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पहले अरुणाचल प्रदेश, फिर उत्तराखंड और अब शायद हिमाचल प्रदेश और मणिपुर. इन प्रदेशों में राजनीतिक संकट पैदा होने के बाद ऐसा लग रहा है, जैसे ‘कांग्रेस मुक्त’ करने का BJP का कोई अभियान चल रहा हो. हालांकि इस बात को पुख्ता तरीके से साबित करने के लिए ठोस तथ्यों का अभाव है. आश्चर्यजनक रूप से कुछ ऐसे संकेत कांग्रेस पार्टी की गतिविधियों से जरूर मिले हैं.
सोमवार को हिमाचल प्रदेश के सीएम वीरभद्र सिंह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे. कयास लगाए गए कि वीरभद्र सिंह अपने खिलाफ चल रहे मुकदमों पर सोनिया से बात करने पहुंचे थे.
इसके बाद बयान जारी कर वीरभद्र सिंह ने BJP पर आरोप लगाया कि केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर केंद्र सरकार उनकी सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है. लेकिन BJP ने वीरभद्र के इन आरोपों को सस्ती सहानुभूति जुटाने का एक प्रयास बताया, क्योंकि करप्शन के मामले में वीरभद्र सिंह खुद ही जेल के दरवाजे पर खड़े हैं.
गौरतलब है कि अरुणाचल, उत्तराखंड के बाद जिस तरह से हिमाचल और मणिपुर में तेजी से राजनीतिक अस्थिरता के संकेत बढ़ रहे हैं, उससे कांग्रेस में खलबली है.
अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेसी विधायकों को तोड़कर BJP सरकार बना चुकी है. हिमाचल के सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि उसी तर्ज पर उनके विधायकों को भी खरीदने की कोशिश हो रही है.
केरल और असम में भी कांग्रेस को सत्ता में रहने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. पिछले 20 महीने में मिजोरम में 7 गवर्नर बदले जा चुके हैं. वहीं बीजेपी कर्नाटक के सीएम पर लगातार करप्शन के आरोप लगा रही है.
इसके अलावा BJP लगातार राहुल गांधी के खिलाफ भी ‘अविश्वास’ फैलाने का काम कर रही है. अपने सियासी एजेंडे से बीजेपी ऐसे संदेश दे रही है कि वह देश को ‘कांग्रेस मुक्त’ बनाकर रहेगी.
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