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देश के 12 राज्यों में उपचुनाव हो रहे हैं. 56 विधानसभा सीटों और बिहार की 1 लोकसभा सीट के लिए ये चुनाव 3 और 7 नवंबर को हो रहे हैं. आज 54 सीटों पर वोटिंग हो रही है. कोरोना, लॉकडाउन, बेपटरी इकनॉमी के बाद बिहार विधानसभा चुनाव जहां एक राज्य की नब्ज का हाल बताएंगे वहीं इन उपचुनावों का महत्व ये है कि ये देश के बड़े हिस्से में जनता के मूड के बारे में इशारा करेंगे. हालांकि राज्यों के हिसाब इस उपचुनावों के अलग से भी महत्व हैं.
एक साथ इतनी सीटों पर उपचुनाव. ये किसी मिनी विधानसभा चुनाव की तरह लग रहा है. इसके अलावा ये उपचुनाव मध्य प्रदेश के कुछ दिग्गज नेताओं की राजनीतिक किस्मत को लेकर भी एक दांव की तरह है. जिनमें खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सबसे अहम, जो पूरी लड़ाई के केंद्र बिंदु हैं कांग्रेस को तगड़ा झटका देकर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया.
अब शिवराज सिंह चौहान अन्य विधायकों पर निर्भर नहीं रहना चाहेंगे, इसीलिए बीजेपी को इस उपचुनाव में 28 में से कम से कम 9 सीटें जीतनी जरूरी होंगी. जिससे वो अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को पार कर जाएगी.
सीएम शिवराज सिंह चौहान 28 सीटों में से कम से कम आधी सीटें जीकर पार्टी में अपने खिलाफ उठने वाले सुरों को भी दबाने की कोशिश करेंगे. अब दूसरी तरफ कांग्रेस की अगर बात करें तो उसके पास फिलहाल 88 विधायक हैं. अगर कांग्रेस को बहुमत का आंकड़ा पार करना है तो उसे सभी 28 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी.
यूपी की 7 सीटों पर होने जा रहे ये उपचुनाव विपक्षी पार्टियों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, जो योगी सरकार को हाथरस केस, किसान संबंधी कानूनों और बेरोजगारी संकट पर घेर रही हैं. ये देखना अहम है कि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस में से बीजेपी के खिलाफ उपचुनाव में कौन मुख्य प्रतिद्वंदी के तौर पर उभरती है.
बीजेपी ने ये ध्यान रखा है कि वो ठाकुरों की पार्टी न दिखे. पार्टी ने मल्हनी और नौगवां सादात में ठाकुर उम्मीदवार उतारे हैं. लेकिन देवरिया और बांगरमऊ में एक ब्राह्मण और एक कुर्मी को उतारा है. ये सीट पहले ठाकुरों के पास थी. वहीं समाजवादी पार्टी और आरएलडी मिलकर चुनाव लड़ रही हैं. लड़ाई असल में SP, BSP और Congress के बीच है कि कौन बीजेपी के खिलाफ विरोधी बनकर खड़ा होगा.
कांग्रेस के लिए दांव पर उसका भविष्य है. अगर वो एक-दो सीट जीतती है तो दावा कर सकती है कि पार्टी प्रदेश में उभर रही है. हालांकि, अगर कोई सीट नहीं जीतती है तो प्रियंका-राहुल के नेतृत्व पर फिर से सवाल उठेंगे.
BSP ने उपचुनाव न लड़ने की परंपरा तोड़ी है. यूपी में बीजेपी के बाद BSP के पास ही सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं, लेकिन जमीन पर SP और मीडिया में कांग्रेस ज्यादा दिखती है. उपचुनाव में जीतकर BSP आलोचकों को चुप करा सकती है और यूपी में मुख्य विपक्षी ताकत बनकर उभर सकती है.
गुजरात में आठ विधानसभा सीटें इसी साल कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई थीं.
ये सभी सीटें कांग्रेस के खाते से गई हैं तो कांग्रेस के लिए ये बड़ी चुनौती होगी कि इन्हें दोबारा से अपने कब्जे में लिया जाए.
इन तीन बड़े राज्यों में उपचुनाव के अलावा झारखंड, कर्नाटक, मणिपुर, नगालैंड, ओडिशा में दो-दो सीटें और छत्तीसगढ़, हरियाणा और तेलंगाना में एक-एक सीट पर उपचुनाव है. बिहार की वाल्मिकी नगर लोकसभा सीट पर सांसद बैद्यनाथ प्रसाद महतो की मौत के बाद अब 7 नवंबर को उपचुनाव कराए जाने हैं. इन सभी चुनावों के नतीजे बिहार चुनाव के साथ 10 नवंबर को जारी किए जाएंगे.
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Published: 30 Oct 2020,07:04 PM IST