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कर्नाटक | तो क्या जिस तरफ झुकेंगे देवगौड़ा, उसी तरफ बनेगी सरकार?

अचानक बदल गए हैं देवगौड़ा के सुर

प्रबुद्ध जैन
पॉलिटिक्स
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देवगौड़ा के पास हो सकती है कर्नाटक सरकार की चाबी
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देवगौड़ा के पास हो सकती है कर्नाटक सरकार की चाबी
(फोटो: द क्विंट)

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कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने में अब बेहद कम वक्त बचा है और इसी के साथ कर्नाटक के चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे तीनों बड़े दलों के दिल की धड़कन तेज हो रही है. इन धड़कनों में बेतहाशा इजाफा करने वाले शनिवार रात आए एग्जिट पोल के इशारे देवगौड़ा को किंगमेकर की भूमिका में दिखा रहे हैं. और देवगौड़ा को ये खूब रास आ रहा है. शायद इसीलिए कल तक बीजेपी और कांग्रेस से दूरी बनाए रखने की बात कहने वाले देवगौड़ा सारे पत्ते सीने से चिपकाए हुए हैं.

गठबंधन का सवाल नहीं से ‘देखते हैं’ तक देवगौड़ा

जनता दल (सेक्युलर) के एचडी देवगौड़ा ने आज कहा है कि वो फिलहाल किसी भी चीज को मानने या खारिज करने को तैयार नहीं हैं. वो 15 मई यानी वोटों की गिनती के इंतजार की बात कह रहे हैं.

लेकिन, ये वही देवगौड़ा हैं जो चंद दिन पहले हिंदुस्तान टाइम्स को दिए अपने लंबे-चौड़े इंटरव्यू में कहते हैं कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में वो न तो बीजेपी के साथ जाएंगे और न ही कांग्रेस के. इस इंटरव्यू में वो प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, दोनों पर बराबर नाराज दिखे. लेकिन, अब दिल कुछ पसीजता सा दिखता है.

इसकी वजह कहीं एग्जिट पोल तो नहीं जो जेडीएस को तीसरे नंबर पर तो दिखाते हैं लेकिन इतनी सीटें जरूर देते हैं जो बीजेपी या कांग्रेस की टैली में जुड़ जाएं तो सरकार बनाने में बिला शक निर्णायक साबित हो सकते हैं.

वैसे इससे पहले पीएम मोदी की तारीफ के बाद भी देवगौड़ा कुछ पिघले थे. जब पीएम ने उन्हें देश के सम्माननीय नेताओं में से एक बताया तो बदले में देवगौड़ा ने भी उन्हें वाजपेयी से बेहतर वक्ता कहकर उधारी चुकता कर दी. चुनावी माहौल में एक-दूसरे की तरफ नरमी का हाथ बढ़ा कर उसे थोड़ा सहला देना आम है और शायद पीएम मोदी और देवगौड़ा यही कर रहे थे.

JDS से गलबहियों को तैयार कांग्रेस?

ये राजनीति है. और पिछला वाक्य बहुत घिसा-पिटा था ! लेकिन क्या करें, सिद्धारमैया ने बात ही ऐसी की है. कह रहे हैं कि दलित के लिए मुख्यमंत्री पद कुर्बान करने को तैयार हैं. अब ये सीधे तौर पर देवगौड़ा और जेडीएस को संदेश है. राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस सीटों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंच जाती है तो जेडीएस को अपनी ओर खींचने के लिए सिद्धारमैया से काम चलने वाला नहीं.

एक दलित चेहरा दोनों के बीच के फासले को मिटा सकता है. सिद्धारमैया जानते हैं कि एग्जिट पोल में उनको तगड़ा नहीं तो कुछ झटका तो लगा ही है. इस मायने में कि किसी को साफ बहुमत नहीं मिलने जा रहा. ऐसे में उन्हें खुद की कुर्सी त्याग कर, दलित चेहरा आगे करने में कोई गुरेज नहीं.

क्योंकि ऐसा करने से अगर देवगौड़ा का साथ मिलता है, उनके साथ आने वाली सीटें मिलती हैं तो क्या बुराई है. और अब सबसे पहले वाला घिसा-पिटा वाक्य फिर. ये राजनीति है.

सिद्धारमैया के कान भी खुले हैं, आंख भी, निशाना कर्नाटक की सरकार पर है
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आ रही हैं 125-130 सीट: येदियुरप्पा

देवगौड़ा भली-भांति समझते हैं कि अगले कुछ घंटों में उनकी पूछ बढ़ने वाली है लेकिन येदियुरप्पा को ऐसा नहीं लगता. या शायद ये नतीजे आने तक खुद पर ऐतबार और विजयी चेहरा चिपकाए रखने की आदत भी हो सकती है. एक तरफ करीब-करीब सारे एग्जिट पोल त्रिशंकु विधानसभा का रास्ता दिखा रहे हैं लेकिन बीजेपी के सीएम कैंडिडेट और पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा इस रपटीली राह से भी विजय रथ निकाल ले जाने का भरोसा दिला रहे हैं वो भी पूरी 125-130 सीट के साथ. येदियुप्पा ने आज ये भी कहा,

कांग्रेस 70 सीट के पार नहीं जा पाएगी और जेडीएस 24-25 पर सिमट जाएगी. बीजेपी के पक्ष में एक मजबूत और खामोश लहर है जबकि जनता का गुस्सा कांग्रेस और सिद्धारमैया के खिलाफ. मैं प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के संपर्क में हूं. 17 मई को सरकार बनाने का 100 फीसदी भरोसा है. 
बीएस येदियुरप्पा, कर्नाटक सीएम कैंडिडेट, बीजेपी

बयानों, कयासों और प्रयासों की बौछारों के इस दौर में कर्नाटक की जनता दम साधे इंतजार कर रही है एक स्थिर सरकार का लेकिन एग्जिट पोल के रुझान जिस तरफ इशारा कर रहे हैं वो जनता के नजरिए से कोई बहुत बेहतर तस्वीर नहीं दिखाती.

ये भी देखें- कर्नाटकExit Poll: कांग्रेस-BJP में कांटे की टक्कर, JD(S)का रोल अहम

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Published: 13 May 2018,01:25 PM IST

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