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UP: RLD के दो कार्यक्रम रद्द, BJP से गठबंधन की चर्चा 'अफवाह या हकीकत'?

UP Politics: पिछले महीने ही समाजवादी पार्टी और आरएलडी गठबंधन की पुष्टि हुई थी.

पीयूष राय & पल्लव मिश्रा
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>UP: RLD के दो कार्यक्रम रद्द, BJP से गठबंधन की चर्चा 'अफवाह या हकीकत'?</p></div>
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UP: RLD के दो कार्यक्रम रद्द, BJP से गठबंधन की चर्चा 'अफवाह या हकीकत'?

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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आम चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के गठबंधन को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं. नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी के बाद अब चर्चा है कि यूपी में जयंत चौधरी भी भगवा दल यानी बीजेपी के रथ पर सवार हो सकते हैं. हालांकि, रालोद नेता इसे 'अफवाह' बता रहे हैं जबकि विपक्षी "इंडिया" ब्लॉक में सुगबुगाहट तेज हो गई. रालोद-बीजेपी के गठबंधन की खबर को बल तब और मिला जब 4 फरवरी को मथुरा में होने वाला आरएलडी युवा संसद और बागपत के छपरौली में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय चौधरी अजीत सिंह की प्रतिमा के अनावरण पर होने वाले कार्यक्रम को टाल दिया गया.

क्या है पूरा मामला?

अभी हाल ही में यह खबर आई थी की आरएलडी और समाजवादी पार्टी में 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन पर आधिकारिक मोहर लग चुकी है. उत्तर प्रदेश में आरएलडी 7 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर इस गठबंधन की जानकारी दी थी.

हालांकि अब सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स आ रही हैं कि आरएलडी का बीजेपी से गठबंधन हो सकता है. इसको लेकर जब आरएलडी के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत की गई तो उन्होंने इस खबर को अफवाह मात्र ही करार दिया.

क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान आरएलडी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि की आरएलडी के बीजेपी के साथ गठबंधन वाली अफवाहों की शुरुआत तब हुई जब 4 फरवरी को मथुरा में होने वाले आरएलडी युवा संसद का कार्यक्रम खराब मौसम के कारण रद्द करना पड़ा. इस कार्यक्रम में आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी भी शिरकत करने वाले थे.

कैसे शुरू हुई BJP-RLD गठबंधन की खबर?

बीजेपी के साथ गठबंधन की अफवाहों को ताकत एक बार फिर तब मिली जब 7 फरवरी को आधिकारिक रूप से सामने आया कि बागपत के छपरौली में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय चौधरी अजीत सिंह की प्रतिमा के अनावरण पर होने वाले कार्यक्रम को टाल दिया गया है. इस कार्यक्रम में जयंत चौधरी आरएलडी के बाकी वरिष्ठ नेताओं के साथ शिरकत करने वाले थे. सूत्र एक बार फिर सक्रिय हुए और खबर चलने लगी जयंत और बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर चल रही बातचीत के मद्देनजर इसे टाला गया है.

हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आरएलडी नेताओं की माने तो 12 फरवरी को होने वाले मूर्ति अनावरण कार्यक्रम को इसलिए स्थगित करना पड़ा क्योंकि मूर्ति तो तैयार थी लेकिन नीव का ढांचा तैयार नहीं था.

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वहीं, आरएलडी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने नाम न छपने की शर्त पर क्विंट हिंदी से कहा, "पार्टी में इसकी अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है. जयंत चौधरी जो भी फैसला करेंगे, वो सर्वमान्य होगा. पर हां, अगर खबर मीडिया में आई है तो कुछ सच्चाई जरूर है, जल्द ही सारी तस्वीर साफ हो जाएगी. आरएलडी के साथ सभी गठबंधन करने के इच्छुक हैं."

बीजेपी से जुड़े एक सूत्र ने क्विंट हिंदी से कहा, "2022 में यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भी रालोद के साथ बातचीत हुई थी लेकिन तब पश्चिम यूपी के तीन भाजपा नेताओं ने विरोध किया था, जिसकी वजह से बात नहीं बन पाई थी, लेकिन इस बार पार्टी हाईकमान एकदम क्लीयर है, अगर सबकुछ सही रहा तो डील जल्द पक्की हो सकती है."

दरअसल, यह पहला ऐसा वाकया नहीं है जब जयंत चौधरी और आरएलडी का बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर अफवाह राजनीतिक गलियारों में सुनने को मिली हो. हालांकि ऐसी अफवाहों के दौर के बाद जयंत चौधरी INDIA गठबंधन और उनके नेताओं के साथ मीटिंग और सार्वजनिक मंचों पर दिखाई दिए हैं.

अखिलेश यादव और जयंत चौधरी

(फोटो: अखिलेश यादव/फेसबुक)

सीटों के समझौते पर मनमुटाव

वहीं, अगर आरएलडी और बीजेपी गठबंधन की खबर आगे जाकर आधिकारिक रूप से सामने आती है तो इसके पीछे आरएलडी और एसपी का सीटों को लेकर मनमुटाव एक बड़ा कारण रहेगा. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी गठबंधन में आरएलडी को 7 सीटों मिली है.

सूत्रों की माने तो एसपी की तरफ से यह दबाव है कि इनमें से तीन या चार सीटों पर सपा प्रत्याशी आरएलडी सिंबल पर लड़ेगा. ऐसे में आरएलडी के पास अपना प्रत्याशी लड़ने के लिए कुल तीन या चार सीटें ही बचेगी.

इस बीच, आरएलडी का बीजेपी से गठबंधन की चल रही खबरों पर समाजवादी पार्टी (एसपी) सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि मुझे लगता है कि जयंत चौधरी बहुत पढ़ें लिखे व्यक्ति हैं और वो राजनीति अच्छे से समझते हैं. मुझे उम्मीद है कि वे किसानों की लड़ाई को कमजोर नहीं होने देंगे.

दरअसल, आरएलडी का सपा के साथ सीट बंटवारे को लेकर मनमुटाव पुराना है. 2023 में नगर निकाय चुनाव के दौरान सीट बंटवारे को लेकर कोई समझौता न होने के कारण आरएलडी और सपा ने चुनाव अलग-अलग लड़ा था. आगे आने वाले 7 से 10 दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें आरएलडी को लेकर बीजेपी या सपा की गठबंधन की तस्वीर साफ हो जाएगी.

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