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राजनीतिक पार्टियां कैसे फंड जुटाती हैं, इस पूरी प्रक्रिया में 'पारदर्शिता' लाने के नाम पर इलेक्टोरल बॉन्ड लाया गया था. लेकिन क्या अब हम ऐसी निगरानी में हैं, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया?
इलेक्टोरल बॉन्ड लाने के वक्त ये बताया गया था कि बॉन्ड के जरिए कौन किसको चंदा दे रहा है, इसकी जानकारी डोनर के अलावा और किसी को नहीं होगी. हालांकि क्विंट के इंवेस्टिगेशन से पता चलता है कि इलेक्टोरल बॉन्ड में 'अल्फा-न्युमेरिक नंबर' छिपे हुए हैं, जिन्हें नंगी आंखों से देख पाना मुमकिन नहीं है. लेकिन दावे से उलट, इससे ये पता चलता है कि किसने किसको भुगतान किया है.
क्विंट ने इसकी पड़ताल के लिए 1-1 हजार कीमत के दो इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. बॉन्ड में कोई छिपा हुआ फीचर या नंबर है या नहीं, इसकी जांच के लिए उसे फॉरेंसिक टेस्ट के लिए भेजा गया. पहला बॉन्ड 5 अप्रैल को खरीदा गया था, जबकि दूसरा बॉन्ड 9 अप्रैल को खरीदा गया.
देश के सबसे प्रतिष्ठित लैब में इसकी जांच कराई गई. लेबोरेटरी रिपोर्ट दिखाती है कि इलेक्टोरल बॉन्ड में अल्फा न्युमेरिक नंबर्स हैं. 5 अप्रैल को जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड में छिपा हुआ यूनिक नंबर है- OT 015101, जबकि 9 अप्रैल को जारी किए गए बॉन्ड का यूनिक नंबर है- OT 015102.
रिपोर्ट से हमें जो मालूम चला, उसके हिसाब से सरकार के लिए हमारे पास कुछ सवाल हैं:
इलेक्टोरल बांड को सरकार ने बियरर इंस्ट्रूमेंट की तरह पेश किया है. यह प्रॉमिसरी नोट की तरह है. कॉरपोरेट कंपनियां और आम लोग इसका इस्तेमाल बैंकिंग चैनल के जरिये राजनीतिक पार्टी को चंदा देने में करेंगे. सरकार ने कहा है कि इलेक्टोरल बांड कैश में राजनीतिक दलों को चंदा देने और चुनावी खर्चों को कैश में दिखाने के पारंपरिक तरीकों पर लगाम लगाएगा.
ये बॉन्ड साल की हर तिमाही में बेचा जाता है, जिसे महीने के शुरुआती 10 दिनों में खरीदा जा सकता है. इसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नामित शाखाओं से खरीदा जा सकता है. हमने इससे पहले अपनी रिपोर्ट में दिखाया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड में कोई सीरियल नंबर नहीं है, जिसे नंगी आंखों से देखा जा सके. जैसा कि आप तस्वीर में देख सकते हैं कि कोई सीरियल नंबर या डोनर का नाम इस पर दिखाई नहीं देता. ऐसे में इसे खरीदने वाले को ये भरोसा होता है कि वो ट्रैक नहीं किया जा सकता है. सिर्फ बॉन्ड के जारी होने की तारीख ही इस पर दिखती है.
क्विंट ने वित्त मंत्रालय को लिखकर ये जवाब मांगा है कि आखिर इलेक्टोरल बॉन्ड पर हिडेन नंबर क्यों हैं? जैसे ही मंत्रालय से हमें कोई प्रतिक्रिया मिलती है, हम अपनी रिपोर्ट को अपडेट करेंगे.
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Published: 12 Apr 2018,06:58 AM IST