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बीस महीने पहले बना बिहार महागठबंधन अब टूट चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही हैं लेकिन सरकार में सहयोगी बदल गए हैं. महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस अब सत्ता से बाहर हो गए हैं और उनकी जगह जेडीयू ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली है.
बीते 24 घंटे के भीतर बिहार की राजनीति में हुई इस उठापटक से सभी हैरान हैं. जेडीयू चीफ और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस फैसले का उनकी ही पार्टी में विरोध हो रहा है और सत्ता से बाहर होने वाली आरजेडी के ही विधायक नीतीश के फैसले की तारीफ कर रहे हैं.
नीतीश के यूटर्न को लेकर उनके पुराने सहयोगी आरजेडी चीफ लालू यादव उन्हें जी भर कोस रहे हैं. उन पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लगा रहे हैं. लेकिन उनकी ही पार्टी के विधायक महेश्वर यादव का कहना है कि नीतीश अपने गठबंधन में दागियों को नहीं रखते हैं.
आरजेडी विधायक रामेश्वर यादव ने महागठबंधन टूटने के सवाल पर कहा कि पार्टी के ज्यादातर विधायकों ने कहा था कि अगर सरकार और गठबंधन को बचाना है तो तेजस्वी को उप-मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसी वजह से गठबंधन टूट गया.
नीतीश के इस फैसले से जेडीयू के भीतर भी नाराजगी देखी जा रही है. माना जा रहा है कि जेडीयू के 5 मुस्लिम और 11 यादव विधायक नीतीश के फैसले से नाराज हैं. हालांकि, इनमें से फिलहाल कोई भी खुलकर सामने नहीं आया है. लेकिन जेडीयू के राज्यसभा सांसद अली अनवर और पार्टी के पूर्व प्रमुख शरद यादव भी नीतीश के फैसले से नाराज दिख रहे हैं.
पार्टी के राज्यसभा सांसद अली अनवर ने तो खुलकर नीतीश के फैसले पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा है, ‘नीतीश कुमार ने अंतरात्मा की आवाज पर भले ही बीजेपी के साथ जाने का फैसला कर लिया. लेकिन, मेरे जमीर को यह बात गंवारा नहीं है.’ अली अनवर का कहना है कि बीजेपी आज भी उसी उग्र रास्ते पर जा रही है जिस रास्ते से हमें परहेज था.
अली अनवर का बयान जेडीयू के भीतर सुलग रहे बगावती तेवर के संकेत दे रहा है. बताया जा रहा है कि जेडीयू में कुछ मुस्लिम और यादव विधायक महागठबंधन तोड़े जाने के नीतीश के फैसले से नाराज बताए जा रहे हैं.
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Published: 27 Jul 2017,06:06 PM IST