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जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 के हटने के बाद से ही लगातार हालात सामान्य करने की कोशिशें जारी हैं. जहां जम्मू के लगभग सभी इलाकों से कर्फ्यू हटाना शुरू हो चुका है, वहीं अब घाटी के भी कुछ इलाकों में राहत देने की बात कही जा रही है. लेकिन अब सबकी नजरें चुनाव आयोग पर भी टिकीं हैं. आयोग ने इसी साल जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने की बात कही थी, लेकिन अब खबर है कि घाटी में अगले साल से पहले चुनाव नहीं होंगे.
अंग्रेजी अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अगले साल मार्च से पहले चुनाव मुमकिन नहीं हैं. बताया गया है कि चुनाव आयोग ने इस पर एक इंटरनल मीटिंग बुलाई थी. रिपोर्ट में चुनाव आयोग के एक अधिकारी का हवाला देते हुए बताया गया है कि अभी इस मामले में गृह मंत्रालय से भी बातचीच की जाएगी.
चुनाव आयोग सूत्रों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के परिसीमन के लिए आयोग की तरफ से गृह मंत्रालय के साथ मिलकर जरूरी कार्रवाई शुरू कर दी गई है. यह घाटी में चुनाव कराने की तरफ सरकार का पहला कदम माना जा रहा है.
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम- 2019 के मुताबिक अब पूरे क्षेत्र में कुल 114 सीटें हैं. जिनमें से 24 पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आती हैं. जिसका मतलब है कि कुल 90 सीटों पर चुनाव कराया जाएगा. पिछली विधानसभा में लद्दाख की 4 सीटें मिलाकर कुल सीटें 111 थीं, जिनमें पीओके की 24 सीटें कम करने पर कुल 87 सीटें बचती थीं. सूत्रों के मुताबिक अब विधानसभा में कुल 7 सीटों की बढोतरी होगी. लेकिन ये सीटें कहां से होंगी ये अभी तय होना बाकी है.
कश्मीर में लगाई गई पाबंदियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि कब तक ऐसा चलेगा? केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि वो धीरे-धीरे पाबंदी हटाने पर काम कर रहे हैं. केंद्र की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अब दो हफ्ते बाद याचिका पर अगली सुनवाई करने का फैसला लिया था.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून के तहत केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर में एक विधानसभा होगी, वहीं केंद्र शासित प्रदेश लेह में विधानसभा नहीं होगी.
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Published: 14 Aug 2019,08:17 AM IST