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ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव की 150 सीटों पर हुए मतदान में मतदान प्रतिशत कम रहा. इस चुनाव को अपनी नाक की लड़ाई बना चुकी बीजेपी के लिए ये तेलंगाना में ये सम्मान की लड़ाई बन गयी थी. लेकिन कम मतदान ने बीजेपी समेत कांग्रेस को चिंतित कर दिया है, तो वहीं कम मतदान प्रतिशत से टीआरएस खुश नजर आ रही है. टीआरएस को ये विश्वास है कि कम मतप्रतिशत उसके दूसरे कार्यकाल के लिए जीएचएमसी परिषद का गठन करेगा.
दूसरी तरफ 2016 के चुनाव में 44 सीट जीतने वाली ओवैसी की पार्टी AIMIM भी अपने प्रदर्शन को लेकर संतुष्ट नजर आ रही है. MIM को विश्वास है कि पिछली बार झांसी बाजार में कुछ वोटों के अंतर से मिली हार को इस बार वो जीत में बदलेगी.
1- 150 सीटों पर सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक वोटिंग हुई
2- शाम पांच बजे तक 35.80 प्रतिशत मतदान हुआ
3- 2016 में हुए चुनाव में करीब 45.3 प्रतिशत मतदान हुआ था
4- 150 सीटों पर कुल 1,122 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं
5- इस चुनाव में कुल 74,44,260 मतदाता हैं
6- मतगणना चार दिसंबर को होगी.
मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने बुधवार को सभी प्रभागों के पार्टी चुनाव प्रभारियों की बैठक बुलाई है. ये बैठक प्रगति भवन में होगी जहां मतदान के रूझान की जानकारी प्राप्त की जा सके. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने नेताओं को संख्या के संबंध में कोई दावा करने से तब तक मना किया है जब तक पार्टी सभी वॉर्डों की समीक्षा नहीं कर लेती.
अगर कांग्रेस की बात की जाए तो उसे डर है कि बीजेपी, टीआरएस और एमआईएम की सांप्रदायिक-केंद्रित चुनाव अभियान से वोटरों का ध्रूविकरण हो सकता है. कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि उन्हें विकास के आधार पर 8 से 10 सीटें मिल सकती हैं. 2016 के चुनाव में दूसरे नम्बर पर रहने वाली एमआईएम को उम्मीद है कि वो अपनी सभी सीटों पर दूबारा जीतेगी.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया कि तेलंगाना राज्य निर्वाचन आयोग (SIC) ने वार्ड नंबर 26 के सभी 69 मतदान केंद्रों में पुनर्मतदान का आदेश दिया है. मतपत्र पर सीपीआई के बजाए सीपीएम का चुनाव चिन्ह छप जाने के कारण यह फैसला किया गया है. सभी 69 मतदान केंद्रों पर तीन दिसंबर को सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदान होगा.
2016 में हुए ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में टीआरएस को बहुमत मिला था तो एमआईएम दूसरे नम्बर पर रही थी.
आपको बता दें कि इस चुनाव को 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. तेलंगाना में कमजोर बीजेपी भीतरी इलाकों में ज्यादा से ज्यादा सियासी आधार बढ़ाने का मौका देख रही है. यही वजह है की बीजेपी ने केसीआर और असदुद्दीन ओवैसी के मजबूत दुर्ग में चुनाव प्रचार करने के लिए अपने दिग्गज नेताओं की फौज उतारने से भी नहीं करता रही है. 2018 के चुनाव में टीआरएस ने दो तिहाई बहुमत हासिल कर सत्ता में वापसी की थी. जिसे बीजेपी 2023 में टक्कर देना चाहती है.
जिन 150 सीटों पर नगर निगम के चुनाव हुए हैं वहां 24 विधानसभा क्षेत्र के साथ ही 5 लोकसभा क्षेत्र भी है. बीजेपी 2018 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले 2019 के लोकसभा चुनाव में टीआरएस को टक्कर देने में कामयाब रही थी. लेकिन टीआरएस से आधी सीटों पर बीजेपी सिमट गई.
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Published: 02 Dec 2020,02:51 PM IST