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पश्चिम बंगाल तो बहाना है, कांग्रेस में घमासान पुराना है

G-23 नेताओं की चिट्ठी के बाद से कांग्रेस पार्टी में बढ़ी तकरार.

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पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले कांग्रेस की अंदरूनी कलह खुलकर नजर आ रही है. बंगाल में इंडियन सेक्युलर फ्रंट से गठबंधन को लेकर पार्टी के सीनियर नेता आनंद शर्मा ने सवाल उठाए हैं, तो वहीं पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने आनंद शर्मा के सवालों पर ही सवाल दाग दिए हैं. लेकिन असल बात ये है कि 'बंगाल तो बहाना है, कांग्रेस में ये तकरार पुराना है'. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं ये आपको आगे बताते हैं.

ISF के साथ गठबंधन पर तकरार

दरअसल, बंगाल में कांग्रेस पार्टी लेफ्ट के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने जा रही है. इस गठबंधन में अब फुरफुरा शरीफ के अब्बास सिद्दीकी की इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) की एंट्री हुई है. इसी को लेकर कांग्रेस के सीनियर नेता आनंद शर्मा ने अपनी ही पार्टी के फैसले पर सवाल उठा दिए हैं.

आनंद शर्मा ने कहा है कि ये गठबंधन कांग्रेस की विचारधारा के खिलाफ है. साथ ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को अपना पक्ष स्पष्ठ करने को कहा था. जिस पर अधीर रंजन चौधरी ने 'नो योर फैक्‍ट्स, आनंद शर्मा (Know Your Facts, Anand Sharma)' के हैडिंग से कई ट्वीट किए, उन्होंने कहा,

‘कांग्रेस बंगाल में लेफ्ट फ्रंट की सहयोगी है जो बीजेपी को हराने के लिए तैयार है. इस फ्रंट के निर्णय को सांप्रदायिक करार देना बीजेपी के ‘हाथों में खेलने’ जैसा ही होगा. कांग्रेस के चुनिंदा असंतुष्‍टों के समूह से आग्रह करूंगा कि अपने कम्‍फर्ट स्‍पॉट से बाहर निकलें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करना बंद करें.’

ये तो हुई ताजा कलह की बात. आपको बताते हैं कि अधीर रंजन चौधरी ने ‘बीजेपी के हाथों में खेलना’ या ‘पीएम मोदी की तारीफ करना बंद करें’ जैसी बात क्यों कहीं.

दरअसल, अभी हाल ही में कांग्रेस के सीनियर और पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं में से एक गुलाम नबी आजाद ने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की. उन्होंने पीएम मोदी को एक जमीन से जुड़ा हुआ नेता बताया, साथ ही कहा कि लोगों को उनसे ये सीखना चाहिए कि कैसे कामयाबी मिलने के बाद भी अपनी जड़ों को याद रखा जाता है. वहीं जब कांग्रेस चुनाव दर चुनाव जूझ रही है तब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व और संगठन में बदलाव न होने को लेकर सवाल उठाने वाले करीब 23 वरिष्ठ नेता जम्मू-कश्मीर में इकट्ठा हुए थे.
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तकरार का किस्सा पुराना

अब तकरार की पुरानी कहानी पर चलते हैं, कांग्रेस में तकरार की कहानी की शुरुआत होती है 2019 के मई महीने से. 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ता है. दबी जुबान में राहुल के नेतृत्व पर सवाल उठने लगते हैं. हार के बाद 25 मई 2019 को हुई पार्टी कार्य समिति की बैठक में राहुल ने इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन तब पार्टी ने उन्हें ऐसा करने से रोका, लेकिन 3 जुलाई 2019 को चुनावी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए राहुल ने कहा कि पार्टी की ''भविष्य के विकास'' के लिए उनका इस्तीफा देना जरूरी था.

उन्होंने कहा, ''कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर 2019 के चुनाव की हार की जिम्मेदारी मेरी है. हमारी पार्टी के भविष्य के विकास के लिए जवाबदेही होना महत्वपूर्ण है. इसी कारण से मैंने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है.''

G-23 की चिट्ठी के बाद बढ़ा घमासान

अब कांग्रेस को नए अध्यक्ष की तलाश थी. लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था. वक्त बीतता गया और अगस्त 2020 में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से ठीक पहले पार्टी में 'नये नेतृत्व और बड़े स्तर पर बदलाव' को लेकर पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की मुखिया सोनिया गांधी को पत्र लिखा. चिट्ठी में कहा गया कि पार्टी के अंदर टॉप से से लेकर नीचे तक बड़े बदलाव की जरूरत है.

चिट्ठी लिखने वालों में से सिर्फ चार लोग ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य थे- गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद. इनके अलावा मनीष तिवारी, शशि थरूर और विवेक तनखा, पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह हुडा, एम वीरप्पा मोईली, पृथ्वीराज चव्हाण, पीजे कूरियन, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा, राज बब्बर ने पत्र पर हस्ताक्षर किए थे.

वहीं बैठक को लेकर मीडिया में सूत्रों के हवाले से कई खबरें चलने लगीं और पार्टी में उठापटक का दौड़ शुरू हो गया.

सूत्रों के हवाले से मीडिया में खबरें आईं कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मीटिंग के दौरान कह दिया कि कुछ नेता बीजेपी के साथ साठ-गांठ कर रहे हैं. इस पर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सीधे राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए ट्विटर पर ट्वीट दाग दिया.

कपिल सिब्बल ने लिखा कि ‘30 साल से हमने बीजेपी के समर्थन में किसी भी मुद्दे पर बयान नहीं दिया. लेकिन फिर भी ‘हम बीजेपी से साठ-गांठ कर रहे हैं’ इसे सिब्बल की नाराजगी के तौर पर देखा गया.

जैसे ही ये खबर आई कांग्रेस पार्टी बचाव में आ गई. कांग्रेस प्रवक्ता ने सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी ने ऐसा कुछ नहीं कहा है. ये गलत खबर है. फिर क्या था कुछ ही देर बाद सिब्बल ने ये ट्वीट वापस ले लिया और सफाई जारी करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने मुझे व्यक्तिगत रूप से जानकारी दी है कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा.

लेकिन रिश्तों में खटास आ चुकी थी. कपिल सिब्बल समेत बाकी 23 नेता किसी न किसी मंच से दबी जुबान में ही सही पार्टी पर सवाल उठा रहे थे.

अभी हाल ही में बिहार चुनाव में कांग्रेस के खराब परफॉर्मेंस पर भी कपिल सिब्बल ने कहा था,

‘’अगर 6 साल तक कांग्रेस ने आत्ममंथन नहीं किया है तो हम अब आत्ममंथन के लिए क्या उम्मीद करें? हमें पता है कि कांग्रेस के साथ क्या गलत है. संगठनात्मक रूप से, हम जानते हैं कि क्या गलत है. मुझे लगता है कि हमारे पास सभी जवाब हैं.’’

फिलहाल कांग्रेस पार्टी के लिए बंगाल विधानसभा की राह भी मुश्किल है और पार्टी में चल रही पुरानी घमासान से निपट पाना भी टफ टास्क लग रहा है. पार्टी के अंदर चिंगारी सुलग रही है जिस पर कभी अधीर रंजन तो कभी रणदीप सुरजेवाला पानी डालते रहते हैं. अब देखना होगा कि इस कांग्रेस बनाम कांग्रेस की लड़ाई का अंत कैसे और कब होता है.

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