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हरियाणा में राजपूत और गुर्जर आमने-सामने, सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर विवाद

Haryana News: राजपूत समाज ने 25 जुलाई को प्रदेशभर में लघु सचिवालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया है.

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हरियाणा में सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर विवाद

(फोटो: क्विंट)

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हरियाणा (Haryana) के कैथल में सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति के अनावरण को लेकर उठा विवाद फिलहाल शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. राजपूत समाज और गुर्जर समाज आमने-सामने आ गए हैं. राजपूत समाज की तरफ से 25 जुलाई को प्रदेशभर में लघु सचिवालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया गया है.

विवाद की वजह क्या है?

दरअसल, विवाद की असल वजह सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर है. 20 जुलाई को कैथल में गुर्जर समाज की तरफ से सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति का अनावरण किया गया. मूर्ति अनावरण के लिए जो पोस्टर लगाया गया था उसमें सम्राट मिहिर भोज के नाम के आगे 'गुर्जर' लिखा था, जिसपर राजपूत समाज ने आपत्ति जताई थी. इसको लेकर भारी विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिला था.

राजपूत समाज ने मूर्ति अनावरण से 3 दिन पहले ही कार्यक्रम को स्थगित करने का अल्टीमेटम दिया था. 19 जुलाई को राजपूत समाज के लोगों ने दिनभर लघु सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया था. जब प्रशासन की तरफ से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो शाम 5 बजे के बाद प्रदर्शनकारी खुद ही मूर्ति का अनावरण करने के लिए सचिवालय से निकल लिए.

इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बस स्टैंड के आगे बैरिकेड्स लगाकर रोकने का प्रयास किया. लेकिन प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स को तोड़कर आगे बढ़ गए. जैसे ही प्रदर्शनकारी चौक पर लगी मूर्ति के पास पहुंचे तो स्थिति तनावपूर्ण हो गई. जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई. पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे.

कंवरपाल गुर्जर ने कार्यक्रम से किया किनारा

गुर्जर समाज की ओर से आयोजित मूर्ति अनावरण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हरियाणा के कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर थे. लेकिन, विवाद बढ़ता देख कंवरपाल गुर्जर ने कार्यक्रम से दूरी बना ली. जिसके बाद कैथल से विधायक लीलाराम गुर्जर और गुर्जर समाज के लोगों ने खुद ही मूर्ति का अनावरण किया. हांलाकि, मूर्ति के अनावरण का समय सुबह 8 बजे था, लेकिन तय समय से आधे घंटे पहले ही मूर्ति का अनावरण कर दिया गया.

विधायक लीलाराम गुर्जर ने अपने संबोधन में कहा कि जो गुर्जर को छेड़ेगा, वो मारा जाएगा. वहीं मूर्ति अनावरण के बाद समाज के लोगों ने बाइक रैली निकाली और डीजे पर गाना बजाकर शक्ति प्रदर्शन किया.
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करीब 30 राजपूत नेताओं ने छोड़ी बीजेपी

इस पूरे प्रकरण को लेकर राजपूत समाज के लोग बीजेपी से खफा नजर आ रहे हैं. करीब 30 राजपूत नेताओं ने बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ को इस्तीफा सौंप दिया है.

सामूहिक इस्तीफे में राजपूत नेताओं ने कहा कि...

"हिंदू सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर गुर्जर सम्राट लिखने से राजपूत और गुर्जर समाज में मतभेद है. इस मामले को सुलझाने की बजाय बीजेपी जिलाध्यक्ष अशोक गुर्जर ने प्रशासन और सरकार पर दबाव डाला. इस कार्रवाई से हम आहत हैं और पार्टी में काम करने में असमर्थ हैं."

राजपूत नेताओं ने चेतावनी दी है कि जब तक गुर्जर शब्द नहीं हटाया जाएगा तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा.

राजपूतों के 22 गांवों में बीजेपी नेताओं की एंट्री बैन

शनिवार को चीका में राजपूत समाज ने प्रदर्शन कर सकार का पुतला फूंका. इसके अलावा कैथल के 22 राजपूत बाहुल्य गांव में बीजेपी नेताओं की एंट्री पर बैन करने का ऐलान किया.

राजपूत समाज की तरफ से कहा गया है कि "अगर कोई बीजेपी नेता इन गांवों में आएगा तो उनका विरोध किया जाएगा."

राजपूत समाज के लोगों का कहना है कि "सम्राट मिहिर भोज की मर्ति बनाने से हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उनके नाम के आगे गुर्जर शब्द न लगाएं."

वहीं इस मामले में राजपूत समाज ने 25 जुलाई को प्रदेशभर में लघु सचिवालय के बाहर विरोध प्रदर्शन का भी ऐलान किया है.

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