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दिल्ली: असेंबली में टीपू का पोस्टर लगाए जाने का BJP ने किया विरोध

बीजेपी विधायक का कहना है कि टीपू सुल्तान एंटी हिंदू सुल्तान था.

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युद्ध के दौरान टीपू सुल्तान
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युद्ध के दौरान टीपू सुल्तान
(फोटो: Wikimedia Commons

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कर्नाटक में टीपू सुल्तान के ऊपर पिछले दो साल से राजनीति गरमा रही है. लेकिन अब ये गरमी दिल्ली पहुंच गई है.

रिपब्लिक डे के मौके पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्टेट असेंबली में आजादी के 69 नायकों के पोस्टर्स का अनावरण किया. इनमें टीपू सुल्तान का पोस्टर भी शामिल था.

लेकिन बीजेपी ने टीपू के पोस्टर का विरोध किया. पार्टी के विधायक ओमप्रकाश शर्मा का कहना है कि विवादित व्यक्ति का पोस्टर नहीं लगाना चाहिए था.

हालांकि विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने शर्मा की बात को काट दिया. उन्होंने कहा, बीजेपी नेता हर मुद्दे को विवादित करने की कोशिश करते रहते हैं.

मैं बीजेपी को बताना चाहता हूं, भारत के संविधान के पेज नंबर 144 पर भी टीपू सुल्तान का फोटो है. अब या तो जिन लोगों ने संविधान लिखा, वो गद्दार थे या बीजेपी वाले हैं.
रामनिवास गोयल, विधानसभा अध्यक्ष

गोयल ने आगे कहा कि टीपू ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया था. इसलिए उनकी तस्वीर लगाना गर्व की बात है.

दिल्ली विधानसभा में आने वाले लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले लोगों से परिचित करवाने के लिए ये पोस्टर्स लगवाए गए हैं. बीजेपी टीपू के नाम के सामने आने के बाद से ही विरोध कर रही है.

क्या है कर्नाटक में टीपू विवाद

इस विवाद की शुरूआत 2015 में कांग्रेस सरकार के टीपू सुल्तान की जयंती मनाने के बाद हुई है. जयंती के विरोध में दक्षिणपंथी संगठनों ने राज्य के कई हिस्सों में प्रदर्शन किया था.

इनमें कोडागु में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत भी हो गई थी. इसके बाद 2 सालों में जयंती का आयोजन शांतिपूर्वक रही. लेकिन अब आने वाले चुनाव के मद्देनजर मुद्दा दोबारा गर्मा गया है.

टीपू सुल्तान 1792 से 1799 तक मैसूर राज्य का राजा था. टीपू ने दूसरे कर्नाटक-अंग्रेज युद्ध में अपने पिता हैदर अली की मौत के बाद कमान संभाली थी. यह युद्ध बराबरी पर खत्म हुआ था. वहीं तीसरे युद्ध में टीपू की हार हुई थी और उन्हें अपना राज्य का आधा हिस्सा गंवाना पड़ा था. लेकिन इसके बाद भी टीपू ने अंग्रेजों से संघर्ष जारी रखा था. 1799 में मैसूर राज्य के अंग्रेजों से हुए चौथे युद्ध में टीपू जंग में लड़ते हुए मारा गया था.

बीजेपी नेताओं का आरोप है कि टीपू सुल्तान ‘एंटी-हिंदू’ राजा था. वहीं कांग्रेस का मानना है कि टीपू फ्रीडम फाइटर थे.

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