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झारखंड (Jharkhand) में मौसम सर्द है लेकिन सियासत ने गर्मी बढ़ा दी है. ऐसा इसलिए कह सकते हैं क्योंकि ED की ओर से सात समन भेजे जाने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अब गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. और इसी बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के विधायक डॉक्टर सरफराज अहमद ने साल 2023 के आखिरी दिन 31 दिसंबर को इस्तीफा दे दिया. बस फिर क्या था इस्तीफे के पीछे विपक्षी पार्टी बीजेपी ने अपना अनुमान और आरोप दोनों लगा डाला है.
बीजेपी आरोप लगा रही है कि हेमंत सोरेन ने पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम बनाने के लिए सरफराज अहमद से इस्तीफा दिलवाया है. उधर, सीएम हेमंत सोरेन ने 3 जनवरी को विधायक दल की बैठक बुलाई है. ऐसे में अब चर्चा इस बात की हो रही है कि शायद जेएमएम-कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन वाली सरकार का मुखिया बदलने वाला है.
राजनीति के जानकारों का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से भेजे गए 7वें समन को दरकिनार कर चुके हेमंत सोरेन जांच एजेंसी के संभावित एक्शन को देखते हुए वैकल्पिक उपायों पर मंथन कर रहे हैं. अगर, वे गिरफ्तार हुए तो सीएम की कुर्सी किसे सौंपेंगे? इसी वजह से जब झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के वरिष्ठ विधायक डॉक्टर सरफराज अहमद ने 31 दिसंबर को अचानक इस्तीफा दिया तो झारखंड में सीएम बदलने की चर्चा तेज हो गई.
डॉक्टर सरफराज अहमद JMM के टिकट पर साल 2019 के विधानसभा चुनाव में गिरिडीह जिले की गांडेय सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे. 31 दिसंबर को उन्होंने स्पीकर रवींद्र नाथ महतो को अपनी विधायकी से इस्तीफा दे दिया. सरफराज अहमद का इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया गया. लेकिन, खबर सबके सामने तब आई, जब 1 जनवरी को विधानसभा सचिवालय ने इस्तीफा स्वीकार होने की अधिसूचना जारी की.
सरफराज अहमद ने अपने इस्तीफे के पीछे व्यक्तिगत वजह बताई है. उन्होंने क्विंट हिंदी को दिए बयान में कहा...
हालांकि उन्होंने उस सवाल का जवाब नहीं दिया, जिसमें पूछा गया कि क्या आपने ये सीट कल्पना सोरेन के लिए छोड़ी है?
झारखंड की राजनीति को समझने वाले जानकारों का मानना है कि "प्लान के तहत सरफराज अहमद से इस्तीफा लिया गया है. इसके पीछे बीजेपी को साफ संदेश देना है कि हम किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं. हेमंत सोरेन को ED गिरफ्तार करेगी इसकी संभावना कम है लेकिन अगर ऐसा होता है तो कल्पना सोरेन को सरफराज अहमद की सीट गांडेय से चुनाव लड़ाया जाएगा."
वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सोरेन कहते हैं "ये शीशे की तरह साफ है कि विकट परिस्थति अगर आती है तो कल्पना सोरेन के लिए ही अहमद सरफराज ने इस्तीफा दिया है."
दरअसल, हेमंत सोरेन बरहेट विधान सभा सीट से विधायक हैं. बरहेट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है.
वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सोरेन का कहना है कि "हेमंत सोरेन को ना अभी जेल हुई है और ना ही सजा और ना ही उनकी विधायकी जा रही है तो फिर वो विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा क्यों देंगे?
दूसरी बात ये है कि अगर वो इस्तीफा देते हैं तो लोगों के बीच ये संदेश जाएगा कि उन्होंने गलती की है. लेकिन, अगर उन्हें अयोग्य घोषित किया जाता है तो उनके प्रति एक सहानुभूति की लहर होगी. जो आने वाले चुनाव में उनकी पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है."
कल्पना सोरेन को चुनावी मैदान में उतारने के लिए गांडेय विधानसभा सीट सेफ मानी जा रही है. गांडेय आदिवासी और मुस्लिम बहुल मतदाताओं की सीट है. साल 2014 को छोड़कर इस सीट पर 2005 में JMM, 2009 में कांग्रेस व 2019 में फिर से जेएमएम ने जीत दर्ज की थी. यहां जेएमएम की पकड़ अच्छी है तो हेमंत सोरेन रिस्क नहीं लेना चाहेंगे. दूसरी बात साल 2009 में सीएम रहते हुए शिबू सोरेन ने तमाड़ से चुनाव लड़ा था, ये कम प्रभाव वाली सीट थी.
