मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 नवाबों के शहर लखनऊ में बरखा दत्त: थोड़ी शायरी, थोड़ी सियासत

नवाबों के शहर लखनऊ में बरखा दत्त: थोड़ी शायरी, थोड़ी सियासत

चुनावी राजनीति की तू तू मै मै के बीच कुछ शायराना हो जाए.

बरखा दत्त
पॉलिटिक्स
Updated:


(फोटो : क्विंट)
i
(फोटो : क्विंट)
null

advertisement

‘ऑन द रोड विद बरखा दत्त’ में क्विंट का काफिला पहुंचा नावाबों के शहर लखनऊ. चुनाव की राजनीतिक तू तू मैं मैं के बीच द क्विंट ने कुछ जाने माने लेखक, शायर और कवियों से तहजीब भरी बातें की और उनसे उत्तर प्रदेश की राजनीति पर उनका रुख जाना.

वासिफ फरुखी का कहना है कि कविताओं में ही तहजीब जिंदा है, वरना आजकल तो बदतमीजी ज्यादा हो रही है.

वो जो धरती पर चल नहीं सकता वो भी ऊंची उड़ान सोचता है
नियतें सबकी तख्तोंताज पर हैं, कौन हिंदुस्तान सोचता है

संजय मिश्रा ने पूरी राजनीति को अपने एक शेर में बयां कर दिया.

यहां सपेरे भी खुश हैं तमाशबीन भी खुश
अजीब सांप हैं जिनसे आस्तीन भी खुश

वहीं नेताओं पर आम जनता पर अपनी बात रखते हुए राम प्रकाश बेखुद ने फरमाया.

किसी में डोर धर्म की, किसी में मजहब की
ये चरखियां तो सदन में घुमाई जाती है
रहें जमीन पर तो सबसे मिलकर रहती है
पतंगे लड़ती नहीं है, लड़ाई जाती है

देश को एक बने रहने के लिए शकील ने दिया ये पैगाम.

जाने कैसी दिलों में दूरी है
जिंदगी आज भी अधूरी है
देश आवाज दे रहा है हमें
एक होना बहुत जरूरी है

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 04 Feb 2017,03:36 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT