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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास पर हुए दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के मामले में, दिल्ली की एक अदालत में बुधवार, 11 अगस्त को सुनवाई हुई. जिसमें केजरीवाल और मनीष सिसोदिया समेत 9 विधायकों को अदालत ने बरी कर दिया.
इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करते हुए कहा, यह न्याय और सच्चाई की जीत है. कोर्ट ने कहा कि मामले में सभी आरोप झूठे और निराधार हैं. झूठे आरोप में मुख्यमंत्री को बरी कर दिया गया. हम कह रहे थे सीएम के खिलाफ साजिश की गई है और सारे आरोप झूठे हैं.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि न्याय की जीत हुई, दिल्ली के मुख्यमंत्री की छवि खराब करने के लिए प्रधानमंत्री, केंद्र सरकार व बीजेपी द्वारा रचे गए षड्यंत्र का पर्दाफाश हुआ है. अब नरेंद्र मोदी की केन्द्र सरकार और बीजेपी को चाहिए कि सीएम अरविंद केजरीवाल और दिल्ली की जनता से माफी मांगे. सरकार को चाहिए कि वह राज्य सरकारों के खिलाफ षड्यंत्र रचने और जासूसी करने के बजाय देश की तरक्की की दिशा में काम करे.
प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चुनी हुई सरकार को कमजोर करने से देश कमजोर होगा, पार्टी हित के बजाय देश हित के लिए काम कीजिए. देश की आजादी के बाद यह पहला मामला है जब जनता द्वारा चुने मुख्यमंत्री के खिलाफ किसी प्रधानमंत्री ने साजिश रची है.
मनीष सिसोदिया ने फैसला आने के बाद अपने हैंडल से ट्वीट भी किया.
दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने दिल्ली पुलिस से अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 19 फरवरी की रात मुख्यमंत्री केजरीवाल के आवास पर आम आदमी पार्टी (AAP) के कुछ विधायकों ने उनके साथ मारपीट की.
प्रकाश ने शिकायत में लिखा था कि विज्ञापनों के जारी न होने के मामले में केजरीवाल ने उन्हें बैठक के लिए बुलाया था. हालांकि, दूसरी ओर आम आदमी पार्टी का दावा था कि उन्हें राशन पर चर्चा के लिए बुलाया गया था.
संबंधित मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल समेत 12 अन्य लोगों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. जिसमें धारा 186 (लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) और 120- बी (आपराधिक साजिश की सजा) शामिल हैं.
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