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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने 2020-21 के दौरान इकनॉमी में 7.3 फीसदी की गिरावट होने पर मंगलवार को चिंता जताते हुए कहा कि अगर 2021-22 में ऐसी स्थिति से बचना है तो सरकार को अपनी गलतियां स्वीकार करते हुए विपक्ष और अर्थशास्त्रियों की सलाह सुननी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘जिसका अंदाजा लगाया जा रहा था, वही हुआ. पिछले वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में 7.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.’’
चिदंबरम ने कहा कि 2018-19 में जीडीपी 140,03,316 करोड़ रुपये थी, 2019-20 में यह 145,69,268 करोड़ रुपये थी और 2020-21 में यह घटकर 135,12,740 करोड़ रुपये हो गई.
उन्होंने कहा कि सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद एक लाख रुपये से नीचे चला गया है. चिदंबरम ने आरोप लगाया, ‘‘निश्चित तौर पर कोरोना महामारी का अर्थव्यवस्था पर व्यापक रूप से असर पड़ा है, लेकिन अकुशल और अक्षम आर्थिक प्रबंधन ने अर्थव्यवस्था की स्थिति को और बिगाड़ दिया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना की दूसरी लहर चल रही है. इसमें पहली लहर की तुलना में संक्रमण और मौतों की संख्या की लिहाज से ज्यादा नुकसान हुआ है. अगर 2020-21 की तरह साल 2021-22 को नहीं होने देना है तो सरकार को जागना चाहिए, अपनी गलतियां स्वीकार करनी चाहिए, अपनी नीतियां बदलनी चाहिए, विपक्ष और अर्थशास्त्रियों की सलाह स्वीकार करनी चाहिए.’’
एक सवाल के जवाब में पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि अगर सरकार को लगता है कि नोट की छपाई होनी चाहिए तो वो कर सकती है क्योंकि भारत के पास ऐसा करने का संप्रभु अधिकार है.
(PTI के इनपुट्स समेत)
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Published: 01 Jun 2021,03:07 PM IST