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किसान बिलों पर राज्यसभा में एनसीपी-शिवसेना का ‘अपनी डफली अपना राग’

कृषि बिल को लेकर संसद में शिवसेना और एनसीपी में तालमेल की कमी दिखी

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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कृषि बिल को लेकर संसद में  शिवसेना और एनसीपी में तालमेल की कमी दिखी
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कृषि बिल को लेकर संसद में शिवसेना और एनसीपी में तालमेल की कमी दिखी
(फाइल फोटोः PTI)

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कृषि और किसानों से जुड़े दो बिल संसद से पास हो गए लेकिन इस बीच राज्यसभा में जमकर हंगामा देखने मिला. विपक्ष में बैठे कई दल सरकार के बिल के विरोध में नारेबाजी करते नजर आए, पर सदन में विपक्ष की एकता देखने को नहीं मिली. जैसे शिवसेना और एनसीपी दोनों बिलों का विरोध करती नजर आईं लेकिन सदन के अंदर दोनों में तालमेल की कमी दिखी. कम से कम इनके और कांग्रेस के बीच तालमेल होनी चाहिए थी, क्योंकि ये तीनों महाराष्ट्र में मिलकर सरकार चला रही हैं.

शिवसेना ने सदन में बिल की जमकर आलोचना की, लेकिन बिल पर फैसला होने से पहले ही सदन से वॉकआउट कर गई. ऐसी खबरें भी चलीं कि इसी तरह एनसीपी भी वॉकआउट कर गई,जबकि वो भी बिल का विरोध कर रही है. इन सवालों पर क्विंट ने दोनों पार्टियों से बात की.

शिवसेना की चित भी मेरी पट भी मेरी

शिवसेना संसद संजय राउत ने सदन में कहा - क्या सरकार इस बात की गारंटी दे सकती है कि बिल के पास होने के बाद किसानों की आत्महत्या बंद हो जाएगी?  किसानों की आय सच में दोगुनी हो जाएगी? उन्होंने ये भी पूछा कि पीएम कह रहे हैं कि MSP बंद नहीं होगी, अगर ऐसा है तो सहयोगी पार्टी अकाली दल से मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा क्यों दिया? ये तेवर देखकर यही लगा कि शिवसेना इस बिल को रोकने के लिए आखिरी वक्त तक लड़ेगी लेकिन ध्वनिमत से पहले ही वॉकआउट कर गई. क्विंट ने संजय राउत से इसकी वजह पूछी तो उन्होंने ये जवाब दिया.

‘’शिवसेना ने कभी कृषि संशोधन विधेयक के खिलाफ वोट नहीं किया. हमारा सरकार से इतना ही कहना था की इस तरह के बिल लाने से पहले सभी पार्टी ने नेताओं को विश्वास में लेने की जरूरत थी.’’
संजय राउत,राज्यसभा सांसद, शिवसेना

हालांकि सवाल ये है कि जब बिल के कंटेंट को लेकर शिवसेना को कोई विरोध नहीं था तो राउत MSP को लेकर आशंका क्यों जता रहे थे? अगर उन्हें डर है कि MSP खत्म हो सकती है तो फिर उन्होंने वॉकआउट कर सरकार को क्यों मदद की? आखिर वो उस महाराष्ट्र से आते हैं जहां किसानों की आत्महत्या की खबरें आए दिन आती रहती हैं. वैसे खबर ये भी आई थी कि सरकार की तरफ से बिल के सदन में आने से पहले शिवसेना को अप्रोच किया गया था. शिवसेना के रुख को कुछ सियासी जानकारों ने इससे भी जोड़ा कि चुनाव आयोग ने उद्धव और आदित्य ठाकरे के चुनावी हलफनामों में गड़बड़ी की जांच का काम CBDT को दिया है. जाहिर है इन बातों की पुष्टि नहीं हो सकती.

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हमने वॉकआउट नहीं किया, गलत खबरें चलीं

बिल के पास होने के बाद से ही खबरें चल रही हैं कि बिल का पुरजोर विरोध कर रही एनसीपी भी वॉकआउट कर गई. लेकिन एनसीपी नेता प्रफुल पटेल ने क्विंट को बताया कि एनसीपी सांसद राज्यसभा में मौजूद थे. उन्होंने वॉकआउट की खबर को गलत बताया है.

‘’राज्यसभा में हंगामा हुआ. अगर वोटिंग होती तो बिल के विरोध में वोटिंग  करते. सरकार ने जिस तरह से बिल को पास कराया है उससे हम सहमत नहीं है.’’
प्रफुल पटेल, एनसीपी नेता

विपक्ष में तालमेल की कमी

राज्यसभा में एनडीए बहुमत से 24 सीट दूर है. ऐसे में उसके लिए कोई भी बिल पास कराना एक चुनौती ही है. लेकिन जिस तरह से विपक्षी पार्टियों में तालमेल की कमी दिखी, उससे सरकार बिल कराने कामयाब रही. अब हालत ये है कि विपक्षी कह रहे हैं कि जिस तरीके से ये बिल पास कराए गए वो लोकतंत्र की हत्या है और सरकार कह रही है कि विपक्ष ने सदन की गरिमा खराब की. इसी बिना पर 8 विपक्षी सांसदों को सस्पेंड भी किया गया है.

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