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खतरे में BJP-शिवसेना गठबंधन? आरे जंगल पर आर-पार के मूड में सहयोगी

क्या 2014 की तरह 2019 में भी टूटेगा शिवसेना - बीजेपी गठबंधन ?

रौनक कुकड़े
पॉलिटिक्स
Published:
(फोटोः Altered By Quint Hindi)
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(फोटोः Altered By Quint Hindi)

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी-शिवसेना गठबंधन खतरे में है. वजह है शिवसेना की युवा इकाई के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे का मेट्रो 3 के लिए आरे में प्रस्तावित कारशेड का कड़ा विरोध. यही विरोध विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शिवसेना - बीजेपी गठबंधन की गांठ खोल सकता है. इसके संकेत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के ताजा बयानों से मिल रहे हैं.

क्या महाराष्ट्र में फिर दोहराई जाएगी 2014 की कहानी?

बीजेपी-शिवसेना के बीच ताजा तनातनी से सवाल ये उठ रहा है कि क्या महाराष्ट्र में 2014 की कहानी फिर दोहराई जाएगी. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2014 से पहले युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने शिवसेना का 150 + का नारा बुलंद कर गठबंधन पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया था.

शिवसेना-बीजेपी नेताओं की कई दौर की बैठकों के बाद भी शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे 150 सीट से नीचे पर आने के लिए तैयार नहीं थे, जिसके बाद बीजेपी नेता एकनाथ खड़से ने 25 साल पुराने गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. बीजेपी का अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला फायदे का सौदा साबित हुआ, क्योंकि चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी 122 सीटें जीतकर महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनी और देवेंद्र फडणवीस बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री बने.

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क्या 2019 में भी टूटेगा शिवसेना - बीजेपी गठबंधन ?

5 साल पहले के आदित्य ठाकरे और अब के आदित्य ठाकरे में बड़ा बदलाव दिखाई देता है. छात्र राजनीति से ऊपर उठकर गांव, गरीब, किसान और अब पर्यावरण जैसे अहम मुद्दों पर आदित्य खुलकर बोलते हैं.

पार्टी में भी कई सीनियर नेताओं ने आदित्य को अपना नेता मानना शुरू कर दिया है. चुनाव से पहले आदित्य ठाकरे की जन आशीर्वाद यात्रा भी साफ इशारा कर रही है कि शिवसेना आने वाले चुनावों में आदित्य को पार्टी का चेहरा बना सकती है.

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भी कुछ दिन पहले आरे के मुद्दे पर आदित्य के सुर में सुर मिलाकर पार्टी का रुख साफ कर दिया था. लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि आरे के मुद्दे पर विरोध का आदित्य का फैसला कहीं इस बार भी शिवसेना के लिए चुनाव में गले की फांस ना बन जाए.

सीएम फडणवीस के संकेत

"नाणार रिफाइनरी का जो हुआ वही आरे का होगा" शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का ये बयान लगता है सीएम फडणवीस को बिलकुल नहीं भाया है, और शायद इसीलिए सीएम फडणवीस की महाजनादेश यात्रा जब मंगलवार को कोंकण के राजपुर पहुंची तो उन्होंने "नाणार रिफाइनरी" पर फिर एक बार विचार करने के संकेत दिए, जिसने इस बात को साफ कर दिया है की शिवसेना- बीजेपी गठबंधन फिलहाल नाजुक हालत में है.

रत्नागिरी जिले में प्रस्तावित 3 लाख करोड़ के रिफाइनरी प्रोजेक्ट से इलाके के 1 लाख से ज्यादा लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा. आपके विरोध के बाद पिछली बार इसे रोका गया लेकिन अब इस प्रोजेक्ट को लेकर आपका जो उत्साह दिख रहा है उसे देखते हुए अभी तो मैं कोई घोषणा नहीं करूंगा लेकिन जल्द ही आप लोगों से बात करूंगा.
देवेंद्र फडणवीस, मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र

बता दें, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शिवसेना के कड़े विरोध के बाद "नाणार रिफाइनरी" प्रोजेक्ट पर सीएम फडणवीस ने रोक लगा दी थी.

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