वहीं से शिबू सोरेन चुनाव हार गए और उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा. ऐसे में जेएमएम इससे सबक लेते हुए सुरक्षित सीट ही चुनेगी.
इससे अहमद सरफराज को क्या लाभ होगा? इसपर पत्रकार आनंद दत्ता कहते हैं, "अंदर की खबर है कि सरफराज अहमद को जेएमएम राज्यसभा में सपोर्ट करेगी. यह भी हो सकता है कि वे कांग्रेस ज्वाइन भी कर सकते हैं. वे धीरज साहू की सीट पर कांग्रेस से राज्यसभा भी भेजे जा सकते हैं."
यही बात पत्रकार सुरेंद्र सोरेन भी कहते हैं. उनका कहना है...
इधर, झारखंड में सियासी बयार बदलने की संभावना को देखते हुए बीजेपी खेमे में भी हलचल दिखाई दे रही है. बीजेपी नेता लगातार इसपर टिप्पणी कर रहे हैं. पार्टी के कई नेताओं ने डॉक्टर सरफराज अहमद के कल्पना सोरेन को सीएम बनाने की रणनीति बताया है.
बीजेपी के झारखंड प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ईडी के समन से डरे हुए हैं. इसलिए वे सारे तिकड़म कर रहे हैं.
बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा...
वहीं, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कल्पना के सीएम बनने पर रोक लगाने की मांग कर डाली. उन्होंने ट्वीट किया "सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट Sr choudhry Vs State of Punjab के अनुसार यदि 6 महीने के अंदर कल्पना सोरेन जी विधायक नहीं बनती हैं तो वह मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ले सकती हैं और काटोल विधानसभा के लिए मुम्बई हाईकोर्ट के जजमेंट के अनुसार, अब गांडेय या झारखंड के किसी भी विधानसभा का चुनाव नहीं हो सकता. राज्यपाल महोदय को और चुनाव आयोग को कानूनी राय लेकर झारखंड के लुटेरों की मंशा को रोकना चाहिए यही प्रार्थना है."
निशिकांत दुबे ने जो सवाल उठाए हैं, ऐसे में हमने जानने की कोशिश की, इस दावे में कितना सच है. इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव है तो क्या गांडेय में इससे पहले उपचुनाव नहीं हो सकते हैं और 31 दिसंबर को ही क्यों आननफानन में सरफराज अहमद से इस्तीफा दिलाया गया?
साल के आखिरी दिन सरफराज अहमद के इस्तीफे पर वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सोरेन कहते हैं, "जिस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, उस साल कोई इस्तीफा देता है तो चुनाव नहीं हो पाता. नियम है कि एक साल से कम समय होने पर वहां उपचुनाव नहीं हो सकते हैं. इसलिए सरफराज अहमद से इसी साल के अंतिम दिन इस्तीफा दिलाया गया. बाद में इस्तीफा देते तो चुनाव आयोग सीट होल्ड कर लेती."
राजनीति के जानकारों का मानना है कि हेमंत सोरेन के जेल जाने की संभावना कम है, लेकिन अगर कल्पना सीएम बनती हैं तो जेएमएम का भविष्य अच्छा ही होगा. इसके पीछे वो वजह बताते हैं कि हेमंत सोरेन को नौकरी और भर्तियों को लेकर जो विरोध झेलना पड़ रहा है, उनकी गिरफ्तारी के बाद वो सहानुभूति में बदल जाएगा और इसका फायदा जेएमएम को होगा, लेकिन सवाल है कि क्या बीजेपी ऐसा होने देगी?
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सोरेन का कहना है, "कल्पना सोरेन सामाजिक और महिला उत्थान के कार्यक्रम से जुड़ी हैं. वे अच्छी वक्ता हैं और अगर वो सीएम बनती हैं तो जेएमएम का भविष्य अच्छा ही होगा. हेमंत सोरेन के बाद उनके बेहतर कोई विकल्प भी नजर नहीं आता."
ऐसे में अगर हेमंत सोरेन ED के फांस में फंसते हैं तो भी उन्होंने सत्ता की चाबी घर में ही रखने की जुगत तो कर ली है.
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