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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में विधानसभा चुनाव आने से पहले कांग्रेस में एक बार फिर खींचतान का दौर शुरू हो गया है. तरफ जहां भावी मुख्यमंत्री को लेकर सवाल उठ रहे हैं तो वही नेताओं की आपस में बयानबाजी भी तेज हो गई है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने पिछले दिनों राज्य में कांग्रेस का मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, इस पर सीधे जवाब न देने के बाद से कांग्रेस के भीतर एक नए तरह की बहस छिड़ी हुई है. सबसे पहला सवाल नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने उठाया और पार्टी संविधान का हवाला दिया, साथ ही यहां तक कह दिया कि जिसे मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाएगा अगर वही चुनाव हार गया तो फिर क्या होगा.
गोविंद सिंह का यह बयान सामने आने के बाद पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने गोविंद सिंह पर भूल जाने की आदत तक का जिक्र कर डाला.
पहले गोविंद सिंह का बयान आया और उसके बाद सज्जन वर्मा का बयान आते ही राज्य की सियासत में हलचल मच गई और BJP की ओर से चुटकियां ली जाने लगी. तभी गोविंद सिंह की सफाई आई और उन्होंने संविधान का हवाला दिया, साथ ही यह भी कहा कि दिल्ली में बड़े नेताओं की बैठक में तय हुआ था कि कमलनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा. इतना ही नहीं, गोविंद सिंह ने संविधान और पार्टी की परंपरा का भी हवाला दिया.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस में गुटबाजी और खींचतान आम बात रही है. कमलनाथ के अध्यक्ष बनने के बाद इस पर विराम लगा था, मगर अब स्थितियां चुनाव करीब आते ही बदल गई हैं. कई नेताओं की महत्वाकांक्षा हिलोरे मारने लगी हैं और यही कारण है कि गोविंद सिंह का बयान सामने आया है. अभी तो शुरूआत है, आने वाले समय में और भी इसी तरह के बयान सामने आएं तो अचरज नहीं होगा.
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