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जीतनराम मांझी ने महागठबंधन सरकार से समर्थन वापस लिया,CM नीतीश को कितना बड़ा झटका?

Bihar Politics: जीतन राम मांझी नीतीश से क्यों हैं नाराज? जीतन राम मांझी का अगला कदम क्या होगा?

पल्लव मिश्रा
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>जीतनराम मांझी ने महागठबंधन सरकार से समर्थन वापस लिया</p></div>
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जीतनराम मांझी ने महागठबंधन सरकार से समर्थन वापस लिया

(Photo- Altered By Quint Hindi)

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Bihar Politics: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) ने नीतीश कुमार सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. कुछ दिन पहले ही नीतीश सरकार में SC/ST कल्याण विभाग के मंत्री और जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार 'सुमन' ने नीतीश कुमार कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. सवाल है कि

  • जीतन राम मांझी नीतीश से क्यों हैं नाराज?

  • दोस्ती' तोड़ने के क्या मायने हैं?

  • जीतन राम मांझी का अगला कदम क्या होगा?

  • BJP के लिए क्यों अहम हैं मांझी?

जीतन राम मांझी नीतीश से क्यों हैं नाराज?

बता दें कि संतोष मांझी ने इस्तीफा देने के बाद पटना में कहा था कि जेडीयू की तरफ से उनकी पार्टी को विलय करने के लिए कहा जा रहा था, जिसके लिए वो तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा था कि हमारी पार्टी का अस्तित्व खतरे में था. उसको बचाने के लिए हमने ये कदम उठाया है. मैं महागठबंधन में आज भी रहना चाहता हूं. अभी मैंने ऐसा (NDA में शामिल होने की बात) कुछ नहीं सोचा है.

हालांकि अब खुद जीतन राम मांझी ने नीतीश सरकार से अलग होने का ऐलान कर दिया है. अब जवाब देने कि कोशिश करते हैं कि मांझी नीतीश से नाराज क्यों हैं?

दरअसल, पटना में 23 जून को विपक्षी दलों की होने वाली बैठक में HAM को आमंत्रित नहीं किया गया है, जिससे जीतनराम मांझी नाराज थे. उन्होंने इसको लेकर इशारा भी किया था. मांझी ने 12 जून को कहा था कि उनकी पार्टी लोकसभा में एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी.

सूत्रों की मानें तो, HAM लोकसभा चुनाव में पांच सीटों की मांग कर रही थी, जिस पर JDU तैयार नहीं थी.

संतोष मांझी के इस्तीफे के बाद क्विंट हिंदी से बात करते हुए जीतन राम मांझी के एक करीबी व्यक्ति ने कहा, "हम लगातार कोआर्डिनेशन कमेटी की मांग कर रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री उसको अनसुना कर रहे थे. सत्ता परिवर्तन के बाद हमारा मंत्रालय कम कर दिया गया. बार-बार विलय का दबाव बनाया जा रहा था. ऐसे में हमें यह कदम उठाना पड़ा है."

HAM के एक नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर क्विंट हिंदी से कहा, "हम नीतीश कुमार के साथ गये थे, ना कि महागठबंधन के. मुख्यमंत्री लगातार हमारी बातों को नकार रहे हैं. सत्ता परिवर्तन के बाद से आये दिन नीतीश कुमार के बयान बदल रहे हैं. ऐसे में स्थिति ठीक नहीं थी."

HAM नेता ने कहा कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है. RJD-JDU के नेताओं में अभी तक समन्वय नहीं हो पाया है, लेकिन अभी सब चुप हैं. आने वाले समय में बड़ी टूट हो सकती है.

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जीतन राम मांझी के अलग होने से किसे बड़ा झटका?

