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राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में बगावत हो चुकी है और पार्टी के सांसदों ने चिराग पासवान (Chirag Paswan) को किनारे कर पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया है. खुद पशुपति पारस ने पार्टी की कमान अपने हाथों में लेने की बात कही. लोकसभा में नेता बदले जाने के बाद अब चिराग पासवान को एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया है.
अपने ही चाचा से मिली इस बगावत के बाद चिराग पासवान ने उन्हें मनाने की कई कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हुए. जिसके बाद अब चिराग ने एक पुरानी चिट्ठी अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की है. जिसमें उन्होंने चाचा पशुपति पारस को बताया है कि, 'पिता की मौत के बाद आपके व्यवहार से मैं टूट गया और अब रिश्तों पर भरोसा नहीं कर पाता हूं.'
चिराग पासवान ने जो चिट्ठी ट्विटर पर शेयर की है, वो उन्होंने होली पर अपने चाचा को लिखी थी. उनके इस लेटर में लिखा है, आज होली के दिन यह पत्र मैं इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि पापा के बिना ये पहली होगी है, जिसमें हम सब साथ नहीं है. जब तक पापा थे इस त्योहार को हम लोग खूब धूमधाम से मनाते थे. पर अब उनके नहीं रहने पर शायद ही हम कभी वैसी होली दोबारा मना पाएं.
चिराग ने आगे लिखा, इस पत्र को लिखने से पहले आपसे मिलकर बात करना चाहता था. खालिक साहब और सूरजभान जी ने कई बार प्रयास किया कि यदि कहीं कोई समस्या है तो उसे साथ बैठकर सुलझा लिया जाए. लेकिन आपकी तरफ से कभी कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला, जिसके परिणामस्वरूप आज सारी बातें इस पत्र के माध्यम से आपको लिख रहा हूं. उन्होंने आगे लिखा,
चिराग पासवान ने अपनी इस चिट्ठी में बिहार चुनाव और बाकी तमाम उन बातों का जिक्र किया, जिन पर पशुपति पारस ने असहमति जताई थी. चिराग पासवान ने बार-बार इस बात का जिक्र किया कि, चाचा के इस व्यवहार से उनके पिता राम विलास पासवान काफी दुखी थे. चिराग पासवान ने पशुपति पारस को लिखा कि,
“मुझे पापा के जाने के बाद सबसे ज्यादा आपकी जरूरत थी, लेकिन आपने जब चुनाव से पहले नीतीश कुमार के पक्ष में बात की तो मुझे बेहद दुख हुआ. पार्टी के प्रत्याशियों ने आपके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की, लेकिन मैंने नजर अंदाज किया. पापा के नहीं रहने पर एक पिता के तौर पर आपसे मार्गदर्शन की अपेक्षा रखता था. मुझे उम्मीद थी कि जब मैं पापा के निधन के बाद उनकी क्रिया कार्यों में एक पुत्र की जिम्मेदारी निभा रहा था तब आप चुनाव की तैयारियों में मेरा साथ देते, लेकिन आपने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. चुनाव के दौरान आपके दो लोगों को टिकट नहीं मिलने के कारण आपने पापा की की मृत्यु के बाद जिस तरह का व्यवहार मेरे साथ किया उससे मैं टूट गया और अब रिश्तों पर भरोसा नहीं कर पाता हूं.”
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