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बीजेपी के पूर्व सांसद नाना पटोले अब मोदी सरकार के सभी विरोधियों को एकजुट करने में लग गए हैं. पटोले ने लोकसभा और बीजेपी दोनों से इस्तीफा दे दिया है. अब उनका इरादा महाराष्ट्र और केंद्र सरकार दोनों के खिलाफ मुहिम छेड़ने का है. लेकिन दो बड़े सवाल हैं.
पहला क्या वो इसके लिए सक्षम हैं? दूसरा उनके अभियान का साथ कौन कौन देगा?
नाना पटोले बीजेपी का पीछा नहीं छोड़ने के मूड में नहीं हैं इसलिए वो पूरे महाराष्ट्र में जनवरी से पाश्चाताप यात्रा की शुरू करने जा रहे हैं.
पटोले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विद्रोह करके इस्तीफा देकर सुर्खियां तो बटोर ली हैं. लेकिन वो ये मुहिम अकेले दम पर करेंगे या फिर किसी और का साथ ले रहे हैं? क्विंट को जानकारी मिली है कि नाना पटोले के अभियान को कई पार्टियों का समर्थन भी मिला है.
नाना पटोले बीजेपी के हाईप्रोफाइल सांसद थे क्योंकि उन्होंने गोंदिया-भंडारा सीट में पूर्व केंद्रीय मंत्री और एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल को बुरी तरह हराया था. जाहिर है वो अपनी पश्चाताप यात्रा की शुरुआत यहीं से करेंगे. लेकिन वैसे तो उनकी पश्चाताप यात्रा का फोकस किसान और उनकी दिक्कतें हैं तो क्या उनके बीजेपी छोड़ने की यही वजह है?
ऐसा लगता है कि गुजरात में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद भी बीजेपी को हार्दिक पटेल से छुटकारा मिलते नहीं दिख रहा है. हार्दिक ने नाना पटोले की पश्चाताप यात्रा में शामिल होने के लिए हामी भर दी है. उनका कहना है वो महाराष्ट्र में गुजरात मॉडल में किसानों की तकलीफ सामने रखेंगे.
कांग्रेस ने पटोले की इस मुहिम का खुलकर साथ देने का वादा नहीं किया है. लेकिन सांसद के तौर पर इस्तीफा देने के बाद गुजरात जाकर राहुल गांधी से मुलाकात से जाहिर है कांग्रेस के लिए उनके विकल्प खुले हुए हैं.
हालांक ऐन गुजरात चुनाव के वक्त उन्हें इस्तीफा इस बात की ओर इशारा कर रही थी कि वे जल्द कांग्रेस का दामन थामेंगे, लेकिन उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी से मुलाकात के बाद तय हुआ कि महाराष्ट्र में पश्चाताप यात्रा के बाद ही नाना कांग्रेस का दामन थामेंगे.
क्विंट को जानकारी मिली है कि नाना की इस यात्रा को कांग्रेस का भी समर्थन मिल रहा है.
नाना पटोले की मुहिम से कांग्रेस खुश है तो चर्चा है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मोदी सरकार पर लगातार हमले बोल रहे यशवंत सिन्हा नाराज हो गए हैं.
समझा जाता है कि यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने नाना पटोले को सलाह दी थी कि वोपार्टी में रहकर सरकार का विरोध करें. लेकिन नाना ने सिन्हा की सलाह ना मानते हुए बीजेपी और संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.
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