मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019दिल्ली हिंसा: BJP नेता जगदीश प्रधान के खिलाफ शिकायतों की जांच कब?

दिल्ली हिंसा: BJP नेता जगदीश प्रधान के खिलाफ शिकायतों की जांच कब?

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के जौहरीपुर से बीजेपी पार्षद कन्हैया लाल पूर्व विधायक जगदीश प्रधान का करीबी माना जाता है.

आदित्य मेनन & ऐश्वर्या एस अय्यर
पॉलिटिक्स
Published:
जगदीश प्रधान के ‘समर्थकों’ पर लगे आरोप
i
जगदीश प्रधान के ‘समर्थकों’ पर लगे आरोप
(फोटो: क्विंट)

advertisement

दिल्ली हिंसा पीड़ितों के बयानों में जो एक नाम बार-बार सामने आया है वो है उत्तर-पूर्वी दिल्ली से पूर्व बीजेपी विधायक जगदीश प्रधान का. द क्विंट के पास मौजूद पुलिस शिकायतों में पीड़ितों ने दावा किया है कि उन्होंने प्रधान के समर्थकों को दंगे में शरीक होते हुए देखा. एक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि दंगे में भीड़ की अगुवाई करने वाले एक शख्स के पास जगदीश प्रधान का फोन आया था.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी के आखिरी हफ्ते में हुए सांप्रदायिक दंगे की पड़ताल के दौरान द क्विंट ने हिंसा में बीजेपी पार्षद कन्हैया लाल और हिंदूवादी नेता रागिनी तिवारी के हाथ होने पर दिए गए बयानों और दिल्ली पुलिस की जांच से हैरतअंगेज तरीके से बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का नाम हटाए जाने की रिपोर्टिंग की थी.

लेकिन जगदीश प्रधान पर लगे आरोप काफी अलग हैं. ऊपर दिए गए नामों से अलग, प्रधान के खिलाफ दंगे के दौरान खुद मौजूद रहने के आरोप नहीं लगे हैं. शिकायतों में प्रधान का नाम पर नारेबाजी, रहस्यमयी फोन कॉल और कथित तौर पर उनके ‘समर्थकों’ के दंगे में शामिल होने को लेकर आया है.

इस रिपोर्ट में हमने उन सभी बयानों की पड़ताल की है जिसमें जगदीश प्रधान या उनके समर्थकों का नाम आया और हिंसा में उनके हाथ होने के आरोप लगाए गए. हमने सुरक्षा कारणों से शिकायतकर्ताओं के नाम जाहिर नहीं किए हैं.

हिंसा से पहले फोन कॉल आने का आरोप

11 मार्च को दिल्ली के गोकुलपुरी थाने में दर्ज कराई गई एक शिकायत में यह दावा किया गया है कि 25 फरवरी को बीजेपी पार्षद कन्हैया लाल के नेतृत्व में भीड़ ने भागीरथी विहार में मुस्लिम घरों पर हमला किया. भागीरथी विहार के निवासी शिकायतकर्ता ने अपने आरोप में कहा कि कन्हैया लाल के पास एक फोन आया जिसके बाद उसने भीड़ को कहा कि ‘जगदीश प्रधान’ ने ‘मुस्लिमों को निपटा देने’ का आदेश दिया है.

शिकायतकर्ता ने बताया, “उनके हाथों में तलवार, भाले और त्रिशूल थे और एक काले बैग में पेट्रोल बम रखा था, मस्जिद के पास जमा होकर वो ‘जय श्री राम’, ‘कपिल मिश्रा जिंदाबाद’ और ‘जगदीश प्रधान जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे.”

गोकुलपुरी पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत में लिखा है, “पार्षद कन्हैया लाल फोन पर बातें कर रहा था, फिर उसने कहा कि ‘जगदीश प्रधान ने बोला है कि इन क**ओं / मुल्लों को निपटा दो.’ जिसके बाद शिव चरण का बेटा काले और मोहित अपनी पिस्तौल से फायरिंग करने लगे. भीड़ ने पत्थर और पेट्रोल बम फेंकना शुरू कर दिया.”

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के जौहरीपुर से बीजेपी पार्षद कन्हैया लाल पूर्व विधायक जगदीश प्रधान का करीबी माना जाता है.

जगदीश प्रधान के ‘समर्थकों’ पर लगे आरोप

कम से कम तीन ऐसी शिकायतें हैं, जिसमें दावा किया गया है कि दंगा करने वालों में वो लोग मौजूद थे जो कुछ हफ्ते पहले विधानसभा चुनाव में प्रधान के लिए प्रचार कर रहे थे.

