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कश्मीरी पंडितों का बड़ा आरोप- सरकार ने हमारे लिए कुछ ठोस नहीं किया

आदित्य मेनन
पॉलिटिक्स
Published:
सांकेतिक तस्वीर
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सांकेतिक तस्वीर
(फोटो: IANS) 

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में आर्टिकल 370 को बेअसर करने की जो वजहें गिनाई थीं, उनमें से एक कश्मीर घाटी से विस्थापित कश्मीरी पंडितों की भलाई थी.

हालांकि 8 महीने बाद भी बहुत से कश्मीर पंडित सरकार से असंतुष्ट हैं. 

दिल्ली बेस्ड कश्मीरी पंडित, एक्टिविस्ट सतीश महालदार ने क्विंट से बात करते हुए बताया, ''समुदाय ने अभी तक एक ठोस नीति नहीं देखी है, जो हमारे आर्थिक उत्थान, शैक्षणिक और संवैधानिक गारंटियों और घाटी में हमारी वापसी के बारे में बात करती हो. यहां तक कि इस साल के बजट- जम्मू-कश्मीर बजट 2020 - में भी हमारे फिजिकल और इकनॉमिक रिहेबिलिटेशन, राहत और भलाई से जुड़ा कुछ नहीं है.''

‘’हमें लगता है कि हमारे साथ धोखा हुआ है. हमारे संवैधानिक और मूल अधिकार सुनिश्चित और सुरक्षित नहीं किए गए हैं.’’
सतीश महालदार, कश्मीरी पंडित एक्टिविस्ट

महालदार प्रवासियों की वापसी, सुलह और पुनर्वास मामलों से संबंधित संगठन के अध्यक्ष हैं.

मांगों की लिस्ट

महालदार के संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखकर इन चिंताओं को सामने रखा है:

1. संगठन का आरोप है कि जम्मू-कश्मीर बजट 2020 में, मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान, 1705 करोड़ रुपये डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए 45 लाख लाभार्थियों के लिए दिए गए हैं, जबकि डीबीटी के जरिए 60000 नए पेंशन केस कवर किए जाएंगे. मगर, अभी तक, एक भी कश्मीरी पंडित को इस योजना के तहत कोई फायदा नहीं मिला है,

2. महालदार के मुताबिक, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा था कि 5000 करोड़ रुपये मंदिरों के पुन:स्थापन के लिए खर्च किए जाएंगे. कश्मीर में 1387 से ज्यादा मंदिर और ऐतिहासिक स्थल हैं, जो 3000 साल से ज्यादा पुराने हैं.

‘’इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि किसी भी मंदिर को पुन:स्थापित किया जा रहा है.’’
सतीश महालदार, कश्मीरी पंडित एक्टिविस्ट

3. केंद्रीय वित्त मंत्री ने इन तीन धार्मिक सर्किट्स के लिए सुझाव दिया है- शंकराचार्य, माता खीर भवानी और मारटंड. हरी पर्वत क्यों नहीं? बाकी मंदिर जो छोड़ दिए गए हैं, उनमें बारामूला का शिव मंदिर, कुपवाड़ा का शारदा मंदिर और ख्रू का ज्वाला मंदिर शामिल है.

4. संगठन का आरोप है कि महात्मा गांधी NREGA योजना के तहत किसी भी कश्मीरी पंडित को फायदा नहीं पहुंचा है.

5. संगठन ने नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पंडितों के लिए 20 फीसदी आरक्षण और जम्मू-कश्मीर सरकार की स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली योजना में उनको शामिल किए जाने की मांग की है.

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सरकार की प्रतिक्रिया

जम्मू-कश्मीर सरकार की प्रतिक्रिया को सामने रखते हुए एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया, ''सरकार कश्मीरी पंडितों के रिहेबिलिटेशन और उनकी भलाई के लिए कई कदम उठा रही है. यह हमारी प्राथमिकताओं में से एक है.''

अधिकारी ने कहा, ‘’हालांकि, इनमें से कुछ प्रस्ताव, जैसे MGNREGA या पशुपालन संबंधित काम में शामिल किया जाना, सुसंगत नहीं है क्योंकि पंडित ज्यादातर सर्विस सेक्टर में हैं.’’

केंद्र सरकार ने भी पंडितों के लिए कई कदम उठाने का दावा किया है.

इस साल मार्च में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी की तरफ से लोकसभा में दिए गए लिखित जवाब के मुताबिक, ''7 नवंबर 2015 को प्रधानमंत्री द्वारा घोषित किए गए विकास पैकेज के तहत, भारत सरकार ने 1080 करोड़ रुपये के खर्चे के साथ कश्मीरी प्रवासियों के लिए 3000 अतिरिक्त राज्य सरकार की नौकरियों के सृजन को मंजूरी दी है.''

उसी महीने रेड्डी ने राज्य सभा में कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह के एक सवाल के जवाब में भर्तियों के बारे में और डीटेल्स सामने रखीं.

‘’22 फरवरी 2020 तक, 1781 पोस्ट्स के लिए चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और 604 उम्मीदवारों ने कई विभागों को ज्वाइन कर लिया है. ये नौकरियां प्रधानमंत्री के 2008 के पैकेज के तहत मंजूर राज्य सरकार की 3000 नौकरियों के अतिरिक्त हैं, जिनमें से 2905 नौकरियां दी जा चुकी हैं.’’
जी किशन रेड्डी , केंद्रीय गृह राज्य मंत्री

इसके अलावा रेड्डी ने लोकसभा में बताया कि सरकार ने 920 करोड़ रुपये के खर्चे के साथ कश्मीर घाटी में 6000 ट्रांजिट अकोमोडेशन के निर्माण को मंजूरी दी है, ये पहले मंजूर 725 ट्रांजिट अकोमोडेशन के निर्माण के अतिरिक्त हैं. रेड्डी ने प्रवासियों को घरों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता सहित सरकार के और भी कई कदमों का जिक्र किया.

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