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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Elections) 2022 के नतीजे आने के बाद राज्य में आम आदमी पार्टी के कद्दावर नेताओं का अपनी पार्टी से मोहभंग होता जा रहा है. कर्नल अजय कोठियाल (Colonel Ajay Kothiyal) के पार्टी छोड़ने के बाद अब आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक बाली (Deepak Bali) ने भी पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया है. ऐसे में आम आदमी पार्टी एक बार फिर उत्तराखंड में हाशिए पर चली गई है.
बता दें, अभी कुछ दिन पहले ही कर्नल अजय कोठियाल ने AAP से इस्तीफा देकर अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ बीजेपी का दामन थाम लिया था. विधानसभा चुनाव 2022 में कर्नल अजय कोठियाल, उत्तराखंड AAP के मुख्यमंत्री का चेहरा थे.
BJP में शामिल होने के बाद दीपक बाली ने AAP छोड़कर बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के पीछे का कारण बताया. उन्होंने कहा कि...
लेकिन, दीपक बाली ने जो पार्टी छोड़ने के लिए दलील दी है. वो सरासर गलत है. आखिर, उस वीडियो की सच्चा क्या थी. नीचे दिए गए लिंक से जानिए.
दीपक बाली ने कहा कि आज प्रदेश में युवा सीएम के नेतृत्व में विकास की बयार चल रही है. पार्टी नेतृत्व उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगा, वह उसका निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ करेंगे.
दीपक बाली को बीजेपी की सदस्यता दिलाने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि....
कांग्रेस के प्रदेश महासचिव अंकुर कहते हैं कि इस समय बीजेपी का ग्राफ नरेन्द्र मोदी के कारण बढ़ा हुआ है. राज्य में आम आदमी पार्टी का कोई जनाधार नहीं है, इस कारण आप के नेता पार्टी छोड़ रहे हैं.
बीजेपी के दिनेश उनियाल कहते हैं कि ये तो शुरुआत का दौर है. बेशक आम आदमी पार्टी ने कर्नल अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर पूर्व सैनिकों के वोट के साथ राज्य की सत्ता में दाखिल होने की राह देखी थी, लेकिन आम आदमी पार्टी की मंशा पूरी नहीं हो सकी.
आम आदमी पार्टी के विधानसभा प्रभारी रहे आलोक सिंह कहते हैं कि जाने वाले नेताओं से पार्टी को कोई नुकसान नहीं है. क्योंकि, इनकी अपनी महत्वाकांक्षाएं बहुत अधिक हैं. आम आदमी पार्टी में सब ठीक है.
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के गिरते विकटों पर केन्द्रीय गढवाल विश्वविद्यालय के राजनीति के प्रोफेसर मनोज रावत कहते हैं कि उत्तराखंड राज्य के आम आदमी पार्टी के नेताओं का पार्टी से मोह भंग इतनी जल्दी हो गया जो उचित नहीं है. चाहे कर्नल हों या बाली सभी अपने लिए ही आये थे. उन्हें आम आदमी पार्टी ने प्लेटफार्म मुहैया कराकर जनता के बीच पहचान दी.
राज्य आंदोलनकारी मानवेद्र सिंह कहते हैं कि आम आदमी पार्टी के नेताओं का जाना बेहद निराशाजनक है. ये नेता विधान सभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की योजनाओं को जनता के बीच ले जाने में असमर्थ रहे.
पंजाब जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी गुजरात में भी सत्ता का सपना देख रही है. लेकिन, उससे पहले ही आम आदमी पार्टी के द्वारा संगठन में बदलाव का दांव उलटा पड़ गया है. आम आदमी पार्टी के तमाम नेता और कार्यकर्ता नाराज हैं. दरअसल, गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ही आम आदमी पार्टी ने अपने गुजरात प्रदेशाध्यक्ष गोपाल इटालिया को छोड़कर सभी संगठन भंग कर दिए थे.
लेकिन, अब नए पदाधिकारियों की घोषणा के बाद पार्टी के नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है. पार्टी के नेताओं की नाराजगी पार्टी के अध्यक्ष गोपाल इटालिया और इसुदान गढवी से है. इसी के चलते तापी जिले के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष समेत सभी जिला सगंठन के लोगों ने अपना इस्तीफा दे दिया है. यही हाल उत्तराखंड AAP का भी था. ऐसे में अब आने वाला वक्त ही बताएगा की गुजरात में अरविंद केजरीवाल का ये निर्णय कितना सही साबित होता है?
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Published: 14 Jun 2022,07:38 PM IST