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देश की शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी अपने हाथों से फिसल जाने से स्मृति ईरानी खुश नहीं हैं. वह अटकलों का भले ही यह कहकर मजाक उड़ा दें कि ‘कुछ तो लोग कहेंगे’, लेकिन पूर्व मानव संसाधन मंत्री गुरुवार को आधिकारिक रूप से कार्यभार सौंपने दफ्तर में नहीं आईं, जबकि उनके उत्तराधिकारी प्रकाश जावड़ेकर ने उन्हें दो बार फोन कर बुलाया था.
स्मृति ईरानी को मंगलवार के मंत्रिमंडल फेरबदल में एक कम महत्व वाला कपड़ा मंत्रालय देकर किनारे कर दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि मानव संसाधन मंत्रालय छिन जाने से वह नाखुश हैं.
इस परंपरा को देखते हुए जावड़ेकर ने पर्यावरण मंत्रालय का कार्यभार नए बने मंत्री अनिल माधव दवे को बुधवार को सौंपा.
जावड़ेकर ने मानव संसाधन मंत्रालय का कार्यभार गुरुवार को लेने का फैसला किया. उन्हें उम्मीद थी कि स्मृति ईरानी उन्हें कार्यभार सौंपने जरूर आएंगी, लेकिन जावेड़कर राह देखते रह गए. वह अंतिम समय तक इंतजार करते रहे.
स्मृति ईरानी की यह अनुपस्थिति किनारे लगाए जाने के कारण उनके दुख को जाहिर करती है. लेकिन जावड़ेकर ने इस मुद्दे को ज्यादा तबज्जो न देते हुए कहा,
मंत्रालय में फेरबदल के बाद जावड़ेकर बुधवार की सुबह स्मृति ईरानी से मिलने उनके घर गए थे. सूत्रों का कहना है कि जावड़ेकर ने स्मृति को थोड़ी उखड़ी हुई सी देख उन्हें शांत करने की कोशिश की, लेकिन उनका यह प्रयास बेकार साबित हुआ.
जावड़ेकर को मानव संसाधन मंत्रालय का कार्यभार बुधवार को ही संभालना था, लेकिन उन्होंने इसे गुरुवार तक टाल दिया, ताकि स्मृति ईरानी दफ्तर आ सकें. जावड़ेकर ने मानव संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बुधवार को मुलाकात भी की थी.
वहीं, बुधवार को कपड़ा मंत्रालय का कार्यभार संभालने के दौरान स्मृति ने इस बात का खंडन किया कि उनकी पदावनति हुई है और जावड़ेकर की पदोन्नति, इससे वह दुखी हैं.
सूत्रों का कहना है कि स्मृति को इस बात का आभास हो गया था कि उनसे मानव संसाधन मंत्रालय छिननेवाला है. जब वह बीजेपी शासित एक राज्य के शिक्षा मंत्री से मिलीं तो स्मृति ने उन्हें संकेत दिया था कि जब वह दोबारा उनसे मिलेंगे तो मानव संसाधन विकास मंत्री के पद पर शायद न रहें.
एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि उन्हें उन विवादों से आक्रामक तरीके से नहीं निपटना चाहिए था.यह मंत्रालय जावड़ेकर को इसलिए दिया गया है, क्योंकि वे शांत और सज्जन व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं.
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