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बागपत-बिजनौर से लड़ेगी RLD, जयंत सिंह आंकड़ों में पश्चिम यूपी के 'चौधरी'?

जयंत चौधरी को NDA के साथ आने में त्वरित तौर पर और क्या-क्या फायदा होता दिख रहा है?

विकास कुमार
पॉलिटिक्स
Updated:
<div class="paragraphs"><p>जयंत आंकड़ों में पश्चिम यूपी के 'चौधरी'? NDA गठबंधन में मिली बागपत-बिजनौर सीट की दावेदारी</p></div>
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जयंत आंकड़ों में पश्चिम यूपी के 'चौधरी'? NDA गठबंधन में मिली बागपत-बिजनौर सीट की दावेदारी

(Photo- Altered By Quint Hindi)

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लोकसभा चुनावों के लिए जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) की अगुवाई वाली आरएलडी ने बागपत और बिजनौर से अपने दो उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. NDA गठबंधन में सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत पार्टी को दो लोकसभा सीट के साथ-साथ एक विधान परिषद की सीट पर चुनाव लड़ने का मौका मिला है. बीजेपी ने पहले भी यूपी में 80 में से 51 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है.

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) को भारत रत्न (Bharat Ratna) देने के ऐलान के साथ ही जयंत चौधरीका एनडीए के साथ जाने के कयासों पर विराम लग गया था.

ऐसे में बताते हैं कि जयंत चौधरी को NDA के साथ आने में त्वरित तौर पर और क्या-क्या फायदा होता दिख रहा है? क्या आंकड़ों में जयंत, पश्चिम यूपी के 'चौधरी' हैं?

बागपत, बिजनौर से चुनाव लड़ेगी RLD

आरएलडी  ने सोमवार को जारी उम्मीदवारों की लिस्ट में बागपत से राजकुमार सांगवान तो बिजनौर से चंदन चौहान को टिकट दिया है. इसके अलावा बीजेपी ने गठबंधन में एक विधान परिषद की सीट भी आरएलडी को दी है. इस पर आरएलडी ने योगेश चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है.

लोकसभा में RLD का वोट शेयर 1% से भी कम

लोकसभा चुनाव में RLD के वोट शेयर की बात करें तो साल 2019 और 2014 में एक भी सीट नहीं जीत सकी. 2009 में 9 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 5 पर जीत मिली थी. लेकिन जब वोट शेयर को देखते हैं कि 1999 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव में हर बार 1 प्रतिशत से कम वोट ही मिले हैं.

RLD का लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन

फोटो- क्विंट हिंदी

ऐसे में सवाल उठता है कि जब RLD पिछले दो लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी है तो इस बार बागपत और बिजनौर की सीट से लड़ने का मन क्यों बनाया और बीजेपी इसपर सहमत क्यों हो गई?

सबसे पहले बिजनौर लोकसभा सीट की बात करते हैं. यहां पिछले 4 लोकसभा चुनाव के नतीजे देखें तो साल 2009 और 2004 में आरएलडी की जीत हुई थी, लेकिन साल 2014 में बीजेपी और 2019 में बीएसपी ने जीत दर्ज की थी.

बागपत आरएलडी की पारंपरिक सीट है. लेकिन यहां का हाल भी बिजनौर जैसा ही है. पिछले 4 लोकसभा चुनाव के नतीजे देखें तो 2004 और 2009 में आरएलडी की जीत हुई थी, लेकिन साल 2014 और 2019 में बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा जमाया.

हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बागपत सीट पर जीत-हार का मार्जिन बहुत कम था. बीजेपी उम्मीदवार सत्यपाल सिंह को 50% वोट मिला था तो आरएलडी उम्मीदवार जयंत चौधरी को 48% वोट. यानी यहां से खुद जयंत चौधरी भी हार गए थे.

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आंकड़ों में RLD का गिरता गया ग्राफ?

जयंत चौधरी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह के बेटे हैं. इन्होंने मथुरा से 2009 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और 52% वोटों के साथ सांसद बने. इसके बाद 2012 में मथुरा की मांट सीट से विधानसभा का चुनाव लड़े और जीत गए. लेकिन इसके बाद लोकसभा में लगातार हार का सामना करना पड़ा.

साल 2014 में मथुरा से ही लोकसभा का चुनाव लड़े और 27% के साथ हेमा मालिनी से हार गए. 2019 में सीट बदलकर पारंपरिक सीट बागपत चले गए. वहां बीजेपी के सत्यपाल सिंह से हार गए.

पिता अजीत सिंह के लिए भी 2014 और 2019 ठीक नहीं रहा. 2014 में बागपत से चुनाव लड़े और 19% वोटों के साथ तीसरे नंबर पर थे. 2019 में अजीत सिंह मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़े और 48% वोटों के साथ संजीव बालियान से हार गए.

RLD ने कब-कब बदला है पाला?

पहली बार नहीं है जब आरएलडी, एनडीए के साथ जा सकती है. बात थोड़ी पुरानी है. चौधरी अजीत सिंह अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह, दोनों की कैबिनेट में मंत्री रहे हैं. 1999 में आरएलडी का गठन हुआ. उसी साल लोकसभा के चुनाव हुए और पार्टी बागपत और कैराना से चुनाव जीती. 2004 में पिछली दो सीटों के अलावा तीसरी बिजनौर भी जीत गई.

2009 में आरएलडी ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया और 5 सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन बाद के लोकसभा चुनावों में RLD एक सीट भी नहीं जीत सकी.

पश्चिम में जाट+मुस्लिम कॉम्बिनेशन सबसे सफल

उत्तर प्रदेश के पश्चिम में बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, बिजनौर, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, आगरा, मुरादाबाद में जाटों की अधिकता है. उसके अलावा रामपुर, अमरोहा, सहारनपुर और गौतमबुद्ध नगर में भी थोड़े बहुत जाट हैं. यहां पूरी राजनीति जाट, जाटव, मुस्लिम, गुर्जर और वैश्य जाति के इर्द-गिर्द घूमती है.

यूपी में जाट 2% हैं, वहीं पश्चिम यूपी में 17-18% हैं. जाट और मुस्लिम मिल जाए तो पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर क्लीन स्वीप कर सकते हैं. जैसे- मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, बिजनौर, बागपत, सहारनपुर और गाजियाबाद के सात जिलों में दोनों की आबादी मिलाकर 40 प्रतिशत से ज्यादा है. कई जगहों पर तो 50% तक हैं.

अब वापस चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने पर आते हैं. चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के ऐलान को लेकर पीएम मोदी ने ट्वीट किया. जयंत चौधरी ने पीएम मोदी के ट्वीट को शेयर करते हुए लिखा है, 'दिल जीत लिया'. अब सवाल उठता है कि किसने किसका दिल जीता? क्या चौधरी चरण सिंह को भारतरत्न देकर पीएम मोदी ने जाटों का दिल जीता? शायद इसका सही जवाब लोकसभा चुनाव के बाद ही मिल सके.

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Published: 09 Feb 2024,03:41 PM IST

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