मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019चुनाव 2019 : अबकी बार ‘तीसरे’ की सरकार, मगर कैसे, पीएम कौन?  

चुनाव 2019 : अबकी बार ‘तीसरे’ की सरकार, मगर कैसे, पीएम कौन?  

दक्षिण में दो नेताओं की मुलाकात और एक के फोन से चल पड़ी थर्ड फ्रंट की चर्चा

संतोष कुमार
पॉलिटिक्स
Updated:
दक्षिण में हो रही कुछ सियासी घटनाओं से थर्ड फ्रंट की चर्चा चल पड़ी है
i
दक्षिण में हो रही कुछ सियासी घटनाओं से थर्ड फ्रंट की चर्चा चल पड़ी है
(फोटो : अल्टर्ड बाई क्विंट)

advertisement

केरल के सीएम पी विजयन ने तेलंगाना के सीएम केसी राव से मुलाकात की तो एक नई चर्चा चल पड़ी.क्या 2019 लोकसभा चुनावों के बाद गैर बीजेपी-गैर कांग्रेस सरकार बन सकती है? इस चर्चा में कुछ दम मानें भी तो कई सवाल हैं? थर्ड फ्रंट में कौन-कौन होगा? इन्हें कितनी सीटें मिल सकती हैं? क्या अपने बल पर थर्ड फ्रंट सरकार बना सकता है? और ये सारी बाधाएं पार हो गईं तो पीएम कौन बनेगा? और ये सब कुछ न हुआ तो क्या देश की राजनीति में 1996 का रिपीट टेलीकास्ट हो सकता है?

थर्ड फ्रंट पर चर्चा क्यों?

पहले राम माधव ने आशंका जताई कि बीजेपी को अकेले दम बहुमत नहीं मिलेगा. फिर केसीआर-विजयन की मुलाकात. केसीआर से मुलाकात के बाद पी विजयन ने कहा -

हमने राष्ट्रीय राजनीति पर बात की. केसीआर के मुताबिक न एनडीए और न यूपीए को बहुमत मिलने जा रहा है, ऐसे में क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका बहुत बढ़ जाएगी. अभी पीएम पद के उम्मीदवार पर कोई बात नहीं हुई
पी . विजयन, सीएम, केरल 

जैसे ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारास्वामी को केसीआर-विजयन की मुलाकात की खबर लगी, उन्होंने भी केसीआर से फोन पर बात की. कुछ समय पहले केसीआर ने ही गैर कांग्रेस-गैर बीजेपी सरकार का आइडिया उछाला था. केसीआर ने ये भी एलान कर रखा है कि वो 13 मई को डीएमके चीफ स्टालिन से मिलने वाले हैं.

चंद्रबाबू नायडू ममता की रैलियों में हिस्सा लेने जा रहे हैं. पीटीआई सूत्रों के मुताबिक 8 मई को नायडू झाड़ग्राम और हल्दिया में होने वाली ममता की रैलियों में हिस्सा ले सकते हैं. अगले दिन भी कुछ रैलियों में जाएंगे. 9 मई को दोनों के बीच क्लोज डोर मीटिंग होने की भी खबरें चल रही हैं. क्या बंद कमरे में थर्ड फ्रंट पर ही बात होने वाली है?
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

थर्ड फ्रंट में कौन, कितनी सीटें?

वो पार्टियां जो यूपीए या एनडीए में नहीं हैं. यूपी में माया-अखिलेश का महागठबंधन, टीएमसी, केसीआर की पार्टी टीआरएस, आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी की YSRCP, नवीन पटनायक की बीजेडी, आम आदमी पार्टी, AIUDF और ओवैसी.

लेकिन सबसे बड़ा सवाल अगर ये सारी पार्टियां मिल भी जाएं तो कितनी सीटें ले आएंगे? आप इन पार्टियों को शानदार कामयाबी भी दे दें तो कुल आंकड़ा 136 के पार नहीं पहुंचेगा.

एनडीए/यूपीए से कौन आ सकता है?