शिकायत 1.

ये शिकायत 16 मार्च को दयालपुर थाने में चांद बाग के एक निवासी ने दर्ज कराई जिसकी एक कॉपी 18 मार्च को पुलिस कमिश्नर और लेफ्टिनेंट गवर्नर के दफ्तर पहुंची. शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने 24 फरवरी को दयालपुर में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में होने वाले धरना स्थल पर क्या देखा.

शिकायतकर्ता ने लिखा, ‘सड़क पर उतरे लोगों के हाथों में बंदूक, डंडे, तलवार, त्रिशूल, बम इत्यादि थे, वो ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को’ के नारे लगा रहे थे और वहां पर मौजूद कुछ पुलिसवाले उनका समर्थन कर रहे थे’.

प्रधान के समर्थकों का जिक्र करते हुए, शिकायतकर्ता ने कहा, ‘उसके बाद पुलिसवालों के साथ कुछ लोग जो कि चुनाव के दौरान जगदीश प्रधान के साथ दिखते थे भीड़ के आगे चलने लगे. उन्होंने धरना स्थल पर एक पेट्रोल बम फेंका जिससे पंडाल में आग लग गई. फिर उन लोगों ने महिला प्रदर्शनकारियों पर डंडों और तलवारों से हमला कर दिया जिसमें कई बुजुर्ग महिलाएं घायल हो गईं.’
(फोटो: फेसबुक)

शिकायतकर्ता ने आगे दावा किया कि लोग मोहन नर्सिंग होम की छत से बम फेंक रहे थे और ‘जगदीश प्रधान जिंदाबाद’, ‘कपिल मिश्रा जिंदाबाद’, ‘क*** मुर्दाबाद’ के नारे लगा रहे थे, इसके बाद भीड़ ने भजनपुरा मेन रोड पर मौजूद दरगाह पर हमला कर दिया.

शिकायत 2.

ये शिकायत 19 मार्च को गोकुलपुरी थाने में चांद बाग इलाके के एक निवासी ने दर्ज कराई थी. इसके मुताबिक, ‘23 फरवरी को रात करीब 10 बजे मोहन नर्सिंग होम के पास जहां भाषण दिए जा रहे थे, वहां नर्सिंग होम का मालिक और जगदीश प्रधान के लोग जो कि चुनाव के दौरान आया करते थे डंडे, तलवार, बंदूक इत्यादि से लैस होकर खड़े थे और ‘जगदीश प्रधान जिंदाबाद’, ‘कपिल मिश्रा जिंदाबाद’, ‘रागिनी तिवारी जिंदाबाद’, ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को’, ‘मुसलमानों के दो ही स्थान, पाकिस्तान या कब्रिस्तान’ के नारे लगा रहे थे. नारेबाजी के बाद माहौल और बिगड़ गया. उसके बाद रागिनी तिवारी ने हम पर गोली चला दी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

शिकायत 3.

एक और शिकायत 17 मार्च को यमुना विहार के एक निवासी ने दयालपुर थाने में दर्ज कराई. जिसमें सिर्फ जगदीश प्रधान नहीं, बल्कि करावल नगर से बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट, कपिल मिश्रा और मोहन नर्सिंग होम के मालिकों पर भी हिंसा में शरीक होने का आरोप लगाया गया, जिसमें प्रदर्शनकारियों पर हमले और मस्जिद में तोड़फोड़ की शिकायत भी शामिल है.

‘24/02/2020 को पूरे दिन इलाके में हालात बिगड़ चुके थे. हर तरफ से ‘जय श्री राम’ के नारे की आवाज आ रही थी. मेरे घर के पास भीड़ ने विक्टोरिया स्कूल की बसों में आग लगा दी. शाम में, मुझे पता चला कि जगदीश प्रधान के समर्थकों ने टायर मार्केट के पास वाली मस्जिद को भी आग के हवाले कर दिया, उसका धुआं आसमान में दिख रहा था.’

इन तीन शिकायतों के अलावा, मार्च में गोकुलपुरी और दयालपुरी थानों में दर्ज कराई गई कई दूसरी शिकायतों में दावा किया गया कि मुसलमानों पर हमला करने वाली भीड़ दूसरे नारों के साथ ‘जगदीश प्रधान जिंदाबाद’ के नारे लगा रही थी.

इतने लोगों की शिकायतों के बाद भी जगदीश प्रधान के खिलाफ कोई FIR दर्ज नहीं हुई और पुलिस ने अभी तक उन पर लगे आरोपों की जांच शुरू नहीं की है.

