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फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (Future Gaming & Hotel Services) का नाम राजनीतिक दलों को चंदा (Electoral Bons) देने वाली लिस्ट में टॉप पर है. इस कंपनी ने इसी अवधि में अपने कंसोलिडेटेड प्रॉफिट से 5 गुना अधिक चंदा दिया है.
केवेंटर्स ग्रुप फर्म ने 2019 के आम चुनावों के दौरान केवल दो महीनों में 195 करोड़ रुपये का चंदा दिया, जबकि इस फर्म ने वित्त वर्ष 2020 में केवल 12.24 लाख रुपये ही प्रॉपिट दर्ज किया.
IFB एग्रो इंडस्ट्रीज ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने के लिए अपने चार साल का नेट प्रॉफिट यानी लगभग 53% (92.3 करोड़) खर्च किया.
ये कुछ प्रमुख बाते हैं जो चुनाव आयोग द्वारा गुरुवार 14 मार्च को सार्वजनिक किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड के डाटा के विश्लेषण के बाद सामने आए हैं.
हालांकि, कई कंपनियों का वित्तीय प्रदर्शन कमजोर रहा है, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने अपनी कमाई या मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक पार्टियों को चंदा में दे दिया, जिस बॉन्ड को अब सुप्रीम कोर्ट ने "असंवैधानिक" करार दिया है.
द क्विंट ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा और चंदा देने वाली कंपनियों के परफॉर्मेंस को आपको समझाने के लिए कई सार्वजनिक रूप से उपलब्ध वार्षिक रिपोर्टों, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट और टॉफलर और जौबा कॉर्प जैसी अन्य वेबसाइटों के डेटा को खंगाला. चलिए जानते हैं कि इससे क्या निकलकर सामने आया है?
रिपोर्ट में जिन 15 कंपनियों का जिक्र है, द क्विंट ने उनकी प्रतिक्रिया और उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया है. जवाब आने बाद इस स्टोरी अपडेट की जाएगी.
चार कंपनियां- केवेंटर फूडपार्क इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, मदनलाल लिमिटेड, Samsal इंफ्रास्ट्रक्चर और एमकेजे एंटरप्राइजेज लिमिटेड, पश्चिम बंगाल में एक ही पते पर रजिस्टर्ड हैं और कोलकाता स्थित FMCG केवेंटर ग्रुप की कंपनियों से संबंधित हैं.
चारों कंपनियों ने 2019-2020 और 2022-2023 के बीच 616.9 करोड़ रुपये का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर चंदा दिया. इसमें से 380.5 करोड़ रुपये 2019 में और बाकी 2022 और 2023 में डोनेट किए गए.
केवेंटर्स फूडपार्क इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड (2020 में इसका नाम बदलकर मैग्निफिसेंट फूडपार्क प्रोजेक्ट्स लिमिटेड रखा गया) ने 16 अप्रैल 2019 और 8 मई 2019 के बीच तीन अलग-अलग ट्रांजेक्शन में सबसे अधिक राशि 195 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा दिया. केवेंटर्स फूडपार्क ने 16 अप्रैल 2019 को 55 करोड़ रुपये और 7 मई को 75 करोड़ रुपये और 8 मई 2019 को 65 करोड़ रुपये डोनेट किए.
मदनलाल लिमिटेड ने वित्तीय वर्ष 2019-2020 में 185.5 करोड़ रुपये का चंदा दिया, जो उस साल के नेट प्रॉफिट का लगभग सौ गुना है. वित्त वर्ष 2020 में कंपनी ने टैक्स देने से पहले 1.84 करोड़ रुपये का प्रॉफिट कमाया था.
केवेंटर फूडपार्क और मदनलाल का इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दिया गया ये चंदा पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान आया. मदनलाल लिमिटेड ने 8 मई को 110 करोड़ रुपये और 10 मई 2019 को 75.5 करोड़ रुपये का का चुनावी चंदा दिया.
स्टेनलेस-स्टील कंपनी एमकेजे एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने 2019-2020 से 2022-2023 के बीच कुल 192.42 करोड़ का चुनावी चंदा दिया.
2019 में, जब कंपनी को 5.03 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हुआ, तो इसने इसकी दोगुनी राशि 14.4 करोड़ रुपये राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा दिया. 2021 में कंपनी ने 35.4 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे.
2022 में कंपनी ने 45 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे, जबकि कंपनी का नेट प्रॉफिट 62.9 करोड़ रुपये रहा.
2023 में एमकेजे ने अधिकतर छोटे अमाउंट में चंदा दिया. कंपनी ने 12 अक्टूबर 2023 को 28 करोड़ रुपये और 18 नवंबर 2023 को 15 करोड़ रुपये का चंदा दिया.
