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29 विधानसभा और 3 लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव परिणामों (Bypoll Results) ने राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा रुझान नहीं दिखाया है. किसी भी बड़े राष्ट्रीय रुझान की तलाश करना सही नहीं है क्योंकि क्विंट द्वारा विश्लेषण किए गए पिछले चुनावों के आंकड़ों के अनुसार राज्य स्तर पर मौजूदा पार्टी को उपचुनावों में फायदा होता है.
फिर भी मौजूदा उपचुनावों में कुछ ट्रेंड्स खोजे जा सकते हैं.
पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी से लेकर असम में बीजेपी के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा तक, राजस्थान के सीएम और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत से शिवसेना सुप्रीमो और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे तक, इंडियन नेशनल लोक दल के नेता अभय चौटाला से मेघालय सीएम कोनराड संगमा और आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी तक- हर राजनीतिक पार्टी के क्षेत्रीय नेता शीर्ष पर आ गए हैं.
दो राष्ट्रीय पार्टियों की बात करें तो केवल सीट नंबर के मामले में, लोकसभा में बीजेपी की कुल सीट एक से कम हो गई है जबकि उसके पास कुल मिलाकर तीन विधानसभा सीटें बढ़ी हैं.
दूसरी तरफ कांग्रेस की लोकसभा में एक सीट की वृद्धि हुई है और विधानसभा में सीटों की संख्या में तीन की गिरावट आई है. बावजूद इसके कांग्रेस बीजेपी की अपेक्षा ज्यादा खुश हो सकती है.
असम और कुछ हद तक मध्य प्रदेश को छोड़कर बीजेपी के लिए यह खराब रिजल्ट वाला दिन रहा क्योंकि उसे हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में बड़ी हार का सामना करना पड़ा है.
कुछ राज्यों के नतीजों पर विस्तार से डालते हैं नजर:
TMC ने दिनहाटा, शांतिपुर, खरदाहा और गोसाबा की सभी चार सीटों पर भारी अंतर से जीत हासिल की है. इन चार विधानसभा सीटों पर पार्टी का औसत वोट शेयर 75% से ज्यादा रहा है. बीजेपी केवल शांतिपुर में अपनी जमानत बचा सकी और हाल ही हुए विधानसभा चुनावों में अपने कब्जे वाली दो सीटों - दिनहाटा और शांतिपुर को हार गई है.
CPI-M को शांतिपुर और खरदाहा सीट पर अपने प्रदर्शन से कुछ राहत मिल सकती है क्योंकि वोट शेयर के मामले में वो बीजेपी से मामूली अंतर से ही पीछे थी. गौरतलब है कि इससे पहले 2021 के विधानसभा चुनाव में CPI-M ने कांग्रेस उम्मीदवार के लिए शांतिपुर सीट को छोड़ दिया था जिसे महज 4.4% वोट मिले थे.
लेकिन उपचुनाव में इस सीट पर CPI-M ने 20% से कुछ कम वोटों के साथ अपनी जमानत बचा ली है. ये दर्शाता है कि वो विधानसभा चुनावों में बीजेपी के हाथों हारे कुछ वोटों को वापस जीतने में सफल रही. ये देखा जाना बाकी है कि क्या इससे CPI-M को राज्य के अन्य हिस्सों में अपना जनाधार फिर से हासिल करने में मदद मिलती है या नहीं.
असम से उपचुनाव का परिणाम राज्य की सत्ताधारी एनडीए सरकार के लिए एक बड़ी जीत है क्योंकि बीजेपी और उसकी सहयोगी UPPL ने उपचुनावों में सभी पांच सीटों पर कब्जा कर लिया है.
ये व्यक्तिगत रूप से मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की जीत है क्योंकि चुनावों के बाद विपक्षी कांग्रेस और AIUDF से दलबदल कर आने वाले उम्मीदवारों ने तीन सीटें जीती है. कहा जाता है कि सरमा ने इन दलबदल में अहम भूमिका निभाई थी.
