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दिल्ली कांग्रेस में रार बरकरार, चाको ने फिर लिखी दीक्षित को चिट्ठी

पीसी चाको और शीला दीक्षित के बीच की रार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.

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पीसी चाको और शीला दीक्षित
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पीसी चाको और शीला दीक्षित
(फोटो: Altered by Quint)

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दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको ने पूर्व सीएम और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष शीला दीक्षित के बीच की रार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. अब पीसी चाको ने एक बार फिर शीला दीक्षित को लेटर लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि दिल्ली के तीनों कार्यकारी अध्यक्ष खुद ही अपने फैसले लेकर शीला दीक्षित को रिपोर्ट कर देंगे.

आपकी सेहत सही नहीं है, दिल्ली के तीनों कार्यकारी अध्यक्ष स्वतंत्र रूप से अपने फैसले लेंगे और इसकी जानकारी आपको दे देंगे.
पीसी चाको, प्रभारी, दिल्ली कांग्रेस

इससे पहले पीसी चाको ने 13 जुलाई को भी एक लेटर लिख शीला दीक्षित से नाराजगी जताई थी. उनका कहना था कि बिना सलाह लिए ही दिल्ली में जिला और ब्लॉक स्तर पर ऑब्जर्वरों की नियुक्ति कर दी गई, बता दें कि शीला दीक्षित ने 12 जुलाई को दिल्ली में 14 जिला ऑब्जर्वर और 280 ब्लॉक ऑब्जर्वर नियुक्त किए थे.

दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्षों ने भी जताई थी आपत्ति

पीसी चाको ने मीडिया को बताया है कि शीला दीक्षित ने ये फैसला खुद लिया है और इस बात की जानकारी दिल्ली प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्षों को भी नहीं थी. साथ ही ये भी बताया कि दिल्ली के तीन कार्यकारी अध्यक्षों हारुन यूसुफ, राजेश लिलोठिया और देवेंद्र यादव ने राहुल गांधी, पीसी चाको और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल को भी चिट्ठी लिखकर ये बताया था कि शीला ने ऑब्जर्वर नियुक्त करने का फैसला उनको बिना बताए लिया है.

शीला दीक्षित के फैसले को पलट चुके हैं पीसी चाको

इससे पहले दिल्ली कांग्रेस प्रमुख शीला दीक्षित ने पार्टी की सभी 280 ब्लॉक स्तरीय समितियां भंग करने का फैसला किया था. फिर अगले ही दिन दिल्ली के प्रभारी पी सी चाको ने इस फैसले को पलट दिया. ये पहला मौका था जब दोनों के बीच का मतभेद खुलकर सामने आया था.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस घटना से पहले राहुल गांधी के साथ शीला दीक्षित और चाको समेत दिल्ली कांग्रेस के नेताओं की मीटिंग हुई थी. इस मीटिंग में राहुल गांधी ने अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एकजुट होकर काम करने की सलाह दी थी. वहीं शीला ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की करार हार के कारणों का पता लगाने के लिए खुद की बनाई समिति की रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए राहुल गांधी से मिलने के बाद ब्लॉक समितियां भंग कर दीं.

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