नोट: साल 2021-2022 की वित्तीय जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है.
तेलंगाना की नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड ने अप्रैल 2019 और अक्टूबर 2022 के बीच कुल 55 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं. कंपनी द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड का पहला सेट खरीदने से छह महीने पहले 2018 में इनकम के अधिकारियों ने छापा मारा था.
कंपनी नवंबर 2023 में तब सुर्खियों में आई थी, जब उत्तराखंड की सिल्कयारा-बरकोट सुरंग के अंदर 41 कर्मचारी 17 दिनों तक फंसे रहे. इस टनल को कंपनी बना रही है.
वित्त वर्ष 2019-20 में कंपनी को 78.09 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, फिर भी उसी साल के दौरान 45 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
इसमें से, उन्होंने 18 अप्रैल 2019 को 10 करोड़ रुपये मूल्य के प्रत्येक 30 अलग-अलग बॉन्ड में 30 करोड़ रुपये की पहली इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदी थी. उन्होंने 10 अक्टूबर 2019 को 15 बॉन्ड खरीदे.
10 अक्टूबर 2022 को, 10 करोड़ रुपये के शेष बॉन्ड खरीदे गए, जो उसी साल के उनके 99.9 करोड़ रुपये के वार्षिक लाभ का लगभग 10% है.
राजनीतिक पार्टियों को तीसरे नंबर पर सबसे अधिक चंदा देनवाली पार्टी महाराष्ट्र की कंपनी क्विक सप्लाई चेन ने जनवरी 2022 और नवंबर 2023 के बीच 410 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे.
हालांकि, पिछले चार वित्तीय साल में वेयरहाउसिंग कंपनी का मुनाफा 109.6 करोड़ रुपये है. इसका मतलब यह है कि क्विक सप्लाई चेन ने अपनी कमाई का 377 प्रतिशत हिस्सा राजनीतिक दलों को चंदे में दे दिया.
वित्त साल 2019-20 में क्विक सप्लाई चेन ने 29.61 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया.
वित्त साल 2020-21 में कंपनी ने 24.24 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया.
वित्त साल 2021-22 में क्विक सप्लाई चेन ने 22.09 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया.
वित्त साल 2022-23 में, क्विक सप्लाई चेन ने 33.65 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया और 360 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे, ये अमाउंट कंपनी के उस साल के लाभ के दस गुना से अधिक और पिछले चार वित्तीय साल के पूरे ग्रुप के कुल लाभ के तीन गुना से अधिक है.
पश्चिम बंगाल स्थित आईएफबी एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड की राज्य में भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) के उत्पादन और समुद्री खाद्य प्रसंस्करण में बड़ी उपस्थिति है. 2021 से 2024 के बीच इसने 92.3 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
2019-2020 से 2022-2023 की वार्षिक रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद पता चला कि पिछले चार साल में कंपनी का कुल लाभ 175.8 करोड़ रहा. इसमें कंपनी ने 53 प्रतिशत यानी लगभग 92.3 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदे में दे दिया.
विश्लेषण यहां है:
कंपनी ने 8 अक्टूबर 2021 को 1-1 करोड़ रुपये के 12 बॉन्ड खरीदे और 5 जनवरी 2022 को 25 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. इसका मतलब है कि वित्तीय वर्ष 2020-2022 में राजनीतिक दलों को 37 करोड़ रुपये (69.3%) का चंदा दिया गया, जबकि शुद्ध लाभ केवल 53.34 करोड़ रुपये था.
2022 में, कंपनी के बोर्ड डायरेक्टर ने "वित्तीय साल 2022-23 के लिए एक या अधिक किश्तों में चुनावी बॉन्ड के जरिए 40 करोड़ रुपये से अधिक चंदा नहीं देने का फैसला दिया.
इसके बाद, कंपनी ने जनवरी 2022 से जनवरी 2023 के बीच 21 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे, जबकि उस साल उनका कुल संचयी लाभ 51 करोड़ रुपये था. यानी कंपनी ने अपने मुनाफे के आधे से ज्यादा मूल्य के बॉन्ड खरीदे.
2023 में कंपनी ने 45.3 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. एक साल बाद, फरवरी 2024 में, उसने घोषणा की कि उसने वित्तीय वर्ष 2023-2024 के पहले नौ महीनों में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को 40 करोड़ रुपये का चंदा दिया है.
यह राशि तीन तिमाहियों की समान अवधि में टैक्स चुकाने के बाद कंपनी के लाभ (पीएटी) का तीन गुना है, जो 13.87 करोड़ रुपये है.