कांग्रेस के लिए इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि दोनों सीटों पर अखिल गोगोई की पार्टी अहम विकल्प बनकर उभरी है. थौरा में पार्टी के उम्मीदवार धीरज कोंवर, जो एक प्रमुख कार्यकर्ता हैं, ने 27% वोट हासिल किए हैं. कोंवर यहां कांग्रेस के उम्मीदवार से काफी आगे थे, जिन्होंने अपनी जमानत गवां दी है.
मरियानी में रायजोर दल के संजीब गोगोई को 17% वोट मिले हैं जो कांग्रेस से मामूली ही पीछे रहे. रायजर पार्टी परिणामों से उत्साहित हो सकती है और ऊपरी असम में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरने की कोशिश कर सकती है.
उपचुनाव के नतीजे राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के लिए बड़ी जीत के रूप में आए हैं. कांग्रेस ने प्रतापगढ़ जिले के धारियावाड़ और उदयपुर जिले के वल्लभ नगर, दोनों सीटों पर बड़े अंतर से जीत हासिल की है.
कांग्रेस ने बीजेपी से आदिवासी बहुल धारियावाड़ सीट को भी छीन लिया. बीजेपी को कांग्रेस और एक निर्दलीय उम्मीदवार थावरचंद डामोर के बाद तीसरा स्थान मिला. इस जीत से गहलोत की स्थिति विधानसभा के साथ-साथ कांग्रेस के भीतर किसी भी संभावित विद्रोह से मजबूत होगी.
हरियाणा के सिरसा जिले के एलेनाबाद विधानसभा सीट पर भी महत्वपूर्ण उपचुनाव हुआ. केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में इनेलो के अभय चौटाला के इस्तीफा देने के बाद यह सीट खाली हुई थी.
ये इस तथ्य के बावजूद है कि बीजेपी को कृषि कानूनों के कारण राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
ऐसा प्रतीत होता है कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन में जाटों का वर्चस्व है, जो राज्य स्तर पर किसी भी तरह से बीजेपी के साथ नहीं थे. दूसरी ओर, पार्टी ने गैर-जाट वोटरों के बीच अपना आधार बनाए रखा है.
चौटाला की जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका मतलब है कि इनेलो को जाट वोटों का एक हिस्सा मिलता रहेगा और कांग्रेस को यह पूरी तरह से नहीं मिलेगा. एलेनाबाद में कांग्रेस को 15% से भी कम वोट मिले. एकजुट गैर-जाट वोट और विभाजित जाट वोट हार के बावजूद भी बीजेपी के लिए अच्छी खबर है.
राज्य में उपचुनाव में तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर मतदान हुआ. खंडवा लोकसभा सीट और जोबट तथा पृथ्वीपुर विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है, वहीं रायगांव में कांग्रेस की जीत हुई है.
अगर यही ट्रेंड जारी रहा तो कांग्रेस राज्य में अब से दो साल बाद होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर दे सकती है.
कांग्रेस को सबसे बड़ी जीत हिमाचल प्रदेश से मिली है, जहां पार्टी ने एक लोकसभा सीट और तीन विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है. मंडी लोकसभा सीट से पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने जीत हासिल की.
ये रिजल्ट कांग्रेस के लिए शुभ संकेत हैं क्योंकि हिमाचल प्रदेश में अब से एक साल बाद चुनाव होने वाले हैं. पार्टी अब बीजेपी से राज्य में सत्ता हथियाने की अपनी संभावनाओं की कल्पना कर रही होगी.
राज्य में उपचुनाव का परिणाम बीजेपी और कांग्रेस के लिए मिला-जुला रहा. दोनों को एक-एक सीट मिली है. हंगल में कांग्रेस की जीत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीएम बसवराज बोम्मई के गृह जिले हावेरी का हिस्सा है, जो खुद शिगगांव सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं.
यह जीत राज्य में मुख्य विपक्ष के रूप में कांग्रेस को मजबूत करती है और अब से लगभग 18 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में इसे मजबूती देगी.
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Published: 02 Nov 2021,09:21 PM IST