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केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस पर तीखा पलटवार किया है. पुरी ने शुक्रवार को इस मामले पर कई ट्वीट किए हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा है, ''सेंट्रल विस्टा पर कांग्रेस की बातें अजीब हैं. सेंट्रल विस्टा की लागत कई सालों में लगभग 20000 करोड़ रुपये है. भारत सरकार ने टीकाकरण के लिए लगभग दो बार इतनी राशि आवंटित की है! इस साल भारत का स्वास्थ्य बजट 3 लाख करोड़ से ज्यादा था. हम अपनी प्राथमिकताएं जानते हैं.''
इसके अलावा उन्होंने कहा,''
पुरी ने कहा, ''यूपीए के दौरान, कांग्रेस नेताओं ने एक नई संसद की जरूरत के बारे में लिखा था. 2012 में स्पीकर ने उसी के लिए शहरी विकास मंत्रालय को एक लेटर लिखा था.''
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर कहा, ''सेंट्रल विस्टा एक आपराधिक बर्बादी है. लोगों की जिंदगियां केंद्र में रखिए - एक नया घर पाने के लिए अपना अंधा अहंकार नहीं!’’
राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन जारी रहने के बीच भी इस प्रोजेक्ट का काम जारी रहा है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत निर्माण के काम को ‘‘जरूरी सेवाओं’’ में शामिल किए जाने की विपक्ष जमकर आलोचना कर चुका है.
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कोरोना वायरस महामारी के बावजूद सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को जारी रखने की सरकार की योजना को ‘‘बेतुका’’ बताया है.
येचुरी ने प्रोजेक्ट के तहत बाकी भवनों के लिए केंद्र की ओर से जरूरी पर्यावरण मंजूरी देने संबंधी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए मंजूरी के समय को लेकर सवाल किया है.
तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन कह चुके हैं कि इस प्रोजेक्ट पर खर्च होने वाले रुपये भारत के लोगों को टीका लगाने पर खर्च किए जाएं.
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि यह ऐसे ‘तानाशाह’ की गलत प्राथमिकताओं का विषय है जो अपना नाम इतिहास में दर्ज कराना चाहते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस बात के मद्देनजर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया कि यह पहले से ही दिल्ली हाई कोर्ट में है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है. हालांकि, उसने दिल्ली हाई कोर्ट से इस मामले पर जल्द सुनवाई के लिए विचार करने को कहा है.
दिल्ली हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच के सामने केंद्र ने इस जनहित याचिका का विरोध किया. बेंच ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद कहा कि पहले वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करना चाहती है कि उसने प्रोजेक्ट को अनुमति देते हुए क्या फैसला दिया था. इस टिप्पणी के साथ अदालत ने मामले को स्थगित कर दिया और सुनवाई की अगली तारीख 17 मई तय कर दी.
अनुवादक के तौर पर काम करने वाली अन्या मल्होत्रा और इतिहासवेत्ता और डॉक्युमेंटरी फिल्म निर्माता सोहेल हाशमी ने याचिका दायर कर दावा किया है कि महामारी के दौरान अगर प्रोजेक्ट पर काम चलता रहा तो इसके ‘सुपर स्प्रेडर’ बनने की आशंका है. याचिका में कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट के निर्माण को एक 'जरूरी गतिविधि' नहीं बताया जा सकता है.
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Published: 07 May 2021,04:29 PM IST