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नेता कर बैठते हैं ‘गलती से’ इतनी बड़ी मिस्‍टेक? 

लालू यादव के बेटे ने सुशील मोदी खिलाफ हिंसा की धमकी दी 

दीपक के मंडल
पॉलिटिक्स
Updated:
विवादास्‍पद बयानबाजी में ये किसी से कम नहीं
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विवादास्‍पद बयानबाजी में ये किसी से कम नहीं
(कोलाज: क्‍व‍िंंट हिंदी)

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नेताओं के बीच जुबानी जंग बेहद छिछले दौर में पहुंच गई है. हमारे सियासतदान एक-दूसरे को घर में घुसकर मारने, हाथ और जुबान काटने की धमकी दे रहे हैं. धमकी देने में सत्ताधारी और विपक्ष के नेता मानो एक-दूसरे से होड़ कर रहे हों. पीटने, हाथ काट देने और मार डालने की धमकियों का अखाड़ा बिहार से लेकर गुजरात तक पसरा है.

बुधवार को लालू यादव के छोटे बेटे और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप ने डिप्टी सीएम और वरिष्ठ बीजेपी नेता सुशील मोदी को घर में घुसकर मारने की धमकी दी, तो सुशील मोदी ने उन्हें 'कुंठित' कह दिया.

दो दिन पहले बिहार बीजेपी के चीफ नित्यानंद तिवारी ने कहा था कि जो अंगुली मोदी की ओर उठेगी, काट दी जाएगी. इस पर राबड़ी देवी ने कहा था कि बिहार में मोदी का हाथ, सिर काटने वाले बहुत लोग मौजूद हैं.

लालू के छोटे बेटे और बिहार के डिप्टी सीएम रह चुके तेजस्वी यादव ने मंगलवार को जो ट्वीट किया, उससे भी आप भाषायी मर्यादा का स्‍तर समझ सकते हैं:

नेताओं के बीच जुबानी जंग का दायरा सिर्फ बिहार तक ही सीमित नहीं है. गुजरात में चुनावी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही नेताओं की जुबान न सिर्फ तीखी होती जा रही है, बल्कि अशिष्टता की हदें लांघ रही है. बुधवार को यहां के डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने आरक्षण पर कांग्रेस और हार्दिक पटेल के बीच समझौते पर कहा, ''मूर्खों ने फॉर्मूला दिया है और मूर्खों ने इसे स्वीकार किया है. हार्दिक काले सितारे हैं. जल्द बुझ जाएंगे. ऐसे बहुत सारे नेता आते हैं चले जाते हैं.''

समुदाय आप से बदला लेगा.. वे आप का शिकार करेंगे और बदला लेंगे. समुदाय के इतिहास में आपका नाम काली सूची में दर्ज किया जाएगा और आप अपना चेहरा दिखाने के काबिल नहीं होंगे.
हार्दिक पर गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन पटेल की टिप्पणी 
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अपने बयानों के लिए अक्सर विवाद में रहने वाले हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने शनिवार को महात्मा गांधी पर लिखे गए गीत 'साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल' को शहीदों का अपमान करार दिया था. इस पर कांग्रेस ने कहा था कि गैर जिम्मेदाराना बयान देना विज की आदत हो गई है.

नेताओं की एक-दूसरे के खिलाफ तीखी टिप्पणी कोई नई बात नहीं है. लेकिन अब वे एक-दूसरे को गुंडों की तरह धमका रहे हैं. यह उस राजनीतिक संस्कृति की पहचान है, जिसमें डेमोक्रेसी नहीं, मोबोक्रेसी को शह दी जाती है.

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Published: 22 Nov 2017,10:12 PM IST

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