विपक्षी दलों की बैठक से पहले जीतन राम मांझी के अलग होने ने बीजेपी को बूस्टअप होने का बड़ा मौका दे दिया है. बीजेपी अब खुलकर प्रचार कर रही है कि बैठक के पहले विपक्षी एकता फेल साबित हो रही है. इसका नुकसान नीतीश कुमार को होगा, क्योंकि RJD पहले से ही मजबूत है, जबकि कांग्रेस और वामदल बिहार में JDU से अधिक RJD को तवज्जो देते आये हैं.

पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से नीतीश के साथी, उनको बॉय-बॉय कर रहे हैं, वो उनके उम्मीदों के पंख को काफी नुकसान पहुंच सकता है.

गौरतलब है कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने भले ही महागठबंधन से समर्थन वापस लेने का फैसला कर लिया है. लेकिन इसका कोई असर महागठबंधन की सरकार पर नहीं पड़ेगा क्योंकि उनके पास पर्याप्त संख्या बल मौजूद है.

जीतन राम मांझी का अगला कदम क्या होगा?

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा से जुड़े एक नेता की माने तो, पार्टी जल्द ही एनडीए का हिस्सा बन सकती है.

बीजेपी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के आवास पर बिहार बीजेपी से जुड़े तमाम वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई थी, जिसमें पटना में 23 तारीख को विपक्षी दलों की बैठक, जेपी नड्डा और अमित शाह की संभावित रैली के साथ सहयोगी छोटे दलों के साथ गठबंधन को लेकर भी चर्चा हुई हुई थी.

बीजेपी से जुड़े एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, " पार्टी राज्य में महागठबंधन का मुकाबला करने के लिए रणनीति बनाने में जुटी है. गिरिराज सिंह के आवास पर हुई बैठक में सहयोगियों के सीट को लेकर भी चर्चा हुई थी. "

सूत्रों की मानें तो अगस्त के बाद जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान और मुकेश साहनी एनडीए का हिस्सा हो सकते हैं.

बीजेपी की नेता ने बताया, "पार्टी ने निर्णय लिया है कि उपेंद्र कुशवाहा को 3 सीट, मुकेश साहनी को 2 सीट, मांझी को 2 सीट या फिर एक लोकसभा और एक एमएलसी की सीट, चिराग पासवान को 6 सीट BJP दे सकती है."

जीतन राम मांझी के एक करीबी व्यक्ति ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, " बिहार में दो ही विकल्प हैं. महागठबंधन या फिर एनडीए. महागठबंधन से अलग होने के बाद हम छोटे दलों के पास एनडीए में जाने का ही विकल्प है. ऐसे में संभावन है कि पार्टी एनडीए का ही हिस्सा होगी. लेकिन फैसला पार्टी हाईकमान लेगा. "

मांझी ने पहले भी दिखाये थे बगावती तेवर

दरअसल, जीतन राम मांझी पिछले कुछ महीनों से लगातार बगावती तेवर दिखा रहे हैं. उन्होंने कुछ महीनों पहले कहा था कि उनके बेटे संतोष सुमन के अंदर सीएम बनने की सारी काबिलियत है. इस पर RJD-JDU दोनों ने आपत्ति जताई थी. वहीं, मांझी ने ये भी कहा था कि राजनीति में कुछ पक्का नहीं होता है.

इस बीच, कुछ महीने पूर्व, जीतनराम मांझी ने दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात भी की थी. इसके बाद से ही, मांझी किस नाव पर सवार होंगे, इसपर संशय किया जा रहा था.

BJP के लिए क्यों अहम हैं मांझी?

दरअसल, बीजेपी की निगाह वोटबैंक पर हैं. जीतन राम मांझी महादलित समाज से आते हैं और इसकी राज्य में 10 प्रतिशत आबादी है. पार्टी महागठबंधन की काट निकालने के लिए लगातार छोटे दलों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है. लेकिन अब क्या मांझी भी बीजेपी के 'कमल' पर सवाल होंगे, ये देखना दिलचस्प है, पर मांझी ने नीतीश का साथ छोड़कर बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल जरूर मचा दी है.

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