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कांग्रेस नेता सोनिया गांधी , मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी ने राम मंदिर (Ram Mandir) उद्घाटन समारोह के निमंत्रण को नकार दिया है. कांग्रेस (Congress) ने कहा है कि धर्म व्यक्तिगत मामला है लेकिन आरएसएस और बीजेपी (BJP) ने अयोध्या (Ayodhya) मंदिर को राजनीतिक प्रोजेक्ट बना दिया है.
इस मसले पर बीजेपी ने सवाल खड़े किए और कई नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि, "...यह वही कांग्रेस है जिसने भगवान राम को काल्पनिक बताया था...आज जब कांग्रेस ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया है तो साफ देखा जा सकता है कि भारत की जनता आने वाले भविष्य में भी उनका बहिष्कार करें.”
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, "कांग्रेस पार्टी का भगवान राम विरोधी चेहरा देश के सामने है. इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में जिस पार्टी ने अदालत में हलफनामा दायर किया था कि भगवान राम एक काल्पनिक चरित्र हैं. नेतृत्व ने राम मंदिर के प्राणप्रतिष्ठा के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया... सोनिया गांधी और कांग्रेस के नेतृत्व में, INDI गठबंधन ने बार-बार सनातन धर्म का अपमान किया है. अब, नेताओं द्वारा प्राणप्रतिष्ठा के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया गया है जो INDI गठबंधन की सनातन विरोधी मानसिकता को दर्शाता है.”
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मामले पर कहा
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि, "वे दर्शन के लिए कैसे जाएंगे? क्या यह सच नहीं है कि कांग्रेस ने यह सुनिश्चित करने के लिए वरिष्ठ वकीलों को मैदान में उतारा कि वहां राम मंदिर का निर्माण न हो? उन्होंने भगवान राम को एक काल्पनिक चरित्र कहा. राम सेतु को खारिज कर दिया... यही उनकी मानसिकता शुरू से रही है. मुझे नहीं लगता कि उनकी सोच बदलने वाली है... लेकिन देश की जनता ने संदेश दे दिया है कि उनके मन में भगवान राम के अलावा पीएम मोदी भी बसते हैं... भगवान राम सिर्फ बीजेपी और आरएसएस के नहीं बल्कि हर व्यक्ति के हैं... अगर कांग्रेस को लगता है कि भगवान राम उनके नहीं हैं, तो यह उनकी समस्या है."
बीजेुपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि, "...इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. पिछले कुछ दशकों में कांग्रेस पार्टी ने वास्तव में कोई कदम नहीं उठाया कि अयोध्या में एक मंदिर होना चाहिए. वास्तव में, कांग्रेस-यूपीए सरकार ने भगवान राम के अस्तित्व को नकारने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया था. अब जब वहां एक मंदिर बन गया है, तो वे कह रहे हैं कि वे वहां नहीं होंगे. उनका हमेशा से मानना रहा है कि वे वहां मंदिर नहीं चाहते थे और यह कहना कि यह बीजेपी या आरएसएस का कार्यक्रम है, एक बहाना है. वास्तव में, यह कांग्रेस पार्टी की अपनी सोच के साथ फिट नहीं बैठता."
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