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गुजरात में पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. हालांकि, पटेल ने ये साफ नहीं किया है कि वो किसी राजनीतिक दल में शामिल होंगे या फिर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरेंगे.
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि हार्दिक पटेल चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं.
बता दें, हार्दिक पटेल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में थे. यहां उनसे जब पूछा गया कि क्या वह चुनावी राजनीति में उतरेंगे. इस पर पटेल ने कहा-
कांग्रेस में शामिल होने के सवाल पर पाटीदार नेता ने कहा कि वह इस पर बाद में फैसला लेंगे.
उधर, कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि चुनाव लड़ने के लिए पार्टी में शामिल होने को लेकर हार्दिक पटेल के साथ बातचीत चल रही है. पार्टी नेताओं ने कहा कि हार्दिक पटेल मेहसाणा या अमरेली सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. इन दोनों ही सीटों पर पटेल समुदाय का बड़ा प्रभाव माना जाता है.
पार्टी सूत्रों ने कहा कि 2015 के पाटीदार आंदोलन के दौरान हिंसा के एक मामले में कोर्ट ने हार्दिक पटेल पर मेहसाणा में दाखिल होने से रोक लगा रखी है. निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ पटेल ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.
उन्होंने कहा,
कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के बाहरी समर्थन के साथ हार्दिक पटेल के निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भी चुनाव लड़ने की संभावनाओं को खारिज नहीं किया है.
पटेल के चुनावी मैदान में उतरने से गुजरात की सियासत पर बड़ा असर पड़ सकता है. गुजरात में भारतीय जनता पार्टी 1995 से लगातार विधानसभा चुनाव जीतती आ रही है. साल 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने राज्य की सभी 26 लोकसभा सीटें जीती थीं.
पाटीदार नेता धार्मिक मालवीय ने कहा, ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत कोटा दिए जाने के बाद हमारी इच्छा थी कि हार्दिक को लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए और हमारे समाज के लिए आगे बढ़ना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि अब चूंकि हार्दिक ने 25 साल की उम्र पार कर ली है, अब वह चुनाव लड़ने के लिए योग्य हो चुके हैं.
हार्दिक पटेल पहली बार उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने शिक्षा और नौकरियों में पटेल समुदाय को आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर गुजरात में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए थे. 25 अगस्त, 2015 को हार्दिक पटेल की अगुवाई में कोटा आंदोलन के दौरान झड़पें हुईं, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई और सार्वजनिक संपत्ति का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ.
आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के मामले में पाटीदार नेता के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. जुलाई 2016 में जमानत पर रिहा होने से पहले वह नौ महीने जेल में रहे थे. दिसंबर 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया था.
(इनपुटः PTI)
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Published: 06 Feb 2019,10:09 PM IST