“जैसा कि पहले बताया गया था, बिजनेस को लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और व्यवसाय की निरंतरता बनाए रखने और सभी शेयरहोल्डर्स के हितों की रक्षा के लिए, कंपनी ने चुनावी बॉन्ड की सदस्यता के लिए 18.30 करोड़ रुपये का भुगतान किया. कंपनी ने अप्रैल 2023 के महीने में इलेक्टोरल बॉन्ड के सब्सक्रिप्शन के लिए 15 करोड़ रुपये का भुगतान किया है." द क्विंट ने कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट देखी, जिसमें कंपनी ने कहा कि कड़ी प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ कुछ दिक्कतें आईं, जिसके कारण वॉल्यूम में 9% की गिरावट आई है.
कोयंबटूर की लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, जो चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों के अनुसार राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली टॉप कंपनी है. इसने पिछले चार सालों में अपने सालाना प्रॉफिट से पांच गुना ज्यादा दान दिया है.
गुरुवार, 14 मार्च को चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, लॉटरी मैग्नेट सैंटियागो मार्टिन की कंपनी फ्यूचर गेमिंग ने अक्टूबर 2020 और जनवरी 2024 के बीच 1,368 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
वित्त वर्ष 2020-21 में, फ्यूचर गेमिंग ने 57 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट दर्ज किया और 150 करोड़ रुपये का दान दिया - जो उसी साल के प्रॉफिट का लगभग तीन गुना है.
वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी ने 49.43 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया और 544 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे - जो इसी अवधि में उसके मुनाफे का लगभग 11 गुना है.
वित्त वर्ष 2022-23 में, फ्यूचर गेमिंग ने मुनाफे में 48.30 करोड़ का नेट प्रॉफिट कमाया और चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 328 करोड़ रुपये का दान दिया जो उसके अपने मुनाफे से छह गुना ज्यादा है.
कंपनी ने अप्रैल 2023 से इस साल जनवरी तक 346 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं.
कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, ईडी और सीबीआई सहित केंद्रीय जांच एजेंसियों के साथ कई विवादों के बावजूद, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए फ्यूचर गेमिंग का वार्षिक कारोबार 20,000 करोड़ रुपये से अधिक था. कंपनी की वेबसाइट बताती है कि उसने जुलाई 2017 से अकेले पश्चिम बंगाल में जीएसटी के रूप में 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है.
चेन्नई ग्रीन वुड्स प्राइवेट लिमिटेड रैमकी ग्रुप के स्वामित्व वाली एक कंस्ट्रक्शन कंपनी है, जिसके चेयरमैन YSRCP के राज्यसभा सांसद अयोध्या रामी रेड्डी हैं. इस कंपनी ने 5 जनवरी 2022 से 12 अक्टूबर 2023 के बीच 105 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
आयकर विभाग ने जुलाई 2021 में इस कंपनी की 15 संपत्तियां जुटाईं थीं. लगभग छह महीने बाद, जनवरी 2022 में, कंपनी ने 50 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे, जो वित्त वर्ष 2021-2022 में कंपनी के नेट प्रॉफिट (14.15 करोड़ रुपये) से तीन गुना अधिक है.
कंपनी ने एक बार फिर अप्रैल 2022 में 40 करोड़ रुपये और अक्टूबर 2023 में 15 करोड़ रुपये का दान दिया, जो कुल 65 करोड़ रुपये है. हालांकि, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए कंपनी ने केवल 22.26 करोड़ रुपये का प्रॉफिट कमाया. यानी कि इसने अपने मुनाफे से तीन गुना ज्यादा दान किया है.
टेक सर्विस देने वाली दिल्ली की इन्फोटेल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने मई 2019 में 10 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
इन्फोटेल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने 9 मई 2019 को 1 करोड़ रुपये के 10 चुनावी बॉन्ड खरीदे.
लेकिन वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए, कंपनी ने केवल 1.33 करोड़ रुपये का ही प्रॉफिट दर्ज किया, जिसका मतलब है कि इन्फोटेल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने इसी साल के लिए अपने प्रॉफिट का लगभग दस गुना मूल्य के बॉन्ड खरीदे.
इन्फोटेल टेक्नोलॉजीज के तीन निदेशक थे: कमल कुमार शर्मा, अखिलेश त्रिपाठी और नितिन वेद.
यह कंपनी अपने निदेशक कमल कुमार शर्मा के माध्यम से मुकेश अंबानी के पुराने व्यापारिक सहयोगी सुरेंद्र लूनिया से जुड़ी हुई है, जो लूनिया के इन्फोटेल समूह में कार्यकारी निदेशक और CFO हैं.
