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कर्नाटक के बाद भी मोदी सरकार के लिए परीक्षा का दौर खत्म नहीं हुआ है. अब सबकी नजर 28 मई पर टिक गई हैं जहां महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की लोकप्रियता परखी जाएगी.
इसी दिन यूपी, महाराष्ट्र, नगालैंड में कुल 4 लोकसभा सीटों के अलावा यूपी, बिहार, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, मेघालय, पंजाब, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल की कुल 10 विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव है.
लोकसभा की इन 4 सीटों में से 3 सीटें बीजेपी के पास थीं. फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार को देखते हुए इन चुनावों के लिए खासी उत्सुकता है. बीजेपी का अब तक उपचुनावों में रिकॉर्ड खराब ही रहा है. ऐसे में यूपी की कैराना, महाराष्ट्र की भंडारा गोंदिया और पालघर सीट पर पार्टी अपनी सीट बचाने के लिए बीजेपी को पूरा जोर लगाना होगा. कैराना में बीजेपी के खिलाफ, पूरा विपक्ष है तो पालघर में सहयोगी शिवसेना ही विरोध में खड़ी हो गई है. जाहिर है कि इन चुनाव में जीत हार को 2019 लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जाएगा.
बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद से कैराना लोकसभा की सीट खाली है. भंडारा-गोंदिया सीट से पिछले साल बीजेपी के नाना पटोले ने इस्तीफा दे दिया था और कांग्रेस में शामिल हो गए थे. वहीं बीजेपी सांसद चिंतामणि वनगा के निधन के बाद पालघर सीट खाली हो गई. नगालैंड सीट तब खाली हो गई थी, जब नेफ्यू रियो ने राज्य का मुख्यमंत्री बनने के लिए लोकसभा सदस्य से इस्तीफा दे दिया था.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना उपचुनाव के लिए बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो गया है. राष्ट्रीय लोक दल की प्रत्याशी तबस्सुम हसन, बीजेपी की प्रत्याशी और हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह से मुकाबला करेंगी. खास ये है कि तबस्सुम हसन को एसपी का समर्थन हासिल है. साथ ही गोरखपुर और फूलपुर में उम्मीदवार उतारने वाली कांग्रेस ने भी तबस्सुम को समर्थन देने की घोषणा कर दी है. इससे ये भी साफ हो गया है कि इस चुनाव में विपक्ष सांकेतिक तौर पर भी अलग- अलग नहीं लड़ेगा. बीजेपी और विपक्ष के बीच सीधा मुकाबला है.
ये सीट बीजेपी के पास थी. बीजेपी के बागी सांसद नाना पटोले इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए थे. भंडारा-गोंदिया सीट पर एनसीपी उम्मीदवार मधुकर कुकड़े और बीजेपी के हेमंत पाटले के बीच मुकाबला है. इस सीट पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं उतार रही है. दरअसल, पालघर सीट पर कांग्रेस और भंडारा-गोंदिया पर एनसीपी ने अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है. ऐसे में नाना पटोले को कांग्रेस का उम्मीदवार नहीं बनाया गया है. एक उलझन ये भी थी कि माना जा रहा था अगर कांग्रेस उन्हें उम्मीदवार बनाती तो एनसीपी का एक धड़ा सहयोग नहीं करता.
पालघर लोकसभा सीट पर बीजेपी और शिवसेना के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई है. शिवसेना ने चिंतामण के बेटे श्रीनिवास वनगा को अपने पाले में खींचा और टिकट दे दिया. जिससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं.
बीजेपी ने भी शिवसेना की धार कम करने के लिए स्थानीय नेता और आदिवासी वोटों पर मजबूत पकड़ रखने वाले पूर्व कांग्रेस नेता राजेंद्र गावित को टिकट दिया है. हालांकि इसके लिए पार्टी को आलोचना का सामना भी करना पड़ा. वहीं कांग्रेस-एनसीपी ने समझौते के बाद दामोदर शिंगदा को उम्मीदवार बनाया है वो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.
नगालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए 28 मई को होने वाले उपचुनाव में सत्ताधारी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्राग्रेसिव पार्टी (NDPP) और विपक्षी नगा पीपुल्स फ्रंट ( NPF ) के बीच सीधी टक्कर होगी. चुनाव मैदान में बस यही दो उम्मीदवार बचे. नेफियू रियो के इस्तीफे के कारण नगालैंड लोकसभा सीट पर चुनाव की जरूरत पड़ी है. मौजूदा मुख्यमंत्री रियो ने नगालैंड विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए इस साल फरवरी में लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
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Published: 21 May 2018,04:58 PM IST