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महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सरकार बनाने में पेंच फंसने पर भी बीजेपी बैकफुट पर आने को तैयार नहीं है. सभी निर्दलीय विधायकों को अपने साथ खड़ा कर बीजेपी, शिवसेना पर दबाव बनाने में जुटी है.
ठाकरे घराने से किसी सदस्य के तौर पर पहली बार आदित्य ठाकरे ने चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद से शिवसेना की निगाहें मुख्यमंत्री पद पर हैं. लेकिन बीजेपी ने साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री का पद उसके पास ही रहेगा, शिवसेना को नहीं मिलने वाला है.
बीजेपी का कहना है कि उसे 15 निर्दलीयों का भी समर्थन मिला है. छोटे दलों के कुछ और भी विधायक संपर्क में हैं. इस तरह वह 2014 की तरह ही संख्याबल के आधार पर मजबूत स्थिति में है. कुल मिलाकर बीजेपी, शिवसेना को संदेश देने की कोशिश में है कि वह इस चुनाव में किसी तरह से कमजोर नहीं हुई है.
बीजेपी की महाराष्ट्र यूनिट की प्रवक्ता श्वेता शालिनी ने सोमवार को 'आईएएनएस' से कहा-
मीरा भायंदर सीट से बीजेपी का टिकट न मिलने पर निर्दल लड़कर जीतीं गीता जैन, बरसी सीट से राजेंद्र राउत, अमरावती जिले की बडनेरा सीट से जीतने वाले रवि राणा ने बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा कर दी है. बीजेपी का कहना है कि इन तीनों की तरह अन्य निर्दलीय विधायकों ने खुद बीजेपी से संपर्क कर समर्थन देने की बात कही है, क्योंकि उनका नाता बीजेपी से ही रहा है. नतीजे आने के दिन 24 अक्टूबर को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी 15 निर्दलीयों के संपर्क में होने की बात कही थी.
महाराष्ट्र में एनडीए को बहुमत मिलने के बाद भी सरकार बनाने पर पेंच फंसा हुआ है. क्योंकि 24 अक्टूबर को चुनाव नतीजे आने के दिन प्रेस कांफ्रेंस कर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने लोकसभा चुनाव के दौरान तय हुए 50-50 फॉर्मूले की बात उठा दी थी.
चुनाव से पहले शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे उद्धव ठाकरे ने अपने इंटरव्यू में भी कहा था कि वह शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं. जिसके बाद से बीजेपी-शिवसेना में सरकार बनाने को लेकर अबतक पेंच फंसा हुआ है.
28 अक्टूबर को दोनों दलों के नेताओं ने राज्यपाल से अलग-अलग मुलाकात भी की. इससे माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री और सरकार में पदों को लेकर बातचीत सुलझ नहीं सकी है.
बीजेपी प्रवक्ता श्वेता शालिनी ने कहा, "लोकसभा चुनाव के दौरान जिस 50-50 फॉर्मूले की बात शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कह रहे हैं, उसमें बहुत-सी बातें हो सकतीं हैं. चुनाव के दौरान 50-50 फीसदी सीटों पर लड़ने की बात भी तो हो सकती है. इसका मतलब ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने से नहीं लगाया जा सकता."
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Published: 28 Oct 2019,05:34 PM IST