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नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के खिलाफ असम में विरोध प्रदर्शन तेज हो चुके हैं. संसद में इस विधेयक को पेश किए जाने से ठीक पहले असम में कई संगठनों ने बंद का ऐलान किया है. कई तरह के प्रदर्शनों में नग्न होकर प्रदर्शन और तलवार लेकर प्रदर्शन करना भी शामिल है. इसके विरोध में मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के चबुआ स्थित निवास और गुवाहाटी में वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा के घर के बाहर पोस्टर चिपकाए गए.
ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) ने अपने मुख्यालय से मशाल जलाकर जुलूस निकाला और गुवाहाटी की सड़कों पर प्रदर्शन किया. उत्तर पूर्व के मूल निवासियों का कहना है कि बाहर से आकर नागरिकता लेने वाले लोगों से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा है. आसू और अन्य संगठन विधेयक के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.
नागरिकता विधेयक के विरोध में वामपंथी विचारधारा वाले करीब 16 संगठनों ने 10 दिसंबर को 12 घंटे का असम बंद आहूत किया है. पूर्वोत्तर छात्र संगठन (एनईएसओ) इसी मुद्दे को लेकर मंगलवार को सुबह पांच बजे से 11 घंटे के पूर्वोत्तर बंद का पहले ही आह्वान कर चुका है. कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के सलाहकार अखिल गोगोई ने कहा कि केएमएसएस और उसके सहयोगी संगठनों ने इन संगठनों और छात्र संगठन द्वारा बुलाए गए बंद को अपना समर्थन जताया है.
उन्होंने बताया कि केएमएसएस ने सूटिया, मोरान और कोच-राजबोंग्शी जैसे विभिन्न आदिवासी छात्र निकायों द्वारा सोमवार को आहूत 12 घंटे के असम बंद को भी समर्थन दिया है. एसएफआई, डीवाईएफआई, एआईडीडब्ल्यूए, एसआईएसएफ, आइसा, इप्टा जैसे 16 संगठनों ने संयुक्त बयान में “विधेयक को रद्द करने” की मांग की और मंगलवार को सुबह पांच बजे से “12 घंटे का असम बंद” आहूत किया. हालांकि नगालैंड में जारी होर्नबिल फेस्टिवल की वजह से उसे बंद के दायरे से छूट दी गई है.
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