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कर्नाटक-गोवा के बाद कमलनाथ सरकार को सताने लगा है ‘कमल’ का डर?

मध्य प्रदेश सरकार ने शुरू कर दी है तैयारी, विधायकों की घेराबंदी

मुकेश बौड़ाई
पॉलिटिक्स
Published:
मध्य प्रदेश सरकार ने शुरू कर दी है विधायकों की घेराबंदी
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मध्य प्रदेश सरकार ने शुरू कर दी है विधायकों की घेराबंदी
(ग्राफिक: अर्निका काला)

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गोवा के तट से उठा तूफान कर्नाटक होते हुए कहीं मध्य प्रदेश तक न पहुंच जाए, इसकी चिंता एमपी के मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी सता रही है. ‘ऑपरेशन कमल’ से उन्हें भी डर लग रहा है. विधायक टूट न जाएं इसलिए उन्हें एडवांस में समझा रहे हैं, मंत्रियों को विधायकों को बांध कर रखने की जिम्मेदारी दे दी है.

कर्नाटक और गोवा में तेजी से हुए उलटफेर के बाद मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ कुर्सी बचाने में जुटे हैं. जब कर्नाटक में ‘ऑपरेशन कमल’ अपना काम कर रहा था, तब कमलनाथ मध्य प्रदेश में बैठकर अपने विधायकों के साथ डिनर कर रहे थे.

कमलनाथ ने मंत्रियों को सौंपी जिम्मेदारी

कमलनाथ सरकार ने तेजी से बढ़ रहे ऑपरेशन कमल नाम के तूफान से बचने के लिए पहले ही तैयारियां शुरू कर दी हैं. उन्होंने अपने मंत्रियों को विधायकों का खयाल रखने को कहा है. इसके लिए बकायदा हर मंत्री को कुछ विधायकों की जिम्मेदारी सौंपी गई है. मतलब ये कहना सही होगा कि विधायकों के भागने के हर रास्ते पर पहरेदार खड़े कर दिए गए हैं. हालांकि ये कहा नहीं जा सकता है कि कब एयरपोर्ट पर चार्टेड प्लेन आए और विधायकों को उड़ाकर ले जाए.

केंद्र से फटकार और राज्य में रार

कमलनाथ की कुर्सी में कीलें तब से हिलनी शुरू हुईं जब लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद तब कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में कमलनाथ और अशोक गहलोत के बारे में तल्ख बातें की. कहा जाता है कि राहुल गांधी ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि इन दोनों नेताओं को चुनाव में पार्टी से ज्यादा चुनाव मैदान में उतरे अपने बेटों की चिंता थी।

इसी घटना के बाद राज्य में कमलनाथ के खिलाफ आवाज उठने लगी. ज्योतिरादित्य और कमलनाथ के बीच टकराव की बातें भी जबतब आती रहती हैं.

विधायकों ने दिखाए बगावती तेवर

अब जब कर्नाटक और गोवा के विधायकों को इतनी ज्यादा तवज्जो मिल ही रही है तो मध्य प्रदेश के विधायक क्यों लाइम लाइट से बचें. इसीलिए यहां भी कुछ विधायकों ने मीडिया के सामने आकर मन की बात कर दी. विधायकों ने बागी तेवर दिखाते हुए सरकार के खिलाफ आवाज उठाई.

मध्य प्रदेश सरकार को समर्थन देने वाली बीएसपी की विधायक रमा बाई ने भी अपने कड़े तेवर दिखाए थे. लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कहा था,

‘हम मंत्री तो बनकर रहेंगे. चुनाव होने दो, उसके बाद किस बात का समर्थन. अगर कमलनाथ सरकार ने मंत्रिपद नहीं दिया तो समर्थन वापस ले लिया जाएगा’
रमा बाई, बीएसपी विधायक

निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने भी कहा कि अभी इंतजार करना होगा, जब तक रबर खिंचता है तब तक खींचेंगे. लेकिन एक दिन सब्र का बांध टूट जाएगा. वहीं कुछ कांग्रेस विधायकों के नाराज होने की भी खबर सामने आई थी.