हैदराबाद की खनन और इंफ्रा कंपनी ऋत्विक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने साल 2023 में राजनीतिक दलों को 45 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड दान किए.
बीजेपी के राज्यसभा सांसद, सीएम रमेश द्वारा स्थापित कंपनी, पूरे भारत में इंफ्रा के विकास क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी है, और इसके पास महत्वपूर्ण सरकारी कॉन्ट्रैक्ट भी है.
ऋत्विक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने 27 जनवरी 2023 को 5 करोड़ रुपये और 11 अप्रैल 2023 को 40 करोड़ रुपये का दान दिया. लेकिन वित्त वर्ष 2021 और 2022 के आंकड़ों से पता चलता है कि कंपनी ने 142.24 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट कमाया है.
इससे पता चलता है कि कंपनी ने वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 के लिए अपने नेट प्रॉफिट का 31.6 प्रतिशत मूल्य के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
कंपनी ने हिमाचल प्रदेश में सुन्नी जलविद्युत परियोजना के लिए 1,098 करोड़ रुपये का इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) का कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के कुछ ही हफ्ते बाद 5 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे.
एशिया के 16 देशों में काम करने वाली दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल लिमिटेड ने अप्रैल 2019 और जनवरी 2024 के बीच 198 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे. हालांकि, इसी अवधि में एयरटेल को घाटा हुआ था. कंपनी का घाटा 26,170 करोड़ रुपये था.
वित्त वर्ष 2019-20 में टेलीकॉम कंपनी को 31,316 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, फिर भी राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए 15 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए.
वित्त वर्ष 2021-22 में एयरटेल ने 5 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे; उसी वित्तीय वर्ष में इसने 5,882 करोड़ रुपये का प्रॉफिट कमाया. इसके अलावा भारती एयरटेल की सहायक कंपनी भारती टेलीमीडिया ने अप्रैल 2021 में 30 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे.
अकेले नवंबर 2023 में टेलीकॉम कंपनी ने 93 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे; जबकि जनवरी 2024 में इसने 50 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे.
बोर्ड में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले निदेशक सुनील भारती मित्तल हैं, जिन्हें जुलाई 1995 में नियुक्त किया गया था. दूरसंचार कंपनी ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए कुल 1,40,081 करोड़ रुपये या 1.4 लाख करोड़ रुपये का राजस्व कमाया है.
इसके अलावा, ऐसी छोटी कंपनियां भी हैं जिनकी पेड-अप कैपिटल या इक्विटी 2019-2023 के बीच खरीदे गए चुनावी बांड की मात्रा से काफी कम थीं.
क्या होती है पेड-अप कैपिटल: पेड-अप कैपिटल वह पैसा है जो कंपनी को तब मिलता है जब वह बाजार में सीधे शेयरधारकों और निवेशकों को अपने शेयर बेचती है.
नोट: नीचे जिन कंपनियों का जिक्र है उसका वार्षिक मुनाफा उपलब्ध नहीं था, केवल लाखों रुपये की पेड-अप कैपिटल वाली कुछ कंपनियों ने कुछ महीनों में ही करोड़ों रुपये के बॉन्ड खरीदे.
1.वासवी एवेन्यूज LLP: हैदराबाद की ये कंपनी 6 अप्रैल 2023 को 10 लाख रुपये की पेड-अप कैपिटल के साथ रजिस्टर हुई थी. कंपनी के स्थापना के तीन महीने के अंदर ही, कंपनी ने 12 जुलाई 2023 को 5 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे.
2.Tsharks इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड: Tsharks तेलंगाना में एक रियल-एस्टेट ब्रैंड है और इसे मार्च 2023 में 1 लाख रुपये की पेड-कैपिटल के साथ वजूद में लाया गया था. चार महीने में, जुलाई 2023 में, उन्होंने 3.5 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे.
3.शार्क्स ओवरसीज एजुकेशन कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड: शार्क्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना मई 2023 में 1 लाख रुपये की पेड-अप कैपिटल के साथ की गई थी. जुलाई 2023 में उन्होंने 4 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे.
4.अपर्णा फार्म्स एंड एस्टेट्स LLP: कंस्ट्रक्शन कंपनी 18 अगस्त 2020 को 5 लाख रुपये की पेड-अप कैपिटल के साथ रजिस्टर हुई थी. सुब्रमण्यम रेड्डी सन्नारेड्डी और वेंकटेश्वर रेड्डी चेन्नुरु के स्वामित्व वाली कंपनी ने अक्टूबर-नवंबर 2023 के बीच 30 करोड़ रुपये का दान दिया था.
(तरुण बेलवाल और अभिलाष मलिक के इनपुट्स के साथ.)
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