13 मई को केसीआर-स्टालिन की कथित मीटिंग से डीएमके ने इंकार कर दिया है और एक तरह से इशारा दे दिया है कि वो चुनाव बाद भी कांग्रेस के साथ रहना चाहती है. स्टालिन ने विपक्ष की ओर से राहुल गांधी को पीएम पद का उम्मीदवार बताया था, जिसे ममता और अखिलेश ने खारिज कर दिया था. लेकिन बदले सियासी हालात में कुछ भी हो सकता है. अप्रैल में भी केसीआर और स्टालिन की मुलाकात हुई थी. हालांकि फिर डीएमके और कांग्रेस का समझौता हो गया बात आई-गई हो गई.

थर्ड फ्रंट बना तो आप जेडीएस का नाम भी ले सकते हैं. ये भले ही अभी कांग्रेस के साथ गठबंधन में हो. कर्नाटक में दोनों की सरकार है और आम चुनाव भी साथ लड़ रही हैं लेकिन कांग्रेस काडर में असंतुष्टी है. मंगलवार को ही कर्नाटक के गृहमंत्री और कांग्रेस नेता एमबी पाटिल ने कहा है कि सिद्धारमैया को फिर से राज्य का सीएम बनना चाहिए. हालांकि उन्होंने ये भी  कहा कि कर्नाटक में उनकी गठबंधन की सरकार आराम से चलती रहेगी. बदले सियासी हालात में इसी असंतुष्टि, अनबन का हवाला देकर टूट हो जाए तो क्या ताज्जुब? कुमारास्वामी ने केसीआर से बात की है ये हम आपको पहले ही बता चुके हैं.

बीजेपी महासचिव राममाधव के बाद अब शिवसेना ने भी कह दिया है कि बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत मिलना मुश्किल है. पार्टी नेता संजय राउत ने ये बात कही है. हालांकि उनका ये भी कहना है कि एनडीए को बहुमत जरूर मिल जाएगा. लेकिन पिछले पांच साल में लगातार बीजेपी की आलोचना करने वाली शिवसेना समीकरण बदलने पर पाला नहीं बदलेगी इसकी गारंटी कौन लेगा?

आंध्र में एक दूसरे के कट्टर दुश्मन जगन और नायडू का एक साथ किसी फ्रंट में आना मुश्किल है. लेकिन ममता-नायडू की नजदीकियां देखते हुए क्या ताज्जुब कि दीदी बीच बचाव करके नायडू और जगन को केंद्र में साथ आने के लिए मना लें. सियासी हालात बदलते हैं तो एनसीपी, लेफ्ट, जेडीयू और अकाली भी पाला बदल सकते हैं.

ये भी आ गए तो कितनी सीटें?

तो चलिए थर्ड फ्रंड की पार्टियों की 136 सीटों में, डीएमके, एनसीपी, शिवसेना, जेडीयू, जेडीएस, लेफ्ट, अकाली और टीडीपी की मिलने वाली संभावित सीटों को भी मिलाते हैं. इन सबको जबर्दस्त कामयाबी भी मिले तो इन्हें 79 से ज्यादा सीटें मिलती नहीं दिख रहीं. ऐसे में गैर कांग्रेसी, गैर बीजेपी फ्रंट का कुल आंकड़ा हुआ 215 (136+79). यानी बहुमत के जादुई आंकड़े से बहुत दूर.

तो क्या 2019 चुनावों के बाद 1996 का सियासी समीकरण खड़ा हो सकता है? 1996 की लोकसभा में सबसे ज्यादा 161 सीटें जीतनी वाली बीजेपी की सरकार 13 दिन चली. 140 सीट पाकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस ने सरकार बनाने की कोशिश नहीं की. प्रधानमंत्री उस पार्टी के नेता बने, जिसके पास लोकसभा में महज 46 सीट थी. तो क्या ऐसा हो सकता है कि कांग्रेस एनडीए को रोकने के लिए थर्ड फ्रंट के पीछे खड़ी हो जाए.

ऐसा हुआ तो पीएम कौन होगा?

थर्ड फ्रंट में पीएम पद के दावेदारों की कमी नहीं है. ममता हैं, माया हैं, मुलायम भी हैं और शरद पवार भी. या ये भी हो सकता है कि बहुत बवाल होने पर सब फिर से मनमोहन सिंह के लिए राजी हो जाएं. अभी तो कयास ही लगा सकते हैं. पब्लिक ने पत्ते खोले नहीं है, किसके पास हुकुम का इक्का है और किसके पत्ते तेज हैं, 23 मई को पता चलेगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 07 May 2019,09:08 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT