मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019हरियाणा में दुष्यंत को मिली विरासत, Cong को हिम्मत और BJP को फजीहत

हरियाणा में दुष्यंत को मिली विरासत, Cong को हिम्मत और BJP को फजीहत

हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों पर सटीक विश्लेषण 

नीरज गुप्ता
पॉलिटिक्स
Updated:
हरियाणा में दुष्यंत को मिली विरासत, Cong को हिम्मत और BJP को फजीहत
i
हरियाणा में दुष्यंत को मिली विरासत, Cong को हिम्मत और BJP को फजीहत
(फोटो: Altered By Quint Hindi)

advertisement

हरियाणा के चुनाव ने पॉलिटिक्स के ज्यादातर पंडितों की हवा निकाल दी है. एक-आध को छोड़कर सभी एग्जिट पोल बीजेपी की बंपर जीत की घोषणा कर रहे थे. बीजेपी ने खुद ‘अबकी बार, 75 पार’ का नारा दिया था. लेकिन पार्टी बहुमत का आंकड़ा यानी 46 सीट छूती हुई नजर नहीं आ रही है. क्या हैं इस छोटे से राज्य के चुनाव नतीजों के बड़े संदेश?

  • पूर्व उप-प्रधानमंत्री और दिग्गज जाट नेता रहे चौधरी देवीलाल की विरासत बेटे अभय चौटाला से छिटककर उनके पोते दुष्यंत चौटाला को मिल गई है. अभय की पार्टी INLD खाता भी बमुश्किल ही खोलती दिख रही है.
  • लोगों ने आर्टिकल 370 और पाकिस्तान जैसे मुद्दों को नकारकर बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर वोट दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत तमाम नेताओं ने 370 और पाकिस्तान को प्रचार का हथियार बनाया था.
  • कांग्रेस के लिए तसल्ली की बात ये है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद पार्टी में भले उठापटक का माहौल हो, लेकिन जनता ने अभी उसे खारिज नहीं किया है. साथ ही सोनिया गांधी का भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कमान सौंपने का फैसला भी असरदार साबित हुआ.
  • जातियों के आधार पर बंटे हिंदू वोटों को हिंदूवाद की छतरी तले लाकर अपने पाले में लेने की बीजेपी की कोशिश नाकाम हुई है. लोकसभा से तुलना करें तो उसके वोट प्रतिशत में करीब 22 फीसदी की गिरावट है.
  • प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी के साथ बीजेपी केंद्र में भले ही अजेय नजर आती हो, लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बाद अब हरियाणा ने साबित कर दिया है कि राज्य विधानसभा चुनावों में बीजेपी अजेय नहीं है.
  • लोग किसी भी एक पार्टी या मुद्दे के साथ चिपके हुए नहीं हैं. वो दिसंबर 2018 में तीन राज्यों में कांग्रेस जिताते हैं, मई 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हीं राज्यों में उसे हराते हैं और फिर अगले विधानसभा चुनाव में फिर अपना मन बदल लेते हैं.
  • ज्यादातर दलबदलुओं की हार हुई है. साफ है कि चुनाव से पहले पाला बदलने की मौकापरस्ती को लोगों ने दरकिनार किया है.
  • चुनाव से पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ एक केस दर्ज किया था. उनसे पूछताछ हुई, अदालत में पेशी हुई. लेकिन चुनाव नतीजे कह रहे हैं कि उस कार्रवाई से हुड्डा को नुकसान नहीं फायदा हुआ.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 24 Oct 2019,03:33 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT