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दिल्ली हिंसा पीड़ितों के बयानों में जो एक नाम बार-बार सामने आया है वो है उत्तर-पूर्वी दिल्ली से पूर्व बीजेपी विधायक जगदीश प्रधान का. द क्विंट के पास मौजूद पुलिस शिकायतों में पीड़ितों ने दावा किया है कि उन्होंने प्रधान के समर्थकों को दंगे में शरीक होते हुए देखा. एक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि दंगे में भीड़ की अगुवाई करने वाले एक शख्स के पास जगदीश प्रधान का फोन आया था.
लेकिन जगदीश प्रधान पर लगे आरोप काफी अलग हैं. ऊपर दिए गए नामों से अलग, प्रधान के खिलाफ दंगे के दौरान खुद मौजूद रहने के आरोप नहीं लगे हैं. शिकायतों में प्रधान का नाम पर नारेबाजी, रहस्यमयी फोन कॉल और कथित तौर पर उनके ‘समर्थकों’ के दंगे में शामिल होने को लेकर आया है.
इस रिपोर्ट में हमने उन सभी बयानों की पड़ताल की है जिसमें जगदीश प्रधान या उनके समर्थकों का नाम आया और हिंसा में उनके हाथ होने के आरोप लगाए गए. हमने सुरक्षा कारणों से शिकायतकर्ताओं के नाम जाहिर नहीं किए हैं.
11 मार्च को दिल्ली के गोकुलपुरी थाने में दर्ज कराई गई एक शिकायत में यह दावा किया गया है कि 25 फरवरी को बीजेपी पार्षद कन्हैया लाल के नेतृत्व में भीड़ ने भागीरथी विहार में मुस्लिम घरों पर हमला किया. भागीरथी विहार के निवासी शिकायतकर्ता ने अपने आरोप में कहा कि कन्हैया लाल के पास एक फोन आया जिसके बाद उसने भीड़ को कहा कि ‘जगदीश प्रधान’ ने ‘मुस्लिमों को निपटा देने’ का आदेश दिया है.
शिकायतकर्ता ने बताया, “उनके हाथों में तलवार, भाले और त्रिशूल थे और एक काले बैग में पेट्रोल बम रखा था, मस्जिद के पास जमा होकर वो ‘जय श्री राम’, ‘कपिल मिश्रा जिंदाबाद’ और ‘जगदीश प्रधान जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे.”
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के जौहरीपुर से बीजेपी पार्षद कन्हैया लाल पूर्व विधायक जगदीश प्रधान का करीबी माना जाता है.
कम से कम तीन ऐसी शिकायतें हैं, जिसमें दावा किया गया है कि दंगा करने वालों में वो लोग मौजूद थे जो कुछ हफ्ते पहले विधानसभा चुनाव में प्रधान के लिए प्रचार कर रहे थे.
शिकायत 1.
ये शिकायत 16 मार्च को दयालपुर थाने में चांद बाग के एक निवासी ने दर्ज कराई जिसकी एक कॉपी 18 मार्च को पुलिस कमिश्नर और लेफ्टिनेंट गवर्नर के दफ्तर पहुंची. शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने 24 फरवरी को दयालपुर में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में होने वाले धरना स्थल पर क्या देखा.
शिकायतकर्ता ने लिखा, ‘सड़क पर उतरे लोगों के हाथों में बंदूक, डंडे, तलवार, त्रिशूल, बम इत्यादि थे, वो ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को’ के नारे लगा रहे थे और वहां पर मौजूद कुछ पुलिसवाले उनका समर्थन कर रहे थे’.
शिकायतकर्ता ने आगे दावा किया कि लोग मोहन नर्सिंग होम की छत से बम फेंक रहे थे और ‘जगदीश प्रधान जिंदाबाद’, ‘कपिल मिश्रा जिंदाबाद’, ‘क*** मुर्दाबाद’ के नारे लगा रहे थे, इसके बाद भीड़ ने भजनपुरा मेन रोड पर मौजूद दरगाह पर हमला कर दिया.
ये शिकायत 19 मार्च को गोकुलपुरी थाने में चांद बाग इलाके के एक निवासी ने दर्ज कराई थी. इसके मुताबिक, ‘23 फरवरी को रात करीब 10 बजे मोहन नर्सिंग होम के पास जहां भाषण दिए जा रहे थे, वहां नर्सिंग होम का मालिक और जगदीश प्रधान के लोग जो कि चुनाव के दौरान आया करते थे डंडे, तलवार, बंदूक इत्यादि से लैस होकर खड़े थे और ‘जगदीश प्रधान जिंदाबाद’, ‘कपिल मिश्रा जिंदाबाद’, ‘रागिनी तिवारी जिंदाबाद’, ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को’, ‘मुसलमानों के दो ही स्थान, पाकिस्तान या कब्रिस्तान’ के नारे लगा रहे थे. नारेबाजी के बाद माहौल और बिगड़ गया. उसके बाद रागिनी तिवारी ने हम पर गोली चला दी.
