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भारतीय राजनीति में लगता है लंबी यात्राओं का दौर लौट आया है. कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' और बिहार में भाग्य आजमाने को आतुर प्रशांत किशोर की 'जन सुराज यात्रा' के बाद अब बीजेपी ने इस साल के अंत में होने जा रहे गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले राज्य में 'गौरव यात्रा' (Gujarat BJP's Gaurav Yatras) की शुरुआत कर दी है. 'गौरव यात्रा' की शुरुआत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार, 12 अक्टूबर को गुजरात के मेहसाणा जिले के मंदिर शहर बहुचाराजी से की. इसका समापन 20 अक्टूबर को कच्छ के मांडवी में होगा. आइए जानते हैं कि 'गौरव यात्रा' है क्या और इसका क्या रूट होगा? इससे पहले कब यह यात्रा निकाली गयी थी?
बीजेपी 12 और 13 अक्टूबर- यानी 2 दिनों गुजरात में पांच गौरव यात्राएं निकालेगी. बेचराजी से गौरव यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने से पहले बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने कार्यकर्ताओं से अपील की, कि वे हर घर में पार्टी के संदेश लेकर जाएं और केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किए गए विकास कार्यों, नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में बताएं. उन्होंने यहां यह भी कहा कि यह बीजेपी या गुजरात की 'गौरव यात्रा' नहीं है, बल्कि भारत का गौरव स्थापित करने वाली है. यह यात्रा गुजरात से भारत की यात्रा की कहानी है.
हालांकि इस यात्रा को इस साल के अंत में होने जा रहे गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में ऐसी 'गौरव यात्रा' निकली हो.
गौरव यात्रा के लिए पार्टी द्वारा तैयार किए गए रूट का फोकस आदिवासी वोट लग रहे हैं, जिसने परंपरागत रूप से कांग्रेस को वोट दिया है और जिन्हें अब नई खिलाड़ी AAP लुभा रही है.
यात्रा के लिए तय पांच रूट ये हैं
मेहसाणा जिले के बेचाराजी से लेकर कच्छ जिले के मध
द्वारका से पोरबंदर
अहमदाबाद जिले के जंजारका से सोमनाथ
दक्षिण गुजरात के नवसारी जिले में उनाई से लेकर मध्य गुजरात के खेड़ा जिले के फागवेल
उत्तरी गुजरात में उनाई से अंबाजी तक
इनमें से उनाई से अंबाजी रूट सबसे लंबा है. यह राज्य के पूर्वी हिस्से में लगभग 490 किमी को कवर करता है, जहां आदिवासी जिले केंद्रित हैं. उनाई से फागवेल तक का रूट भी आदिवासी बेल्ट के कुछ हिस्सों को कवर करेगा.
यह तीसरी बार है जब बीजेपी गुजरात में गौरव यात्रा आयोजित कर रही है. पहली बार इसे साल 2002 में आयोजित किया गया था- गुजरात दंगों के बाद और विधानसभा चुनावों से पहले. यह यात्रा 11 सप्ताह तक चली थी. दूसरा मौका 2017 में था. उस साल बीजेपी राज्य चुनावों से पहले पाटीदारों के गुस्से का सामना कर रही थी.
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