जगदीश प्रधान का जवाब

जब द क्विंट ने प्रधान से बात करने की कोशिश की तो शुरुआत में उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज शिकायतों पर हैरानी जताई. उसके बाद प्रधान ने हिंसा में किसी तरह की भागीदारी होने से इनकार कर दिया.

नहीं. मैं किसी भी तरीके से हिंसा में शामिल नहीं था. ये सारी शिकायतें झूठी हैं.
जगदीश प्रधान

अपने समर्थकों के खिलाफ लगे आरोपों के बारे में पूछे जाने पर प्रधान ने कहा, ‘लोग जैसी चाहें वैसी बातें बना सकते हैं.’प्रधान ने कहा पुलिस ने किसी भी शिकायत के सिलसिले में उनसे कोई बात नहीं की है.

‘नहीं. नहीं. पुलिस की तरफ से किसी ने मुझसे कोई पूछताछ नहीं की है,’ प्रधान ने द क्विंट को बताया.

हमने दिल्ली पुलिस के PRO एम एस रंधावा और डीसीपी (उत्तर पूर्व) वेद प्रकाश सूर्य से संपर्क साधा और उनसे पूछा क्या पुलिस इन शिकायतों की जांच कर रही है. लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया. अगर उनका कोई जवाब आता है तो उसे हम इस रिपोर्ट में शामिल करेंगे

ध्रुवीकरण के लिए प्रदर्शनकारी मुस्लिम जिम्मेदार’: प्रधान

66 साल के कारोबारी जगदीश प्रधान उत्तर-पूर्वी दिल्ली की राजनीति के धुरंधर माने जाते हैं, 1997 से लेकर 2005 तक वो इस इलाके से नगर पार्षद चुने गए. 2015 में आम आदमी पार्टी की लहर के बावजूद प्रधान उन तीन बीजेपी उम्मीदवारों में शामिल थे जिन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी.

(फोटो: जगदीश प्रधान फेसबुक)
दिल्ली चुनाव से पहले के इस पोस्टर में साफ लिखा है, ‘मुस्तफाबाद में एक बार फिर कमल खिलाकर हमें हिंदुत्व की ताकत दिखानी है.’

2020 के विधानसभा चुनाव में, प्रधान के समर्थकों को उम्मीद थी कि जोर-शोर से हिंदुत्व के प्रचार और CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमलों से हिंदू वोट मजबूत होगा और सीट जीतने में कामयाबी मिलेगी. लेकिन चुनाव परिणाम ने उन्हें बड़ा झटका दे दिया, खास तौर पर जिस तरह से वोटों की गिनती आगे बढ़ी.

काउंटिंग के दौरान 12वें राउंड तक प्रधान की जीत पक्की लग रही थी, वो करीब 30,000 वोट से आगे चल रहे थे. लेकिन इसके बाद नाटकीय तौर पर पूरी तस्वीर बदल गई.

आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हाजी यूनुस आखिरी कुछ राउंड में बाजी मार ले गए. 17, 19, 20, 21, 22 और 23वें राउंड में यूनुस को 40,000 से ज्यादा वोट मिले जबकि जगदीश प्रधान सिर्फ 900 वोट हासिल कर सके. आखिरकार, प्रधान करीब 20,000 वोटों से यूनुस के हाथों हार गए.

बीजेपी राष्ट्रीय IT सेल के हेड अमित मालवीय ने संकेतों में इसे मुसलमानों के एकजुट होकर वोट करने का नतीजा बताया जब उन्होंने कहा, ‘इससे पता चलता है कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता की सतह के नीचे क्या छिपा है.’

प्रधान ने ध्रुवीकरण की बात तो मानी, लेकिन इसके लिए CAA के खिलाफ मुसलमानों के प्रदर्शन को जिम्मेदार ठहराया.

चुनाव के दौरान जो ध्रुवीकरण दिखा उसकी वजह मुसलमान थे जो कि बृजपुरी और चांद बाग में प्रदर्शन कर रहे थे. हिंदुओं की तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. 
जगदीश प्रधान

इस रिपोर्ट का मकसद सिर्फ एक सवाल उठाना है कि अगर केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के खिलाफ शिकायतें दर्ज हुई हैं, तो क्या दूसरी शिकायतों की तरह उनकी भी पूरी गंभीरता से जांच नहीं होनी चाहिए?

हम एक बार फिर बता दें, द क्विंट ने शिकायतकर्ताओं के नाम सुरक्षा कारणों से जाहिर नहीं किए हैं, लेकिन अगर पुलिस इस बारे में पूछती है तो हम इन शिकायतों को उनसे साझा करने के लिए तैयार हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT