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कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रहा गतिरोध गुरुवार, 18 मई को खत्म हो गया. सिद्धारमैया (Siddaramaiah) को सीएम बनाने का ऐलान किया गया है. वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) को डिप्टी सीएम का पद दिया गया है. 20 मई को बेंगलुरु में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित होगा. चलिए आपको डीके शिवकुमार के राजनीतिक सफर के बारे में बताते हैं. कैसे वो छात्र नेता से डिप्टी सीएम के पद पर पहुंचे.
डीके शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के अध्यक्ष हैं और वोक्कालिगा समुदाय के कद्दावर नेता हैं. वह आठ बार के विधायक रहे हैं, और वह अब कर्नाटक के डिप्टी सीएम होंगे.
वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले शिवकुमार का जन्म बैंगलोर के पास कनकपुरा में हुआ था. उन्होंने 1980 के दशक की शुरुआत में एक छात्र नेता के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और लगातार कांग्रेस पार्टी में उनका कद बढ़ता गया.
शिवकुमार ने अपना पहला चुनाव 1989 में मैसूरु जिले के सथानूर निर्वाचन क्षेत्र से जीता था, उस समय वह सिर्फ 27 वर्ष के थे; उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था. उसके बाद के सात विधानसभा चुनावों में वह, साथनूर (चार बार) और कनकपुरा (तीन बार) से फिर से निर्वाचित हुए हैं.
2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जनता दल (सेक्युलर) के प्रत्याशी को 79,909 मतों के भारी अंतर से हराकर कनकपुरा सीट पर जीत हासिल की थी.
13 मई 2023 को आए नतीजों में, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के आर अशोक और जनता दल (सेक्युलर) के बी नागराज को 1 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराकर, शिवकुमार ने फिर से कनकपुरा पर कब्जा कर लिया है.
शिवकुमार ने कर्नाटक सरकार में सिद्धारमैया सरकार के अधीन ऊर्जा मंत्री और एचडी कुमारस्वामी के अधीन सिंचाई मंत्री के रूप में कई पदों पर काम किया है.
लेकिन शिवकुमार अपने ग्रुप को एक साथ रखने के लिए अपनी आधिकारिक भूमिकाओं से ऊपर और परे जाने के लिए जाने जाते हैं.
2018 के चुनावों में कर्नाटक में हंग असेंबली बनी थी. इस समय डीके शिवकुमार ने कांग्रेस-जेडी (एस) गठबंधन की एकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि बीजेपी कांग्रेस-जेडी (एस) खेमे के विधायकों को खरीद ना पाए और विधयाकों को हैदराबाद ले जाने और वहां से वापस लाने में भी अहम भूमिका निभाई. लेकिन आखिरकार, जुलाई 2019 में गठबंधन सरकार गिर गई.
फायरब्रांड राजनेता शिवकुमार गांधी परिवार, विशेषकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भी करीबी रहे हैं. उन्हें अक्सर कर्नाटक में राहुल गांधी के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक के रूप में बताया जाता है और संकट के समय उन्हें गांधी परिवार के लिए एक संकटमोचक के रूप में देखा जाता है.
गांधी परिवार के साथ उनका रिश्ता कई साल पुराना है, और उन्हें अक्सर महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्यक्रमों में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ देखा जाता है.
दरअसल, 2022 में जब नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा राहुल गांधी से पूछताछ की जा रही थी, तब उन्होंने बीजेपी सरकार के विरोध में दिल्ली में एक रैली में राज्य के कांग्रेस नेताओं का नेतृत्व किया था.
जब से उन्होंने 2020 में कर्नाटक कांग्रेस का प्रभार संभाला है, शिवकुमार के हाथ में एक कठिन कार्य था. उन्हें 2023 के विधान सभा चुनावों में कांग्रेस को बीजेपी के साथ आमने-सामने के लिए तैयार करना था - यह एक ऐसी चुनौती थी जिसे उन्होंने स्वीकार किया.
डीके शिवकुमार ने केवल कर्नाटक में धीरे-धीरे गति पकड़ रही बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के तहत लोगों को एकजुट किया, बल्कि खुद को राज्य में एक प्रमुख वोक्कालिगा नेता के रूप में भी स्थापित किया.
जहां पहली चुनौती पार्टी कैडर और चुनाव रणनीतिकारों के समर्थन से रणनीतिक रूप से मिली थी, जिन्होंने बीजेपी के भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस के अभियान को उग्र बना दिया था, वहीं दूसरी चुनौती को तोड़ना कठिन था.
डीके शिवकुमार ने वास्तव में कर्नाटक वोक्कालिगा संघ की मदद से वोक्कालिगा मतदाताओं के साथ एक रिश्ता कायम किया. जिसने उनके केपीसीसी अध्यक्ष पद संभालने के बाद से ही उन्हें और कांग्रेस पार्टी को अपना समर्थन दिया.
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