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देश की राजधानी दिल्ली में अब प्रदूषण के बाद पानी के मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है. केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने एक रिपोर्ट के हवाले से दिल्ली के पानी को पीने लायक नहीं बताया है. वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस रिपोर्ट को झूठा बताया और राजनीति से प्रेरित करार दिया. अब सोमवार को पानी का मुद्दा संसद में भी गूंजा. इसे लेकर बीजेपी के दो सांसदों ने आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार पर हमला बोला.
उधर, मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करना चाहती, पर 'आप' सरकार को चाहिए कि वह पीने के पानी की गुणवत्ता की जांच कराए.
पासवान ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि मोदी सरकार ने 2024 तक हर घर में पीने का पानी लाने का लक्ष्य रखा है, इसी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया था कि पीने योग्य पानी की गुणवत्ता का परीक्षण किया जाना चाहिए.
पासवान ने लोकसभा में कहा कि पानी की गुणवत्ता पर भारतीय मानक ब्यूरो की रिपोर्ट 16 नवंबर को मीडिया के सामने पेश की गई थी. दिल्ली इस लिस्ट में सबसे नीचे है. पानी की गुणवत्ता की जांच में दिल्ली के सभी 11 जगहों से एकत्रित किए गए नमूने शुद्धता के मानकों पर फेल पाए गए.
उन्होंने आगे कहा, "हम पानी के मुद्दे पर राजनीति नहीं कर रहे हैं, हम संसद से इस मुद्दे पर समर्थन चाहते हैं. पीने के साफ पानी को लेकर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए. हम दिल्ली सरकार से उन अधिकारियों के नाम बताने को कहते हैं जो पैनल का हिस्सा होंगे और हम उनकी पसंद की प्रयोगशाला से टेस्ट करवा सकते हैं."
इससे पहले भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी और मनोज तिवारी ने पानी की गुणवत्ता को लेकर दिल्ली सरकार पर हमला बोला था.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पानी पर भारतीय मानक ब्यूरो की रिपोर्ट को झूठी और राजनीति से प्रेरित करार दिया है. केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन की एक पोस्ट पर कमेंट करते हुए कहा कि उन जैसे व्यक्ति को 'गंदी राजनीति' का हिस्सा नहीं बनना चाहिए.
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 12 जनपथ और कृषि भवन समेत 11 जगहों से पानी के नमूने जुटाए गए. इस सभी 11 जगहों से एकत्रित किए गए सभी नमूने फेल पाए गए. जबकि मुंबई में एकत्रित किए गए सभी 10 नमूने बीआईएस के शुद्धता मानकों के मुताबिक पाए गए हैं.
पानी के इन नमूनों की गुणवत्ता की जांच करवाने के बाद इन शहरों को पेयजल की शुद्धता के वरीयता क्रम में रखा गया, जिसमें मुंबई पहले स्थान पर जबकि हैदराबाद और भुवनेश्वर दूसरे स्थान पर हैं.
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