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मौके की तलाश में बीजेपी

बीजेपी एक बार फिर मध्य प्रदेश में मौके की तलाश करने में जुटी है. मौका मिलते ही सरकार बनाने को लेकर कवायद शुरू कर दी जाएगी. बीजेपी के कई नेता मध्य प्रदेश में संभावनाएं तलाश रहे हैं. इस पर कुछ नेताओं ने तो साफ संकेत भी दे दिए. बीजेपी के सीनियर नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी मध्य प्रदेश सरकार पर बयान दिया था और उल्टा लटकाने की बात कही थी.

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा - ‘ये सरकार पांच साल चलने वाली नहीं है. जिस दिन ऊपर से सिग्नल मिल गया उस दिन उल्टा लटका देंगे.’ हालांकि विजयवर्गीय ने साफ नहीं किया कि वो भगवान के सिग्नल की बात कर रहे थे या फिर उन्हें अपनी पार्टी आलाकमान के सिग्नल का इंतजार है.

बीजेपी के विधायक नरोत्तम मिश्रा ने ऑपरेशन कमल को इस बार मॉनसून का नाम दिया. उन्होंने कहा-

गोवा के समुद्री तट से कोई मानसून उठा, कर्नाटक होते हुए वो अब मौसम सुहाना करने मध्य प्रदेश आ रहा है. मिश्रा ने इसके बाद कहा था कि कांग्रेस में इतनी बेचैनी क्यों है? क्यों बार-बार उसे कहना पड़ रहा है कि हम पांच साल के लिए आए हैं?

कर्नाटक-गोवा की गलतियों से सबक

मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ अब कर्नाटक और गोवा की गलतियों से सबक जरूर लेना चाहेंगे. कर्नाटक में सीएम एचडी कुमारस्वामी और उनके मंत्री अपने विधायकों को साधने की जो कोशिश उनके इस्तीफे देने के बाद कर रहे हैं, वो कमलनाथ ने पहले ही कर ली है. कमलनाथ जानते हैं कि एक बार विधायक टूट गए तो सरकार बचाना बेहद मुश्लिक होगा. वहीं नाराज विधायकों को मनाने से अच्छा है कि पार्टी में रहते ही उनकी नाराजगी दूर कर ली जाए. अब इसी गेम प्लान के साथ कमलनाथ सरकार आगे बढ़ रही है. इसीलिए सीएम कमलनाथ किसी भी खतरे से इनकार कर रहे हैं.

कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव के बाद से ही मुश्किलों से घिरी है. बिना अध्यक्ष के चल रही पार्टी में तूफान मचा हुआ है. इस तूफान का खतरा देखकर विधायक पाला बदलने में लगे हैं. कर्नाटक और गोवा इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं. जिसे कांग्रेस के लिए इस साल का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है.

मध्य प्रदेश के समीकरण खराब

कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार की हालत मध्य प्रदेश से कहीं बेहतर थी. मध्य प्रदेश सरकार की हालत उससे भी खराब है. अगर पार्टी से आधा दर्जन विधायक भी इस्तीफा देते हैं तो कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ जाएगी. बीजेपी को बहुमत तक पहुंचने के लिए सिर्फ 7 और सीटों की जरूरत है.

कर्नाटक में विधायकों की भागम भाग का आलम ये है कि कोई फाइव स्टार होटल में बंद हो चुका है तो किसी को रिजॉर्ट में रखा गया है. वहीं कुछ विधायक तो ऐसे भी हैं जो सीधे-सीधे बगावत नहीं करना चाहते हैं, इसीलिए मुंबई के होटल नहीं बल्कि सीधे हॉस्पिटल में भर्ती हो रहे हैं. कर्नाटक कांग्रेस के एक विधायक ने दावा किया कि छाती में दर्द होने के चलते उन्हें मुंबई आना पड़ा. फिलहाल वो हॉस्पिटल में आराम कर रहे हैं. ऐसी ही भागम भाग आने वाले समय में मध्य प्रदेश में भी दिख सकती है.

अब देखना ये होगा कि मुसीबत के ये काले बादल कर्नाटक और गोवा में तबाही मचाकर मध्य प्रदेश में कब छाते हैं?

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