एक और शिकायत 17 मार्च को यमुना विहार के एक निवासी ने दयालपुर थाने में दर्ज कराई. जिसमें सिर्फ जगदीश प्रधान नहीं, बल्कि करावल नगर से बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट, कपिल मिश्रा और मोहन नर्सिंग होम के मालिकों पर भी हिंसा में शरीक होने का आरोप लगाया गया, जिसमें प्रदर्शनकारियों पर हमले और मस्जिद में तोड़फोड़ की शिकायत भी शामिल है.
इन तीन शिकायतों के अलावा, मार्च में गोकुलपुरी और दयालपुरी थानों में दर्ज कराई गई कई दूसरी शिकायतों में दावा किया गया कि मुसलमानों पर हमला करने वाली भीड़ दूसरे नारों के साथ ‘जगदीश प्रधान जिंदाबाद’ के नारे लगा रही थी.
इतने लोगों की शिकायतों के बाद भी जगदीश प्रधान के खिलाफ कोई FIR दर्ज नहीं हुई और पुलिस ने अभी तक उन पर लगे आरोपों की जांच शुरू नहीं की है.
जब द क्विंट ने प्रधान से बात करने की कोशिश की तो शुरुआत में उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज शिकायतों पर हैरानी जताई. उसके बाद प्रधान ने हिंसा में किसी तरह की भागीदारी होने से इनकार कर दिया.
अपने समर्थकों के खिलाफ लगे आरोपों के बारे में पूछे जाने पर प्रधान ने कहा, ‘लोग जैसी चाहें वैसी बातें बना सकते हैं.’प्रधान ने कहा पुलिस ने किसी भी शिकायत के सिलसिले में उनसे कोई बात नहीं की है.
‘नहीं. नहीं. पुलिस की तरफ से किसी ने मुझसे कोई पूछताछ नहीं की है,’ प्रधान ने द क्विंट को बताया.
हमने दिल्ली पुलिस के PRO एम एस रंधावा और डीसीपी (उत्तर पूर्व) वेद प्रकाश सूर्य से संपर्क साधा और उनसे पूछा क्या पुलिस इन शिकायतों की जांच कर रही है. लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया. अगर उनका कोई जवाब आता है तो उसे हम इस रिपोर्ट में शामिल करेंगे
66 साल के कारोबारी जगदीश प्रधान उत्तर-पूर्वी दिल्ली की राजनीति के धुरंधर माने जाते हैं, 1997 से लेकर 2005 तक वो इस इलाके से नगर पार्षद चुने गए. 2015 में आम आदमी पार्टी की लहर के बावजूद प्रधान उन तीन बीजेपी उम्मीदवारों में शामिल थे जिन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी.
2020 के विधानसभा चुनाव में, प्रधान के समर्थकों को उम्मीद थी कि जोर-शोर से हिंदुत्व के प्रचार और CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमलों से हिंदू वोट मजबूत होगा और सीट जीतने में कामयाबी मिलेगी. लेकिन चुनाव परिणाम ने उन्हें बड़ा झटका दे दिया, खास तौर पर जिस तरह से वोटों की गिनती आगे बढ़ी.
काउंटिंग के दौरान 12वें राउंड तक प्रधान की जीत पक्की लग रही थी, वो करीब 30,000 वोट से आगे चल रहे थे. लेकिन इसके बाद नाटकीय तौर पर पूरी तस्वीर बदल गई.
आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हाजी यूनुस आखिरी कुछ राउंड में बाजी मार ले गए. 17, 19, 20, 21, 22 और 23वें राउंड में यूनुस को 40,000 से ज्यादा वोट मिले जबकि जगदीश प्रधान सिर्फ 900 वोट हासिल कर सके. आखिरकार, प्रधान करीब 20,000 वोटों से यूनुस के हाथों हार गए.
बीजेपी राष्ट्रीय IT सेल के हेड अमित मालवीय ने संकेतों में इसे मुसलमानों के एकजुट होकर वोट करने का नतीजा बताया जब उन्होंने कहा, ‘इससे पता चलता है कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता की सतह के नीचे क्या छिपा है.’
प्रधान ने ध्रुवीकरण की बात तो मानी, लेकिन इसके लिए CAA के खिलाफ मुसलमानों के प्रदर्शन को जिम्मेदार ठहराया.
इस रिपोर्ट का मकसद सिर्फ एक सवाल उठाना है कि अगर केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के खिलाफ शिकायतें दर्ज हुई हैं, तो क्या दूसरी शिकायतों की तरह उनकी भी पूरी गंभीरता से जांच नहीं होनी चाहिए?
हम एक बार फिर बता दें, द क्विंट ने शिकायतकर्ताओं के नाम सुरक्षा कारणों से जाहिर नहीं किए हैं, लेकिन अगर पुलिस इस बारे में पूछती है तो हम इन शिकायतों को उनसे साझा करने के लिए तैयार हैं.
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