advertisement
गुजरात की सूरत (Surat) लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रहे नीलेश कुंभानी, जिनका नामांकन फॉर्म गड़बड़ी के कारण खारिज कर दिया गया, 20 दिनों के बाद शनिवार (11 मई) को फिर से सामने आए और आरोप लगाया कि यह कांग्रेस पार्टी थी, जिसने 2017 में उन्हें सबसे पहले धोखा दिया था.
कुंभानी का पर्चा खारिज होने के बाद सूरत सीट पर बीजेपी ने निर्विरोध जीत हासिल की.
नीलेश कुंभानी ने कहा कि वह राज्य पार्टी अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल और पार्टी के राजकोट लोकसभा उम्मीदवार परेश धनानी के प्रति सम्मान के कारण इतने दिनों तक चुप रहे.
कुंभानी, जिन्हें पिछले महीने छह साल के लिए कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था, 25 साल से पार्टी से जुड़े थे और उन्होंने सूरत नगर निगम के साथ-साथ राज्य विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कुंभानी ने कहा, “मैंने कांग्रेस को उचित जवाब दिया है, जिसने 2017 के राज्य चुनावों में मुझे धोखा दिया था.”
उन्होंने आगे कहा, "मुझे दुख हुआ और यह पाटीदार समुदाय के बीच चर्चा का विषय बन गया. कांग्रेस ने मुझे धोखा दिया था और यह (सूरत से उनकी उम्मीदवारी की अस्वीकृति) एक उचित उत्तर था."
यह पूछे जाने पर कि 2022 के राज्य चुनावों में विश्वासघात और "बदला" का सवाल क्यों नहीं सुलझाया गया, जब उन्होंने फिर से कामरेज से चुनाव लड़ा. कुंभानी ने कहा, "मुझे कामरेज सीट से 2022 के चुनाव में 27,511 वोट मिले. मेरे पास कामरेज में कार्यकर्ताओं का एक अच्छा समूह है, जो बारडोली लोकसभा क्षेत्र में आता है, न कि सूरत में (जहां से उन्हें मैदान में उतारा गया था इसलिए, मैंने पार्टी को सबक सिखाने के बारे में सोचा और मैंने ऐसा किया."
एक पाटीदार और एक रियल एस्टेट व्यवसायी, कुंभानी का लोकसभा नामांकन बीजेपी उम्मीदवार के एजेंट दिनेश जोधानी द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद खारिज कर दिया गया था कि नामांकन फॉर्म पर प्रस्तावक जगदीश सावलिया (कुंभानी के बहनोई), रमेश पोलरा (कुंभानी के बिजनेस पार्टनर) और ध्रुविन धमेलिया के साथ-साथ पडसाला के प्रस्तावक विशाल कोलाडिया के हस्ताक्षर फर्जी थे.
उन्होंने आगे कहा, "सूरत कांग्रेस के नेताओं ने चुनाव में मेरा समर्थन नहीं किया. मेरे बहनोई जगदीश सावलिया सहित मेरे समर्थक मुझसे नाराज थे और कांग्रेस को सबक सिखाना चाहते थे कि 2017 के राज्य चुनावों में उसने मुझे कैसे धोखा दिया. मैंने उन्हें शांत करने की कोशिश की और उनसे कहा कि वे अभियान में शामिल हों और मेरी जीत के लिए काम करें. आख़िरकार वे कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और कहा कि उनके हस्ताक्षर नकली हैं. उन्होंने मेरे या मेरे डमी उम्मीदवार के सामने नामांकन फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं किए थे."
कुंभानी ने दावा किया कि नामांकन खारिज होने के बाद वह सूरत में "अज्ञात स्थान पर" थे और उन्होंने सौराष्ट्र में कुछ दिन भी बिताए. “मेरा फॉर्म खारिज होने के बाद, मैं अहमदाबाद के लिए रवाना हुआ और गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के लिए कांग्रेस के वकील बी एम मंगुकिया से बात की. वडोदरा में कर्जन जाते समय मुझे पता चला कि कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और मेरे घर के दरवाजे पर मुझे गद्दार बताते हुए बैनर लटका दिए. मैं अपना आपा खो बैठा और सूरत लौट आया और छिप गया... मैंने अपना फोन बंद कर दिया."
कुंभानी ने कहा, "मुझे नहीं पता था कि हस्ताक्षर संबंधी मुद्दों के कारण नामांकन खारिज हो सकता है. ये मैंने पहली बार देखा. मेरे कार्यालय के कर्मचारी और समर्थक भी मेरे चुनाव लड़ने के खिलाफ थे... मैंने अपनी भविष्य की योजना तय नहीं की है कि आम आदमी पार्टी में शामिल होऊं या बीजेपी में, क्योंकि मेरी अपनी पार्टी ने मुझे छह साल के लिए निलंबित कर दिया है. मैं कामरेज के लोगों के लिए सामाजिक कार्य करना जारी रखूंगा.”
कुम्भानी ने दावा किया कि कांग्रेस सूरत से चुनाव नहीं जीत पाती. उन्होंने दावा किया, "लोग खुश हैं और वोट डालने के लिए चिलचिलाती गर्मी में खड़े न होने के लिए मुझे धन्यवाद दिया."
अपने घर पर पुलिस कर्मियों की मौजूदगी के बारे में पूछे जाने पर कुंभानी ने कहा, "मेरी जान को खतरा है और इसलिए पुलिस ने मुझे सुरक्षा दी है."
लोकसभा चुनाव 2024 से जुड़ी तमाम खबरें पर यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined