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"चुनावी नहीं वैचारिक यात्रा"- कांग्रेस की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' मणिपुर से होगी शुरू

Bharat Jodo Nyay Yatra: पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे. यह 12 बजे दोपहर से शुरू होगी.

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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<div class="paragraphs"><p>कांग्रेस की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' आज मणिपुर से होगी शुरू, जयराम बोले-10 साल अन्याय के काल  </p></div>
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कांग्रेस की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' आज मणिपुर से होगी शुरू, जयराम बोले-10 साल अन्याय के काल

(फोटोः क्विंट हिंदी)

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Bharat Jodo Nyay Yatra: कांग्रेस (Congress) की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' आज यानी 14 जनवरी को राहुल गांधी के नेतृत्व में शुरू होगी. यह यात्रा पहले मणिपुर की राजधानी इंफाल से शुरू होने वाली थी पर, अब यह थौबल जिले से होगी. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे. यह 12 बजे दोपहर से शुरू होगी, उससे पहले राहुल गांधी थौबल में खोंगजोम युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे. यह यात्रा नॉर्थ इस्ट के 4 राज्यों से होकर गुजरेगी.

इस दौरान राहुल गांधी बस से और पैदल 6 हजार 713 किलोमीटर से ज्यादा का सफर करेंगे. यह यात्रा 15 राज्य और 110 जिलों के 337 विधानसभा सीटों और 100 लोकसभा सीटों को कवर करेगी, जो 20 मार्च को महाराष्ट्र में समाप्त होगी.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश, पार्टी नेताओं ओकराम इबोबी सिंह, कीशम मेघचंद्र सिंह, नबाम तुकी और गइखंगम के साथ राज्य की राजधानी इंफाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जयराम रमेश ने कहा कि देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती ध्रुवीकरण, आर्थिक असमानताएं और राजनीतिक सत्तावाद है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमृतकाल के सुनहरे सपने दिखा रहे हैं, लेकिन हकीकत है कि "पिछले 10 साल, अन्याय के काल" रहे हैं. पिछले 10 साल में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अन्याय हुआ है, उसी को ध्यान में रखते हुए भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाली जा रही है. कांग्रेस पार्टी के मन में क्या है, इस बारे में राहुल गांधी जनता के बीच जाकर बताएंगे. यह एक वैचारिक यात्रा है, चुनावी यात्रा नहीं है.
जयराम रमेश, कांग्रेस महासचिव

पार्टी की पहली पसंद राज्य की राजधानी इम्फाल के बजाय यात्रा को थौबल जिले के एक मैदान से रवाना किया जाएगा. मणिपुर सरकार ने यात्रा में सीमित संख्या और कुछ शर्तों के साथ इंफाल के लिए कांग्रेस को मंजूरी दे दी थी, लेकिन कांग्रेस ने इसे ठुकरा दिया और दूसरे विकल्प को चुना.

थौबल जिला प्रशासन ने कार्यक्रम पर कुछ प्रतिबंध भी लगाए हैं, जैसे कि समय एक घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए और यात्रा में शामिल होने वालों की संख्या 3,000 से अधिक नहीं होनी चाहिए.

इसके शुरू करने से पहले राहुल गांधी थौबल में खोंगजोम युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे, जो 1891 में आखिरी एंग्लो-मणिपुर युद्ध में मारे गए लोगों की याद में बनाया गया था. यात्रा एक दिन के लिए मणिपुर में होगी और 100 किमी से कुछ अधिक दूरी तय करेगी.

बता दें, पिछले नौ महीनों में कुकी जनजातियों और मैतेई लोगों के बीच जातीय हिंसा में 180 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं.

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PAPPM ने क्या आरोप लगाया

मणिपुर के संगठन पीपुल्स एलायंस फॉर पीस एंड प्रोग्रेस मणिपुर (पीएपीपीएम) ने शनिवार (13 जनवरी) को एक बयान में आरोप लगाया कि राहुल गांधी की यात्रा "अवैध प्रवासियों के समर्थन में है".

"अफसोस की बात है, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि मणिपुर में कुकी शरणार्थियों के लिए पुनर्वास प्रयास, जिसमें मतदान का अधिकार देना भी शामिल है, लगातार कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकारों द्वारा शुरू किए गए थे. इन प्रयासों के पीछे प्राथमिक उद्देश्य एकीकृत करके राजनीतिक समर्थन को मजबूत करने का रणनीतिक उद्देश्य पाना रहा है. शरणार्थियों (अवैध आप्रवासियों) को कांग्रेस पार्टी ने वोट बैंक बनाया.''
एम बॉबी मीतेई, पीएपीपीएम प्रमुख

पीएपीपीएम ने बयान में आरोप लगाया, "हम इस बात पर प्रकाश डालना चाहेंगे कि मणिपुर में वर्तमान हिंसक संकट विशेष रूप से म्यांमार से मणिपुर में कुकी शरणार्थियों की अनियंत्रित आमद से है. साल 1949 में भारतीय संघ में विलय के बाद मतदान के अधिकार के साथ मणिपुर में उनके पुनर्वास का परिणाम है."

कुकी जनजाति ने क्या कहा?

कुकी जनजातियों का दावा है कि एन बीरेन सिंह सरकार केवल पहाड़ियों में जमीन हड़पना चाहती है और इसलिए उन्होंने कुकी जनजातियों के खिलाफ मैतेई के बीच डर पैदा करने के लिए बहाने खोजे, जिससे हिंसा हुई. 3 मई, 2023 को झड़पों के फैलने के बाद, कुकी जनजातियां मणिपुर से अलग एक अलग प्रशासन की मांग कर रही हैं.

हालांकि, मेइतेई लोगों का कहना है कि कुकी जनजातियां हमेशा एक अलग भूमि की मांग के लिए काम करती रही हैं और मेइतेइयों की अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी की मांग के खिलाफ उनका विरोध केवल राज्य में संकट लाने का एक बहाना था.

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