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कर्नाटक में टीपू सुल्तान के ऊपर पिछले दो साल से राजनीति गरमा रही है. लेकिन अब ये गरमी दिल्ली पहुंच गई है.
रिपब्लिक डे के मौके पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्टेट असेंबली में आजादी के 69 नायकों के पोस्टर्स का अनावरण किया. इनमें टीपू सुल्तान का पोस्टर भी शामिल था.
लेकिन बीजेपी ने टीपू के पोस्टर का विरोध किया. पार्टी के विधायक ओमप्रकाश शर्मा का कहना है कि विवादित व्यक्ति का पोस्टर नहीं लगाना चाहिए था.
हालांकि विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने शर्मा की बात को काट दिया. उन्होंने कहा, बीजेपी नेता हर मुद्दे को विवादित करने की कोशिश करते रहते हैं.
गोयल ने आगे कहा कि टीपू ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया था. इसलिए उनकी तस्वीर लगाना गर्व की बात है.
दिल्ली विधानसभा में आने वाले लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले लोगों से परिचित करवाने के लिए ये पोस्टर्स लगवाए गए हैं. बीजेपी टीपू के नाम के सामने आने के बाद से ही विरोध कर रही है.
इस विवाद की शुरूआत 2015 में कांग्रेस सरकार के टीपू सुल्तान की जयंती मनाने के बाद हुई है. जयंती के विरोध में दक्षिणपंथी संगठनों ने राज्य के कई हिस्सों में प्रदर्शन किया था.
इनमें कोडागु में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत भी हो गई थी. इसके बाद 2 सालों में जयंती का आयोजन शांतिपूर्वक रही. लेकिन अब आने वाले चुनाव के मद्देनजर मुद्दा दोबारा गर्मा गया है.
बीजेपी नेताओं का आरोप है कि टीपू सुल्तान ‘एंटी-हिंदू’ राजा था. वहीं कांग्रेस का मानना है कि टीपू फ्रीडम फाइटर थे.
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