सेक्टर में सक्रिय है. साथ ही पावर सेक्टर में भी इसकी गतिविधियां हैं. जिस वक्त कंपनी बेचे जाने की बात की जा रही है उस वक्त गोयल बिजली, कोयला और रिन्यूबल एनर्जी मंत्रालय में राज्य मंत्री थे. उनके पास स्वतंत्र प्रभार था.  

गोयल ने कंपनी बेचने का जिक्र नहीं किया

द वायर की रिपोर्ट में कहा गया है कि गोयल और उनकी पत्नी ने 2000 में फ्लेशनेट इन्फो सॉल्यूशन्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी खोली थी. इसके 99.9 फीसदी शेयर उनके पास थे. 2010 में राज्यसभा का सदस्य बनने के बाद उन्होंने अपने हितों के बारे में जरूरी घोषणाओं के तहत कंपनी का जिक्र किया था. लेकिन 2014 में उन्होंने इस कंपनी का मालिकाना हक का जिक्र नहीं किया. न ही 2015 में इसकी बिक्री का जिक्र किया.

गोयल ने 2014 में अपनी अनकोटेड सिक्यूरिटीज की बुक वैल्यू 1,01,300 रुपये बताई थी. फ्लैशनेट में उनके 53.95 फीसदी और उनकी पत्नी के 43.95 फीसदी शेयर पिरामल को सितंबर 2014 में बेच दिए गए

पीयूष गोयल (सबसे बाएं) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ रैली में जाते हुए (फाइल फोटो: IANS)
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हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि गोयल ने 2015 में 1,01,300 रुपये के बुक वैल्यू का ही जिक्र किया. यही बुक वैल्यू 2014 में भी थी. गोयल ने जब 2016 में राज्यसभा का नामांकन दाखिल किया तो भी बेचे गए शेयरों की वैल्यू नहीं दिखाई, जिस साल गोयल ने पिरामल को कंपनी बेची उस साल उसे 119 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.

कांग्रेस ने की जांच की मांग

कांग्रेस ने गोयल की कंपनी की इस बिक्री को घोटाला करार दिया है. कांग्रेस ने कहा है कि मंत्री ने 1000 गुना पर अपनी कंपनी पिरामल समूह को बेच कर घोटाला किया है, इसकी विस्तार से स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. कांग्रेस ने कहा है कि मंत्री रहते पीयूष गोयल ने अपनी कंपनी के शेयर 1000 गुना पर अजय पिरामल की कंपनी को बेच दिया . और इसकी जानकारी पीएमओ को न तो कंपनी बेचने के वक्त दी और न ही बाद में. यह सौदा गोयल के मंत्री बनने के चार महीने बाद हुई. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि इस सौदे ने मोदी सरकार के मंत्री की कलई खोल दी हैये भी पढ़ें .

ये भी पढ़ें - बीजेपी का ‘टॉयलेट घोटाला’, ट्विटर पर हो रही है सरकार की खिंचाई

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