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जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को झटका, गुलाम नबी आजाद खेमे के 20 नेताओं का इस्तीफा

इस्तीफे में इन नेताओं ने आरोप लगाया है कि मीर की अध्यक्षता में कांग्रेस एक विनाशकारी स्थिति की ओर बढ़ रही है.

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद 
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वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद 
(फाइल फोटो: PTI) 

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इस समय न केवल कांग्रेस (Congress) पार्टी के नेतृत्व के बदलाव की बात चल रही है बल्कि दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस पार्टी में बदलाव करने की मांग उठ रही है. जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के करीबी 20 क्रांगेसी नेताओं ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देने वाले सभी नेताओं की मांग है कि जम्मू-कश्मीर कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में बदलाव हो.

इस्तीफा देने वालों में से पूर्व मंत्री जीएम सरूरी, विकार रसूल और डॉ मनोहर लाल शर्मा के अलावा जुगल किशोर शर्मा, गुलाम नबी मोंगा, नरेश गुप्ता, मोहम्मद अमीन भट, सुभाष गुप्ता हैं जो सभी पूर्व विधायक हैं, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष अनवर भट भी इस्तीफा दे चुके हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जीएन मोंगा और विकार रसूल ने पुष्टि की है कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखकर केंद्र शासित प्रदेश में नेतृत्व बदलने की मांग की है.

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीए मीर का नाम लिए बिना विकार रसूल ने कहा, “हमें बताया गया था कि उन्हें तीन साल की अवधि के लिए नियुक्त किया जा रहा है, लेकिन अब सात साल हो गए हैं. हालांकि, हमने आलाकमान से कहा है कि अगर जम्मू-कश्मीर में पार्टी नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं हुआ तो हम पार्टी का पद नहीं संभालेंगे.“
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मौजूदा अध्यक्ष पर लगाए आरोप

मनोहर लाल ने कहा कि ये पार्टी का आंतरिक मामला है और वह गुरुवार को कठुआ में अपनी बैठक के बाद इस मुद्दे पर अपनी बात रखेंगे.

एआईसीसी अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, जम्मू-कश्मीर के प्रभारी सचिव रजनी पाटिल को लिखे गए इस्तीफे में इन नेताओं ने आरोप लगाया है कि मीर की अध्यक्षता में कांग्रेस एक विनाशकारी स्थिति की ओर बढ़ रही है और आज तक 200 से अधिक पूर्व मंत्रियों, विधायकों, एमएलसी, पीसीसी पदाधिकारियों, जिलाध्यक्षों और एआईसीसी सदस्यों सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है और अन्य दलों में शामिल हो गए हैं, जबकि कुछ अन्य ने चुप रहने का विकल्प चुना है.

आजाद के एक करीबी ने आगे आरोप लगाया कि "कुछ बेईमान चापलूसों ने पीसीसी के कामकाज पर कब्जा कर लिया है और उसे हाईजैक कर लिया है. वरिष्ठ नेताओं और जिलों के मौजूदा विधायकों/एमएलसी के परामर्श के बिना पार्टी पदों का वितरण किया गया."

पार्टी को याद दिलाई हार

पत्र लिखने वाले नेताओं का कहना है कि, "कांग्रेस संसद, डीडीसी, बीडीसी, पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों सहित एक के बाद एक सभी चुनाव हार गई, और जम्मू-कश्मीर में एक भी परिषद नहीं बना सकी, इन नेताओं ने पार्टी आलाकमान को याद दिलाया है कि यहां तक ​​कि जीए मीर भी अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र में संयुक्त पीएजीडी उम्मीदवार के बावजूद डीडीसी चुनावों में खुद संसदीय चुनावों में और उनके बेटे को हार का सामना करना पड़ा

इन नेताओं में से एक ने कहा कि कई कोशिशे की गई ताकि पार्टी नेतृत्व में बदलाव हो सके. लेकिन खेद कोई ध्यान नहीं दिया गया.

वहीं पीसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि, "ये नेता एक साल से अधिक समय से पार्टी की बैठकों में शामिल नहीं हो रहे थे और उनमें से एक करीब तीन महीने पहले कठुआ जिले में रजनी पाटिल के पार्टी कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुआ था. पार्टी हाईकमान द्वारा इनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा."

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