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अखिलेश यादव की सरकार में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और गैंगरेप मामले के आरोपी गायत्री प्रजापति को कोर्ट से मिली जमानत अब विवादों में है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि गैंगरेप के आरोप में जेल में बंद गायत्री प्रजापति को जमानत देने के लिए 10 करोड़ रुपये की डील हुई थी. इस 10 करोड़ की डील में कुछ जज भी शामिल थे. साथ ही इस मामले की सुनवाई करने वाले जजों की पोस्टिंग में भी भ्रष्टाचार की बात सामने आई है.
दरअसल, प्रजापति को एक गैंगरेप मामले में जमानत मिलने के बाद विवाद शुरू हो गया था और इसके चलते अदालत ने इसकी जांच के आदेश दिए थे. इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोसले ने प्रजापति को जमानत मिलने को लेकर जांच के आदेश दिए थे.
अपनी रिपोर्ट में जस्टिस भोसले ने कहा है कि-
वहीं इंटेलिजेंस ब्यूरो ने भी ओ.पी. मिश्रा की पोस्टिंग को लेकर सवाल उठाया है.
जस्टिस भोसले के रिपोर्ट के मुताबिक, गायत्री प्रजापति ने जमानत के लिए 10 करोड़ रुपये दिए थे. इतना ही नहीं 10 करोड़ रुपये में से पांच करोड़ रुपये उन तीन वकीलों को भी दिए गए थे जो बिचौलिए की भूमिका में थे जबकि पांच करोड़ रुपये की रकम पोक्सो जज ओपी मिश्रा और जिला जज राजेंद्र सिंह को दिए गए थे.
गायत्री प्रजापति पर एक महिला ने सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया था. महिला का आरोप था कि 3 साल पहले जब वह प्रजापति से मिली थी, उस समय उन्होंने चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर उसे बेहोश कर दिया और बेहोशी की हालत में उसके साथ दुष्कर्म किया और उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें भी ले लीं. महिला के शिकात के बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की थी.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने 17 फरवरी को एफआईआर दर्ज की थी. उन्हें 15 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया था. 24 अप्रैल को उन्होंने जज ओपी मिश्रा की अदालत में जमानत की अर्जी दी और उन्हें मामले की जांच जारी रहने के बावजूद जमानत दे दी गई.
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